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यूपी के स्कूलों की कक्षाओं से हटेंगी कुर्सियां, घूम-घूमकर पढ़ाना होगा , जल्द जारी होगा निर्देश

अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद। यूपी बोर्ड के स्कूलों की कक्षाओं से कुर्सियां हटा दी जाएंगी, ताकि शिक्षक बच्चों को घूम-घूम कर पढ़ाते नजर आएं। कुर्सी संभालते ही जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) राम नारायण विश्वकर्मा ने सख्ती के संकेत दिए हैं।
उन्होंने बताया कि विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को जल्द ही कक्षाओं से कुर्सियां हटाने के संबंध में निर्देश जारी किए जाएंगे। शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य हो इसके लिए जिले के सभी 33 राजकीय बालक एवं बालिका विद्यालय तथा 181 सहायता प्राप्त विद्यालयों में 15 जुलाई तक हर हाल में बायोमेट्रिक मशीनें लगाने का फरमान भी जारी कर दिया गया है।
नए डीआईओएस विश्वकर्मा का है कि जुलाई से शुरू हो रहे सत्र में विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति बायोमेट्रिक मशीन में दर्ज होगी। उपस्थिति दिन में दो बार दर्ज की जाएगी ताकि वह विद्यालयों में मौजूद रहकर विद्यार्थियों को पढ़ाएं। बताया कि शिक्षक बैठकर अध्यापन का कार्य न करें, इसके लिए कक्षाओं से कुर्सियां हटाई जाएंगी। इसके लिए जल्द निर्देश जारी किया जाएगा। बताया कि अगर शिक्षक अस्वस्थ है या अन्य किसी कारण से खड़े होकर पढ़ाने में असमर्थ है तो प्रधानाचार्य से अनुमति लेकर ही कक्षा में कुर्सी रखी जा सकेगी। प्रधानाचार्यों को विद्यालय के अन्य फंड से 15 जुलाई तक बायोमेट्रिक मशीनें लगाने को कहा गया है।

एडीआईओएस प्रतिदिन दो से तीन स्कूलों का करेंगे निरीक्षण
एडीआईओएस प्रतिदिन दो से तीन विद्यालयों का निरीक्षण कर पठन-पठान की स्थिति का जायजा लेंगे। डीआईओएस ने बताया कि वह खुद भी औचक निरीक्षण करेंगे। बताया कि विद्यालय में पढ़ाई का माहौल बने, इसके लिए प्रधानाचार्यों का ग्रुप बनाया जाएगा। शिक्षकों को प्रेरित किया जाएगा कि कक्षा में पांच-सात विद्यार्थी भी हैं तो पढ़ाएं, क्योंकि वे बाहर इसका प्रचार-प्रसार भी करेंगे। इससे शिक्षा की स्थिति सुधरेगी और अभिभावक अपने बच्चों को माध्यमिक विद्यालय से हटाकर कॉन्वेंट स्कूल में नहीं ले जाएंगे।

शिक्षकों को कोर्स तैयार करके आना होगा
नए सत्र से नवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में भाषा और गणित को छोड़कर अन्य विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को किताबें साथ लेकर पढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें पहले से कोर्स तैयार करके कक्षाओं में आना होगा। किसी भी विषय में 20 प्रतिशत से कम रिजल्ट आया तो उससे संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक से अनुमति मांगी जाएगी।
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