शिक्षामित्रों के लखनऊ धरने को लेकर दो दिनों से सोशल मिडिया पर तमाम तरह की अफवाहों का बाजार है गर्म:पढें जिलाध्यक्ष रीना सिंह की जुबानी


साथियो, आज दो दिनों से शोसल मिडिया पर तमाम तरह की अफवाहों से बाजार गर्म चल रहा है सभी लोग अपने अपने हिसाब से ब्याख्या कर रहे है।

1- तीन दिन के बाद धरना ख़त्म क्यों?
तीन दिन के बाद cm से 1:20 मिनट वार्ता हुई ।वहाँ पर cm साहब घर ही हाल चाल डेढ़ घंटे तक नहीं पूछ रहे थे।पूरे समय तक आपके ही मुद्दे पर मंथन हो रहा था।हर विंदू पर चर्चा हुई ।जिसमे समान कार्य समान वेतन व् ncte के पैरा 4 मसंशोधन पर सकारात्मक बात हुईं तब धरना ख़त्म हुआ ।जो कुछ हमे मिलना है प्रथम दृष्टया राज्य सरकार से ही मिलना है ।cm की वार्ता में 15 दिन के समय की व् सचिव जी के वक्तब्य की जमकर शिकायत भी हुई ।की दुवारा हिला हवाली न हो सके ।जब सब कुछ नष्ट हो चूका है तो इतनी जल्दी काम हो जाय सम्भव नहीं है।सरकार के बारे में आपलोग जानते ही है तो यदि हम आश्वासन के बाद भी बैठे रहे तो सरकार रुख बदल गया तो वार्ता भी नहीं हो सकती और एक ही रास्ता बचत है हिंसा, हिंसा से आंदोलन ख़त्म ही नहीं हमारे लोगो की भी जाने जा सकती थी इसमे कोई शक नहीं । नेतृत्व को हर पहलु पर विचार करना होता है ।जो लोग आज अफवाह फैलाते है वे पहले भाग जाते और सबसे जादा हानि हमारी महिलाओ की होती ,सरकार चाहे जैसे हो भरोषा तो करना ही होगा ।
2- नेता डर गए-- आप लोग बहुत से बड़े बड़े आंदोलन  कर चुके है देखे भी होंगे कोई नेता पीछे रहा क्या, शहीद स्मारक का आंदोलन भी देखा होगा नेताओ की गिरफ्तारी के बाद रीना सिंह ने पूरी कमान सम्हाली थी क्या झूठ है ,विरोधी पेपर में निकलवाते है वह भी फतेहपुर से की नेताओ की कुंडली तैयार की जारही है जाँच कराई जायगी ।तो आपलोग उसे सही मानकर खुस हो जाते हो तो, जबकि शासन से इस तरह की न कोई जाँच और न ही किसी तरह की धमकी दी गई है जो लोग डरेंगे।और न ही इतना किसी के पास है की वह जाँच के दायरे में आयेगा जो आप से मिला वह खर्च भी तो हुआ होगा की नहीं ये सोचने की बात है।कोर्ट में इतने बड़े बड़े वकील खड़े हुये अपनी बात रखी । जब कोर्ट ही ने अपने ऑर्डर में लिखा है की हम शि मि की दलील सुनने के लिये  वाध्य नहीं है तो हर होनी ही है ।मतलब एक राजनितिक षड़यंत्र के तहत
ये सब अफवाह है कोई नेता नहीं डरता न डरने वाला है ।हमे एक रणनीति के तहत काम करना होगा ताकि 172000 का सम्मान सुरक्षित बाख सके ।मजबूत लड़ाई लड़ने का तरीका यग्य होता है की वार्ता हुई बात नहीं  बनी, फिर आंदोलन हुआ वार्ता हुई  इस बार सरकार काफी दवाव में रही और cm का रुख सकारत्मक रहा ,सचिव के भी tune बदल गए। तीन दिन का समय दिया ।सोमवार को सभी अधिकारी व् संगठन के साथ बैठक होगी  आशा है की निर्णय हमारे अनुरूप होगा। यदि नहीं होता तो हमने उसी दिन एलान किया था की फिर आंदोलन होगा लड़ाई लंबी है ।उसके लिये हमे मजबूती के साथ खड़ा रहना होगा। क्रांति का परिणाम शांति ही होता है।वैसे भी आप देख रहे है की पेपर हमारी समस्या को कम लेकिन यह जरूर लिखा कि शि मि ने सरकार को 70 लाख का लगाया चूना।सरकार तो चाहती ही है की ये लोग  कुछ ऐसा  कर दे की हमे बहन मिल जाय।
3- दिल्ली का धरना---जिस समय सभी संगठन एक होकर रणनीति बनाये तो उसमे अनिल यादव को भी बुलाया गया था तो क्यों नहीं आये ।कोई बात नहीं लेकिन हमने फोन पर अनिल जी से बात की थी की आप लखनऊ के धरना में आये और मंच से अपना प्रस्ताव रखे । शि मि खुद निर्णय लेगा उसमे किसी नेता की बात नहीं है तो वे आना मुनासिब नहीं समझे , और रही बात पैर 4 के संसोधन कीतो जब तक स्टेट से प्रस्ताव नहीं जायगा तब तक वह से कोई रिलीफ नहीं मिलेगी वार्ता होगी mhrd ncte यही कहेगा की जब राज्य से प्रस्ताव आएगा तो हम विचार करेगे। पेड़ की जड़ में पानी डालने से हरा होगा कोपलों में डालने से नहीं ।
