उत्तर प्रदेश: त्रिपुरारी दुबे एवं अन्य प्रकरण से संबंधित आदेशों के अनुपालन में विकल्प/सहमति पत्र मंगाए जाने को लेकर शिक्षकों में नई चर्चा शुरू हो गई है।
प्रारंभिक संकेतों के अनुसार, जनपदीय वरिष्ठता सूची (प्रमोशन वाली) में शामिल वरिष्ठ शिक्षकों को ही जनपद के विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रिक्त पदों पर तैनात किया जाने वाला है।
चर्चा का मुख्य बिंदु
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छात्र संख्या का मापदंड:
100 और 150 की छात्र संख्या को लेकर जो मापदंड सामने आ रहे हैं, वह कई शिक्षकों की समझ से परे बताए जा रहे हैं। -
वेतन समान:
शिक्षक संगठनों और जानकारों का कहना है कि जब प्रभारी प्रधानाध्यापक को प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने का आदेश पहले ही जारी है, तो छात्र संख्या के आधार पर अलग-अलग श्रेणियाँ तय करना तर्कसंगत नहीं लगता।
विकल्प पत्र समीक्षा में उठ रहे सवाल
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कई जनपदों में विकल्प/सहमति पत्रों की समीक्षा के दौरान यह मुद्दा सबसे अधिक चर्चा में है।
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शिक्षकों का मानना है कि यदि जिम्मेदारी और वेतन प्रधानाध्यापक के समान है, तो छात्र संख्या की शर्त नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा क्यों बन रही है।
शिक्षा विभाग की आगामी गाइडलाइन
अब सभी की निगाहें शिक्षा विभाग की आगामी स्पष्टीकरणात्मक गाइडलाइन पर टिकी हैं। इससे यह स्पष्ट होगा कि:
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वरिष्ठता का वास्तविक आधार क्या होगा।
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विद्यालय की श्रेणी और छात्र संख्या प्रभारी प्रधानाध्यापक की तैनाती में कैसे भूमिका निभाएगी।
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निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हो।