महराजगंज: आरक्षण का लाभ लेने के लिए जिन महिला अभ्यर्थियों ने अपने
पति का जाति प्रमाण पत्र लगाकर आवेदन किया था। उनकी मुसीबत बढ़ गई है।
शिक्षा विभाग ऐसे अभ्यर्थियों को एक सिरे से नकारते हुए उनके पिता का जाति
प्रमाण पत्र मांग रहा है। हद तो यह है कि अब जो अभ्यर्थी अपने पिता का जाति
प्रमाण पत्र जमा कर रहा है, तो उन्हें नियमों के जाल में उलझा कर हलकान
किया जा रहा है।
72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए काउंसिलिंग हुई। महराजगंज में 2499 सीट के सापेक्ष करीब कुल पचीस हजार अभ्यर्थियों ने काउंसिलिंग कराई थी। जब इन्होंने काउंसिलिंग कराई तो अभिलेखों की जांच के दौरान सभी अभिलेख पास हो गए। लेकिन जब नियुक्ति पत्र देने का समय आया तो, करीब 21 प्रशिक्षु शिक्षकों को नियमों के जाल में उलझा दिया गया। बताया गया कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए विवाहित अभ्यर्थियों के लिए पिता का जाति प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। पति का जाति प्रमाण मान्य नहीं है। लेकिन पिछले दिन दिनों से बीएसए के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची गोरखपुर की पिंकी ने बताया कि उन्होंने पहले आवेदन में पति का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। तो यह कहा गया कि पिता का जाति प्रमाण लगाएं। जब पिता का प्रमाण पत्र लगा दिया गया। तो अधिकारी द्वारा कहा जा रहा है कि जब मूल अभिलेख में पति का तथा अब पिता का लगाया जा रहा है। ऐसे में निदेशक से आदेश प्राप्त होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। यही हाल गोरखपुर की अनिता सिंह, अर्चना यादव, बृजमनगंज की जया जायसवाल का भी है। इन्होंने कहा कि जब काउंसिलिंग हुई थी, तो क्यों नहीं बताया गया, यह तो विभाग की लापरवाही है और खामियाजा हम लोग को भुगतना पड़ रहा है। इनके बारे में निर्णय कब लिया जाएगा। विभाग अनजान है, वह सिर्फ सारा मामला निदेशक पर छोड़ रहा है।
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72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए काउंसिलिंग हुई। महराजगंज में 2499 सीट के सापेक्ष करीब कुल पचीस हजार अभ्यर्थियों ने काउंसिलिंग कराई थी। जब इन्होंने काउंसिलिंग कराई तो अभिलेखों की जांच के दौरान सभी अभिलेख पास हो गए। लेकिन जब नियुक्ति पत्र देने का समय आया तो, करीब 21 प्रशिक्षु शिक्षकों को नियमों के जाल में उलझा दिया गया। बताया गया कि आरक्षण का लाभ लेने के लिए विवाहित अभ्यर्थियों के लिए पिता का जाति प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। पति का जाति प्रमाण मान्य नहीं है। लेकिन पिछले दिन दिनों से बीएसए के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंची गोरखपुर की पिंकी ने बताया कि उन्होंने पहले आवेदन में पति का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। तो यह कहा गया कि पिता का जाति प्रमाण लगाएं। जब पिता का प्रमाण पत्र लगा दिया गया। तो अधिकारी द्वारा कहा जा रहा है कि जब मूल अभिलेख में पति का तथा अब पिता का लगाया जा रहा है। ऐसे में निदेशक से आदेश प्राप्त होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। यही हाल गोरखपुर की अनिता सिंह, अर्चना यादव, बृजमनगंज की जया जायसवाल का भी है। इन्होंने कहा कि जब काउंसिलिंग हुई थी, तो क्यों नहीं बताया गया, यह तो विभाग की लापरवाही है और खामियाजा हम लोग को भुगतना पड़ रहा है। इनके बारे में निर्णय कब लिया जाएगा। विभाग अनजान है, वह सिर्फ सारा मामला निदेशक पर छोड़ रहा है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रमाकांत ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण
के बारे में निदेशक से जैसा निर्देश प्राप्त होगा। उसी अनुसार कार्रवाई की
जाएगी। लेकिन कब तक निदेशक से वार्ता कर इसके लिए प्रयास किया जाएगा, इसका
सटीक जवाब नहीं दे सके।
डायट प्राचार्य अशोक चौरसिया ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र संबंधी दिशा निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को जारी किया गया है। यह भी कहा गया कि वे अभ्यर्थियों से शपथ पत्र प्राप्त कर लें। यदि प्रमाण पत्र गलत है, तो नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। जाति प्रमाण पत्र संबंधी समस्या को लेकर शुक्रवार को प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार मिश्र अपर जिलाधिकारी एसएस श्रीवास्तव ने मिले। एसडीएम ने फोन पर बीएसए से वार्ता की, फटकारा भी। कहा, बच्चों के भविष्य का विषय है। आखिर कब तक अभ्यर्थियों को निदेशक के आदेश का हवाला देकर लटकाए रखेंगे। यह गंभीर विषय है। बावजूद प्रकरण जहां के तहां ठस पड़ा है। प्रभारी जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा कि सब कुछ शासनादेश के तहत होगा। इसमें कहीं से गड़बड़ी नहीं होगी। प्रकरण गंभीर है। इसको देखा जाएगा। न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।
डायट प्राचार्य अशोक चौरसिया ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र संबंधी दिशा निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को जारी किया गया है। यह भी कहा गया कि वे अभ्यर्थियों से शपथ पत्र प्राप्त कर लें। यदि प्रमाण पत्र गलत है, तो नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। जाति प्रमाण पत्र संबंधी समस्या को लेकर शुक्रवार को प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार मिश्र अपर जिलाधिकारी एसएस श्रीवास्तव ने मिले। एसडीएम ने फोन पर बीएसए से वार्ता की, फटकारा भी। कहा, बच्चों के भविष्य का विषय है। आखिर कब तक अभ्यर्थियों को निदेशक के आदेश का हवाला देकर लटकाए रखेंगे। यह गंभीर विषय है। बावजूद प्रकरण जहां के तहां ठस पड़ा है। प्रभारी जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा कि सब कुछ शासनादेश के तहत होगा। इसमें कहीं से गड़बड़ी नहीं होगी। प्रकरण गंभीर है। इसको देखा जाएगा। न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।
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