69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार शिक्षकों की बर्खास्तगी रद्द कर बहाली के दिए आदेश

 प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित 69000 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े एक अहम मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चार शिक्षकों के सेवा समाप्ति आदेशों को रद्द करते हुए उन्हें पुनः बहाल करने का निर्देश दिया है। इस निर्णय को भर्ती से जुड़े हजारों अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

क्या था मामला

69000 सहायक अध्यापक भर्ती के दौरान कुछ अभ्यर्थियों पर अंक विसंगति (मार्क्स डिस्क्रेपेंसी) का आरोप लगाते हुए उनकी नियुक्ति समाप्त कर दी गई थी। प्रभावित शिक्षकों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि संबंधित मामलों में कोई जानबूझकर की गई गड़बड़ी नहीं थी और न ही शिक्षकों को इससे कोई अनुचित लाभ मिला।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

न्यायालय ने कहा कि यदि अभ्यर्थी की ओर से कोई दुर्भावनापूर्ण कृत्य नहीं है और त्रुटि तकनीकी या विश्वविद्यालय स्तर पर हुई है, तो ऐसे मामलों में सहानुभूतिपूर्ण और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना ठोस आधार के की गई बर्खास्तगी अनुचित और असंवैधानिक है।

किन मामलों में राहत नहीं

हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि यदि किसी अभ्यर्थी ने जानबूझकर गलत अंक दर्शाकर लाभ लिया है, तो उसे किसी प्रकार की राहत नहीं मिलेगी। केवल उन्हीं मामलों में संरक्षण दिया जाएगा, जहां त्रुटि अनजाने में हुई हो।

भर्ती से जुड़े अभ्यर्थियों के लिए राहत

इस फैसले से 69000 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े उन शिक्षकों और अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है, जिनकी नियुक्ति तकनीकी कारणों से रद्द कर दी गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भविष्य में समान मामलों के लिए नजीर साबित हो सकता है।

निष्कर्ष

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला न सिर्फ चार शिक्षकों के लिए न्याय की जीत है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सरकारी भर्तियों में मानवीय और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण जरूरी है। 69000 सहायक अध्यापक भर्ती विवाद में यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है।

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