राज्य ब्यूरो, शिमला : शिक्षा नीति ऐसी हो, जिसमें स्कूलों में अध्यापक का केवल पढ़ाने का ही कार्य होना चाहिए। वर्तमान में स्कूलों मे पढ़ाने के अतिरिक्त भी अन्य कार्य लाद दिए गए है। शिक्षक का पढ़ाना प्राथमिक कार्य है, जबकि अन्य कायरें की वजह से पढ़ाने में बाधाएं उत्पन्न हो रही है। अनुबंध अध्यापक संघ ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि पूरे देश में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया एक समान हो। प्रदेश सरकारें अपने-अपने हिसाब से अध्यापकों की नियुक्तिया कर रही है।
एक समान नीति नहीं है और इनकी वजह से ही शिक्षा क्षेत्र मे अस्थिरता का माहौल है। संघ के महासचिव राजेश ने कहा कि कोई भी शिक्षा नीति तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक शिक्षकों के हितों की रक्षा नहीं की जाती सबसे पहले शिक्षा विभाग मे अध्यापकों की अनुबंध व अन्य तरीकों से नियुक्तियों पर रोक लगनी चाहिए। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों से नियुक्त होने पर केवल नियमित अधार पर नियुक्तिया मिलनी चाहिए व भविष्य में अन्य सभी माध्यमों से नियुक्तियों पर रोक लगनी चाहिए। शिक्षा क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र है जहां एक स्कूल में उतने विषयों के अध्यापक नहीं, जितनी उनके नियुक्ति के वर्ग बन चुके है। प्रत्येक विद्यालय में एक प्रश्नोत्तरी भेजी जाए, जिसमें विभिन्न बिंदु हो और उन पर प्रत्येक शिक्षक व वहां पढ़ने वाले बच्चों की राय भी ली जा सके। संघ के मुताबिक इसके बाद ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंतिम रूप दिया जाए।
सम्मेलन में न बुलाने पर उखड़े शिक्षक
शिक्षा नीति में बदलाव के लिए प्रदेश में हुए सम्मेलन में न बुलाने पर शिक्षक उखड़ गए हैं। हिमाचल प्रदेश अनुबंध अध्यापक संघ का कहना है कि मामले पर उनकी राय न लेकर विभाग ने शिक्षकों से मजाक किया है। शिक्षकों को बिना भरोसे में लिए कैसे कोई नीति बन सकती है। नीतियों को अगर उच्च अधिकारी बनाते हैं तो उसको धरातल पर शिक्षक ही लागू करता है और उसके गुण-दोष को वह बेहतर जानता है।
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