अपनी मेहनत से बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

राघवेंद्र शुक्ल’ सम्भल अमूमन सरकारी स्कूल की तस्वीर ऐसी सामने आती है जो दुखदायी होती है। यानी जर्जर भवन और गंदगी। पर प्राइमरी स्कूल गुलालपुर जाटों वाला कुछ अलग है।
हरियाली से पूरी तरह सराबोर। फल-फूल और विभिन्न तरह के पौधे यहां छांव देते हैं। बच्चे भी ड्रेस में और अप टू डेट रहते हैं। प्रधानाध्यापक अशोक कुमार ने इस स्कूल को ऐसा बना दिया कि इसने प्राइवेट और सरकारी का भेद मिटा दिया। यदि हम कहें कि इसके आगे प्राइवेट स्कूल भी फेल हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। कई संगठनों ने तो स्कूल को बेस्ट अवार्ड से भी नवाजा है।

शहर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राइमरी स्कूल मझरा गुलालपुर जाटोंवाला में पर्यावरण संरक्षण की एक अलग ही तस्वीर दिखती है। एरोकेरिया, साइकस, पाम, चाइनीज पाम, गुलाब, रात की रानी, मोर पंखी, आस्टेशियन, गोरा चोटी के अलावा तमाम पेड़ पौधे इस स्कूल की पहचान हैं। स्कूल में प्रवेश करते ही फूलों की महक मन को शीतलता का अहसास करा देती हैं। स्कूल की बाउंड्री में प्रवेश करने पर प्राइवेट व निजी का जो भेद अमूमन दिखता है वह गायब हो जाएगा। अंदर प्रवेश करते ही हरी-हरी घास और उसके बगल में सीमेंटेड जमीन। जहां सफाई इतनी है कि आप बिना चप्पल के भी चल सकते हैं। मशीन से घासों की कटाई करता एक माली भी मिलेगा और स्कूल अंदर विभिन्न आकार के जानवर बने पेड़ पौधे भी मन को बरबस खींच लेंगे। स्कूल की सबसे बड़ी खासियत यहां हमेशा लाइट का होना है। प्रधानाध्यापक अशोक कुमार ने अपनी तनख्वाह से यहां न केवल इन्वर्टर लगवाया है बल्कि सभी कमरों में पंखे और एलईडी भी लगवाई हैं। ताकि बच्चों को पढ़ने के दौरान कहीं से आभास न हो कि वह सरकारी स्कूल में हैं। 250 की आबादी वाले इस छोटे से मझरे के इस स्कूल में वर्तमान समय में 41 बच्चे हैं। सभी के सभी अनुशासित और पढ़ाई में अव्वल। स्कूल में अमूमन रसोइया को दस माह का मानदेय मिलता है लेकिन प्रधानाध्यापक अशोक कुमार इन्हें अपने पास से दो माह का मानदेय देते हैं। उन दो माह में इनके जिम्मे स्कूल की फुलवारी को सींचना और बेहतर बनाना होता है।

बातचीत में अशोक बताते हैं कि वर्ष 2009 में यहां स्कूल खुला तो मेरी तैनाती हुई। मेरा सपना इसे सबसे अलग और बेहतर बनाना था। इसमें मैं कामयाब भी हो गया। स्कूल में आने के बाद सुखद अनुभूति होती है जिसे बयां नहीं किया जा सकता है। स्कूल की इस उपलब्धि पर कमिश्नर, डीएम व बीएसए की ओर से सम्मान भी मिला है।अशोक कुमार ’ जागरणप्राथमिक स्कूल मझरा गुलाल पुर जाटो वाला ’ जागरण’

>>निजी स्कूल की तर्ज पर है इन्वर्टर, बिजली जाने पर नहीं होती परेशानी

’>>हर कक्ष में पंखा है प्राइमरी स्कूल गुलालपुर जाटों वाला में
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