आदर्श विद्यालय वही, जहाँ ऐसे हों प्रधानाचार्य और शिक्षक✍️ देखें उनमें क्या क्या होने चाहिए गुण

 शिक्षा व्यवस्था की सफलता में प्रधानाचार्य और अध्यापक दोनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

प्रधानाचार्य विद्यालय की रीढ़ होता है, जबकि अध्यापक समाज निर्माण की आधारशिला। प्रस्तुत लेख में एक आदर्श प्रधानाचार्य तथा एक उत्तम अध्यापक के आवश्यक गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है।



एक प्रधानाचार्य के गुण

प्रधानाचार्य विद्यालय की दिशा और दशा निर्धारित करता है। उसकी दूरदृष्टि, नेतृत्व और आचरण से ही विद्यालय का चतुर्मुखी विकास संभव होता है। एक सफल प्रधानाचार्य में निम्नलिखित गुणों का समावेश होना आवश्यक है—

  1. अनुशासनप्रिय होना
  2. नेतृत्व क्षमता
  3. निष्पक्ष व्यवहार
  4. उत्तरदायी होना
  5. सही निर्णय लेने की क्षमता
  6. साहस
  7. धैर्य
  8. विनम्रता
  9. समयशीलता
  10. स्वनियंत्रण
  11. स्पष्ट योजना
  12. अहंकार से दूरी
  13. सहानुभूतिपूर्ण सोच
  14. मधुरभाषी होना
  15. शालीन व्यवहार एवं सहनशीलता
  16. संस्थान के प्रति समर्पण की भावना
  17. प्रेरित करने वाला दृष्टिकोण
  18. सबका साथ, सबका विकास वाली सोच
  19. सादा जीवन, उच्च विचार
  20. विद्यालय परिवार को आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करना

एक ऐसा प्रधानाचार्य न केवल प्रशासनिक रूप से दक्ष होता है, बल्कि शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनता है।


एक अध्यापक के गुण

शिक्षक समाज में वह व्यक्तित्व है, जो भावी पीढ़ी का निर्माण करता है। एक आदर्श अध्यापक के बिना सशक्त समाज की कल्पना अधूरी है। एक अच्छे अध्यापक में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है—

  1. विषय का गहन ज्ञान
  2. धैर्य
  3. कार्य के प्रति ईमानदारी
  4. संयम
  5. आत्मविश्वास
  6. सहानुभूति
  7. सफलता की आकांक्षा
  8. योजनाबद्ध कार्यशैली
  9. संगठन क्षमता
  10. दूरदृष्टिता
  11. सादा जीवन, उच्च विचार
  12. मधुर एवं शालीन व्यवहार
  13. संस्थान के प्रति ईमानदारी
  14. लक्ष्य के प्रति समर्पण
  15. मित्रवत व्यवहार
  16. सामुदायिक भागीदारी
  17. उत्साह
  18. जागरूकता
  19. सलाहकार की भूमिका
  20. बौद्धिक जिज्ञासा

एक ऐसा अध्यापक विद्यार्थियों के जीवन को सही दिशा देता है और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है।


निष्कर्ष

प्रधानाचार्य और अध्यापक दोनों शिक्षा व्यवस्था के दो मजबूत स्तंभ हैं। जहाँ प्रधानाचार्य नेतृत्व और मार्गदर्शन करता है, वहीं अध्यापक ज्ञान और संस्कारों का संचार करता है। यदि दोनों अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन उपरोक्त गुणों के साथ करें, तो विद्यालय ही नहीं बल्कि पूरा समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है।