याचिका दाखिल कर भर्तियों को अवैध करार देने की तैयारी में प्रतियोगी
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर अनिल यादव की नियुक्ति अवैध होने के बाद उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की वैधानिकता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। प्रतियोगियों की ओर से उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों को भी रद्द करने की मांग शुरू हो गई है।
इस बारे में दशहरा बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी जिसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।
अनिल यादव के ढाई वर्ष के कार्यकाल में तकरीबन 250 तरह की भर्तियों में 40 हजार पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। इनमें से 237 तरह की तो सीधी भर्तियां यानी, जिनमें सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर चयन हुआ। चयनितों में अधिसंख्य एक जाति विशेष के हैं। अनिल यादव की नियुक्ति रद्द होने के बाद ये भर्तियां भी फंसती दिख रही हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग की याचिका पहले ही दाखिल हो चुकी है। प्रतियोगियों का कहना है कि अनिल यादव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने अवैध कर दी है। इसलिए इनके समय में हुई भर्तियां भी अवैध हैं सो इन्हें रद्द किया जाना चाहिए। प्रतियोगियों के एक वर्ग ने इस मांग को लेकर आंदोलन करने की घोषणा की है। वहीं दूसरा वर्ग हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी में है। उनके कार्यकाल की नियुक्ति तथा भर्तियों की सीबीआई जांच के लिए आंदोलनों की अगुवाई के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश पांडेय का कहना है कि इस पर विधिक राय ली गई है। अधिवक्ताओं के निर्देशन में याचिका तैयार कराई जा रही है। जल्द ही दाखिल की जाएगी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर अनिल यादव की नियुक्ति अवैध होने के बाद उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की वैधानिकता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। प्रतियोगियों की ओर से उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों को भी रद्द करने की मांग शुरू हो गई है।
इस बारे में दशहरा बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी जिसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।
अनिल यादव के ढाई वर्ष के कार्यकाल में तकरीबन 250 तरह की भर्तियों में 40 हजार पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। इनमें से 237 तरह की तो सीधी भर्तियां यानी, जिनमें सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर चयन हुआ। चयनितों में अधिसंख्य एक जाति विशेष के हैं। अनिल यादव की नियुक्ति रद्द होने के बाद ये भर्तियां भी फंसती दिख रही हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग की याचिका पहले ही दाखिल हो चुकी है। प्रतियोगियों का कहना है कि अनिल यादव की नियुक्ति हाईकोर्ट ने अवैध कर दी है। इसलिए इनके समय में हुई भर्तियां भी अवैध हैं सो इन्हें रद्द किया जाना चाहिए। प्रतियोगियों के एक वर्ग ने इस मांग को लेकर आंदोलन करने की घोषणा की है। वहीं दूसरा वर्ग हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी में है। उनके कार्यकाल की नियुक्ति तथा भर्तियों की सीबीआई जांच के लिए आंदोलनों की अगुवाई के साथ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश पांडेय का कहना है कि इस पर विधिक राय ली गई है। अधिवक्ताओं के निर्देशन में याचिका तैयार कराई जा रही है। जल्द ही दाखिल की जाएगी।
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