भारतीय भाषाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को मजबूत करने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों में विशेष पहल शुरू की जा रही है। इस योजना के तहत छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों के साथ-साथ अभिभावकों और बाहरी व्यक्तियों को भी विभिन्न भारतीय भाषाएं सीखने का अवसर मिलेगा। छात्रों को प्रोत्साहन (इंसेंटिव) दिया जाएगा, जबकि शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों में अतिरिक्त वेटेज प्रदान किया जाएगा।
यूजीसी की पहल, सभी विश्वविद्यालयों में तैयारी शुरू
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पहल पर सभी विश्वविद्यालय अपनी मातृभाषा के साथ एक अन्य भारतीय भाषा सिखाने की व्यवस्था करेंगे। इसका उद्देश्य लोगों को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ दूसरी क्षेत्रीय और अन्य भारतीय भाषाओं का सहज ज्ञान उपलब्ध कराना है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 अनुसूचित भाषाओं में से किसी एक भाषा को सीखने के लिए छात्रों सहित अन्य लोगों को प्रेरित किया जाएगा। इनमें पंजाबी, गुजराती, असमिया, बंगाली जैसी भाषाएं शामिल होंगी।
त्रिस्तरीय पाठ्यक्रम, मिलेगा क्रेडिट का लाभ
भारतीय भाषाओं का यह कार्यक्रम ‘भाषा क्षमता संवर्द्धन’ कोर्स के रूप में चलाया जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानों में इसे तीन स्तरों—बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस्ड—में संचालित किया जाएगा। छात्रों को इन कोर्सों में क्रेडिट अर्जित करने की सुविधा होगी। स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तर पर अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। स्नातक स्तर पर तीन माइनर कोर्स और एक क्रेडिट फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा।
क्रेडिट ट्रांसफर और पात्रता शर्तें
च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत छात्रों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में पढ़ाई करने और क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा मिलेगी। पात्रता के लिए इंटरमीडिएट पास होना और 16 वर्ष की आयु पूरी करना आवश्यक होगा। आईटीआई के छात्रों को आयु सीमा में छूट दी जाएगी। एक छात्र एक क्षेत्रीय भाषा और दो अन्य भारतीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर सकेगा।
भाषा गुरु और भाषा दूत होंगे तैयार
भारतीय भाषाओं की पढ़ाई के लिए संस्थानों में प्रशिक्षकों को तैयार किया जाएगा, जिन्हें ‘भाषा गुरु’ कहा जाएगा। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले विद्यार्थियों और अन्य प्रतिभागियों को ‘भाषा दूत’, ‘भाषा मित्र’, ‘भाषा प्रेरक’ और ‘लिपि गौरव’ जैसी उपाधियां दी जाएंगी।
11 दिसंबर को मनाया जाएगा भारतीय भाषा उत्सव
हर वर्ष 11 दिसंबर को ‘भारतीय भाषा उत्सव’ मनाया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को दीक्षांत समारोह और भारतीय भाषा उत्सव के दौरान सम्मानित किया जाएगा। यह पहल न केवल भाषाई विविधता को सशक्त करेगी, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती देगी।