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सीबीआई जांच हुई तो जद में आएंगी 600 भर्तियां, सपा शासन में आयोग से की गईं भर्तियों की जांच की हो रही मांग, पीसीएस की पांच और लोअर सबऑर्डिनेट की चार भर्ती हुई थीं

लोक सेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआई से जांच कराने की प्रतियोगियों की मांग पर अमल हुआ तो छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 600 भर्तियां जांच की जद में आ जाएंगी। ये भर्तियां सपा शासनकाल में हुई थीं। इनमें से ज्यादातर भर्ती आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के समय की हैं।
इनमें प्रशासनिक पद की सूबे की सबसे बड़ी पीसीएस की पांच परीक्षाएं भी शामिल हैं। पीसीएस 2011 से लेकर पीसीएस 2015 तक की भर्ती पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में हुई तो इस दौरान लोअर सबआर्डिनेट की चार भर्ती परीक्षाएं संपन्न हुईं।
पीसीएस जे, समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी और सहायक अभियोजन अधिकारी की तीन-तीन भर्तियों के परिणाम इस दौरान घोषित किए गए। प्रतियोगी छात्रों को आरटीआई के तहत आयोग से दो अप्रैल 2013 (डॉ. अनिल यादव के कार्यभार ग्रहण करने की तिथि) से 31 जुलाई 2015 तक 236 सीधी भर्ती होने की सूचना मिली थी। प्रतियोगियों ने आरटीआई में इसके बाद की अवधि में हुई भर्तियों का ब्योरा भी मांगा लेकिन आयोग ने नहीं दिया। प्रतियोगियों का अनुमान है कि सपा शासनकाल के दौरान छोटी-बड़ी मिलकर लगभग 600 भर्तियां हुई हैं।पीसीएस में भरे गए 2484 पदसपा शासनकाल में पीसीएस 2011 से लेकर 2015 तक की भर्ती संपन्न हुई। पीसीएस 2011 के तहत डिप्टी कलेक्टर और डिप्टी एसपी समेत विभिन्न श्रेणी के 389 पदों पर भर्ती की गई तो पीसीएस 2012 में 345, पीसीएस 2013 में 650, पीसीएस 2014 में 579 और पीसीएस 2015 में 521 पदों पर भर्तियां की गईं। इस प्रकार पीसीएस संवर्ग के कुल 2484 पद सपा शासनकाल में भरे गए।लोअर के 4138 पदों पर हुई भर्ती सपा शासनकाल के दौरान लोअर सबआर्डिनेट की चार भर्तियों के माध्यम से 4138 पद भरे गए। इनमें सबसे अधिक 1547 पद लोअर सबआर्डिनेट 2013 के तहत भरे गए थे जबकि लोअर सबआर्डिनेट 2008 के तहत सामान्य और विशेष चयन मिलकर 1325, लोअर सबआर्डिनेट 2009 में 731 और लोअर सबआर्डिनेट 2015 में 635 पदों पर नियुक्तियां की गईं।पद संख्या में तकनीकी सहायक की सबसे बड़ी भर्तीसपा शासनकाल में आयोग द्वारा जो भर्तियां हुई हैं उसमें पदों की संख्या के लिहाज से कृषि तकनीकी सहायक सबसे बड़ी भर्ती रही। इस भर्ती के माध्यम से कुल 6628 पद भरे गए। इस भर्ती में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में बड़े पैमाने पर हेरफेर की शिकायत है। मामला अभी न्यायालय में चल रहा है। राजस्व निरीक्षक के 617, खाद्य सुरक्षा के 430 पद भी सपा शासनकाल के दौरान भरे गए।500 से अधिक मुकदमे लंबितलोक सेवा आयोग की भर्तियों को लेकर विवाद किस कदर है इसका अंदाजा सपा शासनकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट में दाखिल मुकदमों की संख्या से लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट में लगभग 500 और सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। एक आरटीआई में आयोग ने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2015-16 में नवंबर 2015 तक ही मुकदमों की पैरवी पर आयोग के एक करोड़ 10 लाख 63 हजार रुपये व्यय हो चुके थे। प्रतियोगी छात्र आयोग की भर्तियों की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर भी याचिका दाखिल कर चुके हैं।प्रवक्ता परिणाम से उपजा था शकलोक सेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायालय से लेकर हर स्तर की लड़ाई लड़ रहे अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी का शक प्रवक्ता समाजशा के परिणाम से हुआ था। दो अप्रैल 2013 को डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के कुछ माह बाद प्रवक्ता समाजशा के नौ पदों का परिणाम घोषित किया गया था। इसमें चयनित सात अभ्यर्थी ओबीसी की एक खास जाति के थे। शक यहीं से हुआ। इसके बाद आयोग ने त्रिस्तरीय आरक्षण लागू कर पीसीएस 2011 मेन्स का परिणाम घोषित किया तो शक यकीन में बदल गया। प्रतियोगी आयोग के खिलाफ सड़क पर उतर गए। प्रतियोगियों और आयोग के बीच लड़ाई पूरे सपा शासनकाल में चलती रही। कई बार लाठीचार्ज, तोड़फोड़, विरोध और आगजनी की घटनाएं हुईं। प्रतियोगियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने डॉ. यादव की नियुक्ति को गलत मानते हुए निरस्त भी कर दिया था।पीसीएस का पेपर हुआ आउटपूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में हुई पीसीएस 2015 प्री परीक्षा का पेपर लखनऊ के एक सेंटर से आउट हो गया था। आयोग के इतिहास में पेपर आउट की यह पहली घटना थी। इस मामले की जांच आज तक एसटीएफ में लंबित है। वहीं कई गलत प्रश्न और उत्तर का विवाद आयोग की कई परीक्षाओं में रहा। आरओ-एआरओ की एक भर्ती में गलत प्रश्न पूछे जाने के प्रकरण में हाईकोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष को ही तलब कर लिया था।

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