यूपी बेसिक शिक्षा विभाग 2025: समायोजन, नीति अस्पष्टता और शिक्षकों की समस्याएँ

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग (UP Basic Education Department) ने 2025 में कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय लिए, जिससे विभाग में भारी अस्थिरता और ऊथल-पुथल मची हुई है। समायोजन, मर्जर, ऑनलाइन अटेंडेंस, TET फैसले और B.Ed ब्रिज कोर्स जैसी प्रक्रियाएँ इस वर्ष शिक्षक समुदाय के लिए चिंता का विषय बनी हैं।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से उन सभी मुद्दों की चर्चा करेंगे, जो इस वर्ष बेसिक शिक्षा विभाग में उभरे, और साथ ही उनका विश्लेषण करेंगे कि शिक्षक और प्रशासन कैसे प्रभावित हुए हैं।


वर्ष 2025 में बेसिक शिक्षा विभाग में हुई ऊथल-पुथल

1. मर्जर के नाम पर बदलाव

इस वर्ष विभाग ने कई विद्यालयों का मर्जर किया।

प्रभाव:

  • कई शिक्षकों को मनमाने ढंग से स्थानांतरित किया गया।

  • नीति स्पष्ट न होने के कारण विवाद बढ़ा।

  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच संसाधनों का असंतुलन उत्पन्न हुआ।

विश्लेषण:
मर्जर का उद्देश्य था प्रशासनिक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, लेकिन बिना नीति और स्पष्ट दिशा-निर्देश के यह केवल शिक्षक असंतोष और अनिश्चितता बढ़ाने का काम कर गया।


2. ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली

ऑनलाइन अटेंडेंस (Online Attendance) का उद्देश्य था उपस्थिति का डिजिटल रिकॉर्ड बनाना, लेकिन इसे लागू करते समय कई तकनीकी और प्रशासनिक समस्याएँ सामने आईं।

मुख्य समस्याएँ:

  • शिक्षक “On Duty” विकल्प का सही इस्तेमाल नहीं कर पाए।

  • प्रशिक्षण की कमी के कारण शिक्षकों को समय और प्रयास का नुकसान हुआ।

  • तकनीकी गड़बड़ी और पोर्टल की समस्याएँ।

विश्लेषण:
ऑनलाइन अटेंडेंस का विचार अच्छा था, लेकिन शिक्षक प्रशिक्षण और पोर्टल सॉफ्टवेयर में सुधार के बिना यह प्रक्रिया पूरी तरह असफल रही।


3. अवैध और अनियमित समायोजन

समायोजन (Transfer/Adjustment) के नाम पर कई अनियमितताएँ और मनमानी हुईं।

मुख्य बिंदु:

  • शिक्षक मनमाने ढंग से विभिन्न विद्यालयों में भेजे गए।

  • पदों का संतुलन सही तरीके से नहीं रखा गया।

  • कई शिक्षकों को एकल विद्यालयों में तैनात किया गया।

विश्लेषण:
साफ नीति न होने और समायोजन प्रक्रिया की पारदर्शिता न होने के कारण शिक्षक मनोनुकूल और उचित पद नहीं प्राप्त कर पाए।


4. TET (Teacher Eligibility Test) का निर्णय – सबसे घातक

TET के फैसले ने विभागीय प्रक्रिया पर सबसे गंभीर प्रभाव डाला।

प्रभाव:

  • पुराने और नए नियुक्त शिक्षक दोनों असुरक्षित हुए।

  • कई शिक्षक आर्थिक और पेशेवर रूप से प्रभावित हुए।

विश्लेषण:
TET का उद्देश्य शिक्षक गुणवत्ता सुधारना था, लेकिन अस्थायी फैसले और अस्पष्ट दिशा-निर्देश ने शिक्षकों में असंतोष पैदा किया।


5. SIR (School Information Report) का बोझ

इस वर्ष अधिकतर शिक्षक SIR के काम में व्यस्त रहे।

समस्या:

  • शिक्षक अपने शिक्षण कार्य में समय नहीं दे पाए।

  • SIR का काम तकनीकी और रिपोर्टिंग में जटिल रहा।

विश्लेषण:
SIR की जिम्मेदारी एक आवश्यक प्रशासनिक कार्य है, लेकिन शिक्षक अगर प्रशिक्षित और सुसज्जित न हों, तो उनका प्राथमिक कार्य प्रभावित होता है।


6. पुनः समायोजन की योजना

विभाग ने फिर से समायोजन की प्रक्रिया शुरू की, जिससे कई शिक्षक भ्रमित और असुरक्षित हैं।

मुख्य बिंदु:

  • एकल विद्यालयों को दो या तीन कर दिया गया।

  • नीति अस्पष्ट और संतुलनहीन है।

विश्लेषण:
समायोजन केवल नई भर्ती और पदोन्नति के साथ ही स्थायी रूप से सही किया जा सकता है।


7. नए B.Ed शिक्षकों का ब्रिज कोर्स

नए B.Ed शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स लागू किया गया।

उद्देश्य:

  • नए शिक्षकों को शिक्षण और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित करना।

चुनौतियाँ:

  • संसाधन और समय की कमी।

  • प्रशिक्षण प्रभावशीलता अभी अस्पष्ट।


8. वेतन कटौती और नियम

वेतन कटौती जैसी प्रक्रियाएँ नियमित रूप से जारी रहीं।

विश्लेषण:

  • यह मुद्दा नया नहीं है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है।

  • शिक्षक इससे अपेक्षित रूप से प्रभावित हुए, लेकिन यह मुख्य समस्या नहीं, केवल सहायक चुनौती थी।


9. पदों और समायोजन की असमानता

  • पिछले दो समायोजन से कई शिक्षक मनमाने विद्यालय में तैनात हो गए।

  • UPS में पद भरे गए, PS में हेड पद खत्म किए गए।

  • परिणाम: एकल विद्यालयों को समायोजन के नाम पर दो या तीन कर दिया गया

विश्लेषण:

  • नीति स्पष्ट न होने से शिक्षक असंतुष्ट हैं।

  • केवल नई भर्ती और वास्तविक पदोन्नति से संतुलन संभव है।


सुधार के सुझाव

  1. स्पष्ट नीति बनाएं: समायोजन और मर्जर की नीति स्पष्ट और सार्वजनिक हो।

  2. नई भर्ती और पदोन्नति: शिक्षकों की समस्याओं का स्थायी समाधान नई भर्ती और वास्तविक पदोन्नति से संभव है।

  3. निपुण आकलन: सभी निर्णयों में वास्तविक आंकलन और निपुण मूल्यांकन आवश्यक है।

  4. प्रशिक्षण और तकनीकी सशक्तिकरण: शिक्षक और प्रशासन दोनों को तकनीकी और प्रशासनिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

  5. डिजिटल प्रणाली का सुधार: ऑनलाइन अटेंडेंस और SIR सिस्टम को अपडेट और यूज़र फ्रेंडली बनाया जाए।

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