Breaking Posts

Top Post Ad

चुनौती भरे शिक्षा के क्षेत्र में कई मायनों में बड़े बदलावों की पड़ी नींव: शिक्षामित्रों के मामले सहित खास-खास फैसलों पर एक नजर

प्रदेश के सबसे अधिक चुनौती वाले विभाग शिक्षा के लिए बीता साल उसी प्रकार रहा, जैसे किसी स्कूल की प्रयोगशाला में प्रयोग दर प्रयोग किए जा रहे हों। साल की शुरुआत चुनावी वादों से हुई तो आगे का सफर असमंजस भरे फैसलों का रहा। फिर भी कई मायनों में बड़े बदलावों की नींव पड़ती नजर आई।
1माध्यमिक शिक्षा : पुरानी किताब को नई जिल्द 1सवाल सिस्टम का था और साठ लाख से अधिक छात्रों की परीक्षा कराने वाले यूपी बोर्ड की साख उसी से ही बनती थी लेकिन भाजपा के सरकार में आने के बाद भी शिक्षा निदेशक पद का चेहरा नहीं बदला तो लोगों को मायूसी भी हुई। हालांकि अक्टूबर में विभाग को नया निदेशक मिल ही गया। इससे पहले साल की शुरुआत बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम तय करने के विवाद से हुई। विधानसभा चुनाव के बाद परीक्षाएं होने से माध्यमिक कालेजों में शैक्षिक सत्र अप्रैल की जगह जुलाई में शुरू हो सका। हालांकि सरकार ने तेजी से कदम बढ़ाते हुए कई निर्णय किए। इनमें यूपी बोर्ड के कालेजों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने और कंप्यूटराइजेशन की ओर बढ़ने की दिशा में कदम बढ़ाना सबसे अहम रहा। कालेजों की नई मान्यता के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की गई। कंप्यूटर के जरिये बोर्ड मुख्यालय पर ही परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया। परीक्षाएं सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में कराने की तैयारी है, वहीं प्रायोगिक परीक्षाएं भी कैमरे के सामने हो रही हैं। हालांकि माध्यमिक शिक्षा परिषद का पुनर्गठन 29 अगस्त से लटका है। 1सबसे ऐतिहासिक फैसला निजी कॉलेजों में हर साल एडमिशन फीस पर अंकुश लगाने के लिए मसौदा तैयार करना रहा। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इसी तरह मदरसों में भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की पढ़ाई का निर्णय भी साहसिक फैसला रहा। दूसरी ओर अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों की ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया पर कोई कार्य नहीं हो सका। निदेशक व अपर निदेशक जैसे पदों की पदोन्नति रुकी रही। 1तकनीकी शिक्षा का बदलता चोला1प्राविधिक शिक्षा संस्थानों की रिक्त सीटों को भरने के लिए इस साल पहली बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद में स्पॉट काउंसिलिंग कराई गई लेकिन साठ हजार सीटें तब भी खाली रहीं। इससे जहां निजी इंजीनियरिंग कालेजों के भविष्य पर सवाल खड़ा रहा, वहीं अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने शोध के नया आयाम देकर संभावनाओं को बनाए रखा। इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का नया सत्र शुरू हुआ तो सेमिनार ग्रांट स्कीम के 24 प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इसी कड़ी में विक्रम साराभाई टीचिंग फेलोशिप के लिए सौ पीएचडी छात्र-छात्र चयनित हुए जो तकनीकी क्षेत्र को नई दिशा की ओर ले जाएंगे।’

1.37 लाख समायोजित शिक्षक फिर बने शिक्षामित्र, शिक्षक बनने को दो मौके
बच्चों को बैग, जूता-मोजा मिला, स्वेटर वितरण की देखी जा रही राह
निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर अंकुश लगाने का मसौदा तैयार
प्रदेश के 26 हजार माध्यमिक कॉलेजों के लिए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम
मदरसों में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी
यूपी बोर्ड मुख्यालय ने कंप्यूटर से बनाए हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा केंद्र
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से चयनित अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित
राजकीय महाविद्यालयों में पहली बार रिक्त पदों पर ऑनलाइन तबादले।


उच्च शिक्षा की वही पुरानी रफ्तार
अकादमिक नजरिए से देखें तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ठहराव सा रहा। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार के बावजूद कई विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों में सपा की जीत अवश्य चौंकाने वाली रही। पूर्व में चयनित एक हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों कालेजों में नियुक्ति मिली और राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की विभागीय पदोन्नति को अमलीजामा पहनाया गया। महाविद्यालयों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश विवाद के चलते वापस लेना पड़ा

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook