प्रयागराज: भर्ती प्रक्रियाओं में देरी और अनियमितताओं को लेकर प्रतियोगियों का आंदोलन तेज

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं में देरी और अनियमितताओं को लेकर प्रतियोगियों का आक्रोश एक बार फिर खुलकर सामने आया है।

अलग-अलग भर्ती संस्थाओं से जुड़ी मांगों को लेकर प्रतियोगी लगातार आंदोलन कर रहे हैं और अब बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले इस नाराजगी ने राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा बढ़ा दी है।


प्रतियोगियों की मुख्य शिकायतें

  • उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) और उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग सहित अन्य संस्थाओं द्वारा समय पर नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं।

  • हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

  • प्रतियोगियों ने आरोप लगाया कि भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता नहीं है और नियम बार-बार बदल रहे हैं।


यूपीपीएससी के खिलाफ आंदोलन

  • प्रतियोगी संगठन ‘इंकार आंदोलन’ की तैयारी कर रहे हैं।

  • संशोधित उत्तर कुंजी, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों से जुड़ी आपत्तियों को लेकर लंबे समय से आंदोलन चल रहा है।

  • अब इसे और व्यापक स्तर पर लाने की योजना बनाई जा रही है।


उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग पर नाराजगी

  • दो वर्षों में आयोग ने कोई ठोस भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की

  • टीजीटी और पीजीटी पदों के लिए आवेदन तो लिए गए, लेकिन परीक्षा प्रक्रिया बार-बार टलती रही

  • प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का परिणाम अभी तक जारी नहीं किया गया।

  • परीक्षा नियंत्रक को हटाने की मांग भी उठाई जा रही है।


अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को लेकर विरोध

  • प्रतियोगियों का एक वर्ग अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खिलाफ भी आंदोलन के लिए मैदान में उतर चुका है।

  • आरोप हैं कि आयोग भर्ती घोषणाओं में लापरवाही कर रहा है और आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा।

  • इस संबंध में प्रतियोगियों ने ज्ञापन सौंपकर समाधान की मांग की है।


प्रतियोगियों की चेतावनी

प्रतियोगी संगठनों का कहना है कि यदि समय रहते उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
मुख्य मांगें हैं:

  • भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता

  • समयबद्ध नियुक्तियां

  • नियमों का कड़ाई से पालन


निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं की देरी और अनियमितताओं ने प्रतियोगियों में गंभीर नाराजगी पैदा कर दी है। आने वाले समय में यदि आयोगों ने समाधान नहीं निकाला, तो छात्र और युवा संगठनों का आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

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