4- एक किसी बहन का आडियो खूब वायरल हो रहा है-- संगठन ने 17 साल लड़कर बर्बाद क्र दिया कुछ नहीं दिया । मैं  कहना चाहती हु की  संगठन के बिना शि मि को मानदेय नहीं मिलता था। नवीनीकरण, छुट्टी, प्रसूति अवकास, शादी के बाद पद बरकरार,ट्रेनी ग, समायोजन जैसे तमाम उपलब्धियया अपलोगोके सहयोग, संघर्ष व् नेताओ की निष्ठां का ही परिणाम है जो आज बहुत लोग  चाहे टेट हो या नान टेट लड़ने लायक है। कोई किसी को रोक नहीं रहा है की दिल्ली न जाओ और न कोई रोकने से रुकने वाला है ।हा यह जरूर है की हित अनहित को देखते हुये सुझाव देना  जरूरी है ,आपलोगो ने 18 अगस्त को अनिल व् दक्ष यादव के 8:12 मिनट का ऑडियो सुना होगा उसमे क्या गया है की मैं आज ही दिल्ली के sp को पत्र लिखुगा की गाजी व् शाही  दिल्ली की सीमा में प्रबेश न  पाये ।और अन्ना हजारे  के बारे में मेरी बात दक्ष यादव से हुई तो उन्हों ने कहा की बात हुई है  तो हमने  उनसे कहा की आप उनका सहमति पत्र व्हाट्सऐप पर भेज दे  जो असमंजस की स्थिति साफ हो  जाय तो उनका जवाब था अभी ट्रेन पर हूँ शामकोयाद दिलाना फिर मई दूसरे दिन फोन किया भाई साहब पत्र तो भेज दो ।हा  हा करके फोन काट दिए साथियो आज तक उनकी सहमति का पत्र नह आयाअन्ना जी कोई छोटी हस्ती नहीं है यदि प्रोग्राम होता तो अभी तक tv पर एक बार नहीं हजारो बार चिल्लाता रहता । मै किसी की निंदा नहीं बल्कि सच्चाई बता रही हूँ। यदि किसी को लगता है की ये संयुक्त  मोर्चा चोर है, गद्दार है तो मै कहती हूँ की कोई भाई आगे आये की मै नेतृत्व करूँगा वह सामने तो आये वतसप पर नेतागीरी नहीं होती ।
5- नेता बिक गए-- साथियो  मै खुद  वार्ता में थी और जो मई मंच पर बोलती हु वाही cm के सामने भी बोली हूँ । ये तो नहीं कह सकती की और कोई नहीं कह सकता लेकिन सब के बस की बात भी नहीं है ।बिकने के लिये खरीददार होना चाहिये और  सरकार की ऐसे कोई मजबूरी नहीं  है की वह खरीदे , कहने के पहले खुद को सोचना चाहिए ।
     साथियो मै अंत में आपलोगों से एक अपील कर रही हूँ की इस नाजुक घडी में आपलोग अपनी एकता को टूटने न दो, अफवाहों से दूर रहो विरोधी भी आपकी एकता को तोड़ने के लिये आपके मन में नेताओ के प्रति नफ़रत पैदा करने के लिये पोस्ट दाल रहे है उससे बचे , और संगठन पर भरोषा रखे आपका सम्मान वापस होगा।अभी तक तो सब कह रहे थे की सभी नेता एक हो और जब एक हो गए तो अब कहने लगे चोर चोर मौसेरे भाई तो बताओ नेता क्या करे ,यह सच है ऐसा लोग कहते है  ऐसी स्थिति में दो ही रस्ते है
1- संगठन की राणिनित पर भरोषा करो ।एक आवाज़ पर जैसे आ जाते हो उसी तरह एकता बना के रखो ।
2- आप नेतृत्व करो बाकि लोग आपके आदेश का पालन करे ।
कहावत है की " केहू कहै हाथ कै लेखी, केहू कहै आँख कई देखी।
तो सथियो हर किसी के हाथ की लेखी  पर भरोषा नहीं किया जाताा ,आँख की देखि पर भरोषा करो ।की cm ने कहा जाँच करा देगे  इसलिये डर गए ।जो कहते है वे वहाँ थे कोई जवाब नहीं होगा। इसलिये आपलोग इस संकट की घड़ी में एक रहो जल्द ही सकारात्मक हल निकलेगा। नहीं तो हम इतनी आसानी से नहीं छोड़ देगे कायर नहीं है ।बहुतो को देखा है इनको भी दिखा देगे । और मई आपको विशवास दिलाती हु की मेरे रहते आपके साथ कोई धोखा नहीं क्र सकता ,धैर्य व् संयम से काम ले मन को हतोत्साहित न करे ।

  जय शि मि एकता

        रीना सिंह
जिलाध्यक्ष/ प्रा सचिव
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