10,000 तक बढ़ सकती इनकम टैक्स छूट की सीमा
वित्त मंत्री अरुण जेटली के अमेरिका से लौटने के बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा
टैक्स मोर्चे पर मोदी सरकार के पहले फुल बजट से मिडल क्लास को निराशा हाथ लगी है। इसका अहम कारण यह है कि बजट में जहां कॉरपोरेट टैक्स मोर्चे पर राहत का ऐलान किया गया है, वहीं पर्सनल इनकम टैक्स में छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है। सरकार इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, पीएमओ ने इस बारे में वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू कर दी है। इनकम टैक्स छूट सीमा में कुछ राहत देने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस बात पर आम सहमति बन रही है कि इनकम टैक्स छूट सीमा में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी का तोहफा आम टैक्सपेयर्स को दिया जाए। इससे सरकारी खजाने पर महज 3,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अमेरिका से लौटने के बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर इस पर सहमति बनती है, तो फाइनेंस बिल पर चर्चा के दौरान जेटली इस बात का ऐलान सदन में कर सकते हैं। आम टैक्सपेयर्स के लिए फिलहाल इनकम टैक्स में छूट सीमा 2.50 लाख रुपये है। सीनियर सिटीजंस के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये है।
संतुलित रवैये का अभाव
बजट के बाद वित्त मंत्रालय को जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली है, उससे यह संदेश जा रहा है कि आम आदमी इससे खुश नहीं है। आम आदमी को लग रहा है कि इस बजट में संतुलित रवैया नहीं अपनाया गया है। इसका झुकाव कॉरपोरेट सेक्टर और ग्रोथ की तरफ है। हालांकि, बजट में सेविंग को अहमियत देते हुए मिडल क्लास को सेविंग के बदले टैक्स में छूट दी गई है। लेकिन, मिडल क्लास इससे खुश नहीं है। उसका कहना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में उसके पास सेविंग करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
सरकार की सोच
राजस्व सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि यह कहना गलत है कि इसमें मिडल क्लास को कुछ नहीं दिया गया। उनके मुताबिक, अगर गौर से देखा जाए तो मिडल क्लास इस बजट से ज्यादा लाभान्वित हो सकता है। हालांकि, उसे अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग सही तरीके से करनी होगी।
कितनी छूट उठाने में सक्षम
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स में डायरेक्ट रूप से छूट इसलिए नहीं दी, क्योंकि उनका जोर वित्तीय घाटा कम करने पर था। पीएमओ का कहना था कि किसी भी हालत में वित्तीय घाटा तय लक्ष्य से कम रहे। वित्तीय घाटे को कम करने के लिए टैक्स कलेक्शन बढ़ाना जरूरी है। साथ ही, पीएमओ से यह बात भी कही गई कि भारत में जिस तरह की इनकम टैक्स छूट सीमा और स्लैब है, वह इंटरनैशनल मानक पर खरी उतरती है।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
वित्त मंत्री अरुण जेटली के अमेरिका से लौटने के बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा
टैक्स मोर्चे पर मोदी सरकार के पहले फुल बजट से मिडल क्लास को निराशा हाथ लगी है। इसका अहम कारण यह है कि बजट में जहां कॉरपोरेट टैक्स मोर्चे पर राहत का ऐलान किया गया है, वहीं पर्सनल इनकम टैक्स में छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई है। सरकार इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, पीएमओ ने इस बारे में वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू कर दी है। इनकम टैक्स छूट सीमा में कुछ राहत देने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस बात पर आम सहमति बन रही है कि इनकम टैक्स छूट सीमा में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी का तोहफा आम टैक्सपेयर्स को दिया जाए। इससे सरकारी खजाने पर महज 3,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अमेरिका से लौटने के बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर इस पर सहमति बनती है, तो फाइनेंस बिल पर चर्चा के दौरान जेटली इस बात का ऐलान सदन में कर सकते हैं। आम टैक्सपेयर्स के लिए फिलहाल इनकम टैक्स में छूट सीमा 2.50 लाख रुपये है। सीनियर सिटीजंस के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये है।
संतुलित रवैये का अभाव
बजट के बाद वित्त मंत्रालय को जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली है, उससे यह संदेश जा रहा है कि आम आदमी इससे खुश नहीं है। आम आदमी को लग रहा है कि इस बजट में संतुलित रवैया नहीं अपनाया गया है। इसका झुकाव कॉरपोरेट सेक्टर और ग्रोथ की तरफ है। हालांकि, बजट में सेविंग को अहमियत देते हुए मिडल क्लास को सेविंग के बदले टैक्स में छूट दी गई है। लेकिन, मिडल क्लास इससे खुश नहीं है। उसका कहना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में उसके पास सेविंग करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
सरकार की सोच
राजस्व सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि यह कहना गलत है कि इसमें मिडल क्लास को कुछ नहीं दिया गया। उनके मुताबिक, अगर गौर से देखा जाए तो मिडल क्लास इस बजट से ज्यादा लाभान्वित हो सकता है। हालांकि, उसे अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग सही तरीके से करनी होगी।
कितनी छूट उठाने में सक्षम
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स में डायरेक्ट रूप से छूट इसलिए नहीं दी, क्योंकि उनका जोर वित्तीय घाटा कम करने पर था। पीएमओ का कहना था कि किसी भी हालत में वित्तीय घाटा तय लक्ष्य से कम रहे। वित्तीय घाटे को कम करने के लिए टैक्स कलेक्शन बढ़ाना जरूरी है। साथ ही, पीएमओ से यह बात भी कही गई कि भारत में जिस तरह की इनकम टैक्स छूट सीमा और स्लैब है, वह इंटरनैशनल मानक पर खरी उतरती है।
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