प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े एक अहम मामले में चार शिक्षकों के पक्ष में राहतभरा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इन शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेशों को रद्द करते हुए उनकी बहाली के निर्देश दिए हैं। यह निर्णय हजारों अभ्यर्थियों और कार्यरत शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि चयन प्रक्रिया में हुई किसी त्रुटि से अभ्यर्थी को कोई अनुचित लाभ नहीं मिला और गलती जानबूझकर नहीं की गई, तो ऐसे मामलों में सहानुभूतिपूर्ण और सद्भावनापूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। केवल तकनीकी या मानवीय भूल के आधार पर किसी शिक्षक की नौकरी समाप्त करना उचित नहीं है।
क्यों हुई थी बर्खास्तगी
69,000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया के दौरान कुछ दस्तावेज़ी व प्रक्रिया संबंधी त्रुटियों के आधार पर इन चार शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। शिक्षकों ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
बहाली के आदेश
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि
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चारों शिक्षकों को पुनः सेवा में लिया जाए,
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उनकी नियुक्ति को वैध माना जाए,
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और भविष्य में ऐसे मामलों में अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) के तहत निष्पक्ष निर्णय लिया जाए।
अन्य शिक्षकों के लिए क्या संकेत
यह फैसला उन शिक्षकों और अभ्यर्थियों के लिए नजीर बन सकता है, जिनकी नियुक्ति भर्ती प्रक्रिया की त्रुटियों के कारण खतरे में पड़ी है, जबकि उनकी कोई व्यक्तिगत गलती या धोखाधड़ी नहीं पाई गई।
शिक्षा जगत में असर
इस निर्णय के बाद शिक्षक संगठनों में संतोष की लहर है। माना जा रहा है कि इससे भर्ती मामलों में मानवीय दृष्टिकोण, न्यायसंगत कार्रवाई और अनावश्यक बर्खास्तगी पर रोक लगेगी।
निष्कर्ष:
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो यह स्पष्ट करता है कि ईमानदार अभ्यर्थियों को प्रक्रिया की गलतियों की सजा नहीं दी जा सकती।