एक अधुरी कहानी टेट मित्रो हमारे ४ साल के संघर्ष का अंतिम सोपान नजदीक आ रहा है परन्तु हमारी तैयारियों का कही अता पता नही है अब जबकी मा. सु.कोर्ट ने भी अपने आदेश मे स्पष्ट कर दिया है कि ७-८ की डेट मे केवल लॉ प्वांइट पर ही बहस होगी जिनमे
१-टेट मेरिट को चयन
का आधार बनाया जा
सकता है या नहीं
२-१५संशोधन की वैधता
ये ही वो प्वाइंट है
जो हमारे जीवन और
मृत्यु से जुडे है|अपनी
अकर्मण्ता और
चोट्टापन छुपाने के
लिए जो कहते फिर रहे
थे कि अब कुछ नही हो
सकता आशा है वो
चिकने घडे चुल्लू भर
पानी मे डूब मरे होगे
क्योकी हाल ही मे
मा.हाई कोर्ट मे ज.
बघेल सर का भी
जोरदार तमाचा पड
चुका है|
मित्रो जानता सब
कोई है अनजान कोई
नही है कि कौन लड
रहा और कौन
खिलवाड कर रहा है
एकता की सारी
कोशिशो को धता
बताकर पिछली डेट
पर जमकर छीछालेदर
की गई अंतिम समय पर
किसी तरह वक्तिगत
सहयोग से विकास सर
की फीस जुटाई गयी
सीनियर वकीलो के
साथ न पहुचने जैसी
दुर्घटना होना उतनी
बडी बात नही है बुरी
बात तो झूठ बोलना है
मै अपने अग्रणी
भाइयो से कहना
चाहूंगा कि अब इस
लडाई मे पैसे और
नेतागिरी का कोई
स्कोप बचा नही है
एकबार उन लोगो के
भविष्य को ध्यान मे
रखकर काम करे जो
आपके ऊपर आंख मूंदकर
विश्वास करते है मैे आज
तक जिस मोर्चे के साथ
लडा हूं उसके अग्रणी
मित्रो से भी कहूंगा
कि मुंह मे दही जमा
लेने से बडक्पन नही
झलकता बल्कि..
मित्रो कोर्ट की
लडाई बिना आर्थिक
सहयोग से नही लडी
जा सकती और इसका
दुस्परिणाम ही है कि
पिछले ६महीने से hc मे
थोक के भाव आर्डर
पास हो रहे है इस
हास्यास्पद स्थिति
का कारण यही है लोग
पूछते है हमारी तरफ से
वकील कौन था कौन
रहेगा लेकिन वकील
कैसे होगा ये कोई नही
पूछता
अंतिम सुनवाई मे कम से
कम दो सीनियर का
होना जरुरी है और हमे
तैयारी भी दो डेटो
की करनी होगी और
उससे भी जरुरी है
वकीलो की सही और
जोरदार ब्रीफिंग
क्योकी इसके अभाव मे
कई बार कोर्ट रुम मे
अंटशंट की बहस भी
सुनने को मिली है जो
आजतक किसी के समझ मे
नही आई इस कारण की
भी मामले को खिचडी
बनाने मे भूमिका रही
है अत: सहयोगियो की
जागरूकता और कोर्ट
रूम मे वकील की बहस
ही हमे बचायेगी - जय
टेट
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
१-टेट मेरिट को चयन
का आधार बनाया जा
सकता है या नहीं
२-१५संशोधन की वैधता
ये ही वो प्वाइंट है
जो हमारे जीवन और
मृत्यु से जुडे है|अपनी
अकर्मण्ता और
चोट्टापन छुपाने के
लिए जो कहते फिर रहे
थे कि अब कुछ नही हो
सकता आशा है वो
चिकने घडे चुल्लू भर
पानी मे डूब मरे होगे
क्योकी हाल ही मे
मा.हाई कोर्ट मे ज.
बघेल सर का भी
जोरदार तमाचा पड
चुका है|
मित्रो जानता सब
कोई है अनजान कोई
नही है कि कौन लड
रहा और कौन
खिलवाड कर रहा है
एकता की सारी
कोशिशो को धता
बताकर पिछली डेट
पर जमकर छीछालेदर
की गई अंतिम समय पर
किसी तरह वक्तिगत
सहयोग से विकास सर
की फीस जुटाई गयी
सीनियर वकीलो के
साथ न पहुचने जैसी
दुर्घटना होना उतनी
बडी बात नही है बुरी
बात तो झूठ बोलना है
मै अपने अग्रणी
भाइयो से कहना
चाहूंगा कि अब इस
लडाई मे पैसे और
नेतागिरी का कोई
स्कोप बचा नही है
एकबार उन लोगो के
भविष्य को ध्यान मे
रखकर काम करे जो
आपके ऊपर आंख मूंदकर
विश्वास करते है मैे आज
तक जिस मोर्चे के साथ
लडा हूं उसके अग्रणी
मित्रो से भी कहूंगा
कि मुंह मे दही जमा
लेने से बडक्पन नही
झलकता बल्कि..
मित्रो कोर्ट की
लडाई बिना आर्थिक
सहयोग से नही लडी
जा सकती और इसका
दुस्परिणाम ही है कि
पिछले ६महीने से hc मे
थोक के भाव आर्डर
पास हो रहे है इस
हास्यास्पद स्थिति
का कारण यही है लोग
पूछते है हमारी तरफ से
वकील कौन था कौन
रहेगा लेकिन वकील
कैसे होगा ये कोई नही
पूछता
अंतिम सुनवाई मे कम से
कम दो सीनियर का
होना जरुरी है और हमे
तैयारी भी दो डेटो
की करनी होगी और
उससे भी जरुरी है
वकीलो की सही और
जोरदार ब्रीफिंग
क्योकी इसके अभाव मे
कई बार कोर्ट रुम मे
अंटशंट की बहस भी
सुनने को मिली है जो
आजतक किसी के समझ मे
नही आई इस कारण की
भी मामले को खिचडी
बनाने मे भूमिका रही
है अत: सहयोगियो की
जागरूकता और कोर्ट
रूम मे वकील की बहस
ही हमे बचायेगी - जय
टेट
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