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1100 में बचे लोगो का अपना राग ,862 का अपना राग बेहतर यही है की कोर्ट के अंदर एक राग हो वो है याची लाभ

मित्रों नमस्कार ,पोस्ट पढ़ने से पहले ये समझ ले की हर चीज़ का प्रमाण नहीँ दिया जा सकता ,ये ज़रूरी नहीँ की प्रमाण प्रत्यक्ष हो तभी माना जाये प्रमाण का एक प्रकार आप्तौप्देश भी होता है ,आप्त का मतलब विषय से
सम्बन्धित या जिम्मेदार अधिकारी द्वारा बतायी गयी बात को उसी रूप में बताना ,याची बने लोगों में से कुछ इन लोगों के सगे सम्बन्धी है ।।जब धरने की बात हो रही थी तभी29 nov को पोस्ट कर बताया था की सरकार टेट याचीवो के प्रति क्या धारणा बनाये हुए है ।।।।।।इन आप्त पुरुषों अर्थात विभागीय अधीकारीवो का और कुछ सरकारी वकीलों का याची लाभ के विषय में क्या सोचना है ये जानना ज़रूरी है ।।।।।।।10 दिन पहले हमने सूचित किया था की एक युवा सरकारी वकील खुल के याची लाभ की वकालत की थी उनकी बात मैंने पोस्ट भी किया था और उन वकील साहब की बात अधिकारी समझे और 832 लोगों की फाइल लखनऊ पहुँची और इनकी नीयोक्ती की प्रक्रिया चालू है ये बात कल अजय जी भी बोल दिये और बात सच साबित हुई ।हमने तब तुरंत सूचित कर दिया था जब ये फाइल पहुँची ही थी शायद 832 को भी पता न रहा हो तब ।।।।।।।।।।।।।मित्रों 832 को लाभ सिर्फ़ सरकारी तंत्र को कोर्ट के कोप से बचाने में हो रहा और शिक्षा मित्रों को हियरिंग से बचाये रखने के लिये हो रहा है इसी कड़ी में सरकार याची लाभ भी दे सकती है पर आधा अधूरा इस बात पर अधीकारीवो व वकीलों के बीच मंत्रणा हुई है क्योंकि कोर्ट में एक को अपनी गरदन बचानी है और दूसरे को आपना नाम ,क्योंकि सरकार बदली तो सरकारी वकील भी बदले जायेगे फ़िर उनके साथ उनका नाम रहता है ,बस ये दोनों सही समय का इन्तेज़ार कर रहे और ये सही वक्त इन्हे 21 फेब के पहले अवश्य मिलेगा ऐसा इनका विश्वास है तब याची लाभ दिया जा सकता है क्योंकि तब कौन सी सरकार होगी इसका आगम तय हो जायेगा ।।।।कोर्ट का इशारा किधर है ये बात अधिकारी वर्ग जानता है पर शिक्षा मित्र लॉबिइंग का भी अस्थायी प्रभाव है ।।।।।।।।।।अब सवाल ये है की आखिर मुख्यमंत्रीजी क्या सोचते है ?????????????क्या कभी पूरी बात उन्हे बतायी गयी है ????यदि मुख्य सचिव या अतिरिक्त सचिव से मिलना ही है तो इसके लिये न तो धरने की ज़रूरत थी और न आगे है क्योंकि उनसे से मिला जा सकता है ।पर सरकार तक यानि मुख्यमंत्री तक बात पहुँचाने के लिये क्या किया जा सकता है और सवाल ये है अभी तक 17 nov के आदेश के बाद कितने लोग मुख्यमंत्री से मिले या मिलने की कोशिश किये ????????????क्योंकि याची लाभ देने की प्रक्रिया व्यापक है और जब चुनाव सर पर हो कर्मचारी का सहयोग ज़रूरी है ये तभी सम्भव है जब सरकार का अपेक्षित सहयोग हो अन्यथा याची लाभ देने की प्रक्रिया भी ज़टिलतम हो जायेगी ।।कुल मिलाके ,हमे सरकार का तो नहीँ पता पर अधिकारी और सरकारी वकील की सोच पता है की वो फरवरी में खाली हाथ कोर्ट में कभी नहीँ जायेगे कम से कम 832 को तो ज़रूर नीयोक्ती देके जायेगे ।।यदि 832 में एक को भी नीयोक्ती मिल गयी फ़िर आगे क्या होगा ये तो बोलने की ज़रूरत ही नहीँ है ,याची लाभ हर हाल में मिलेगा पर बहुतों को बहुत जल्दी है ,सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कई साल में एक ही केस को सुनने के लिये सारा दिन रिज़र्व रखने का आदेश दिया वो भी दीपक मिश्रा जैसे जज का एक पूरा दिन ।।।ठोस याची लाभ का आधार ठोस हियरिंग है ,जो काँवकाँव और समय की बरबादी पैसे के लिये होती है उसका आधा मेहनत भी ब्रीफिँग में नहीँ हो पाती है ।।।।।।।।परिणामतः जब जज पूछते है वकील से की IA no क्या है अटक जाते है ,जब हियरिंग शुरू होती है तो अपनी अपनी ढपली अपनी अपनी राग आलापते है सब ।1100 में बचे लोगो का अपना राग ,862 का अपना राग बेहतर यही है की कोर्ट के अंदर एक राग हो वो है याची लाभ और शिक्षा मित्र के खिलाफ रणनीति क्योंकि ये बात पूख्ता है की जज साहब रीप्लेसमेंट थियरी पर काम कर रहे है और यही कारण है की वो याचीवो पर ज्यादा फोकस किये है जो याची लाभ में देरी हुई उसका एक कारण है आपसी मतभेद नहीँ बल्कि मनभेद था और है
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