वकीलों के किसी भी तरह सुनवाई टालने की चाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी
नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि लंबित मामलों में कमी लाने के लिए
वकीलों का सहयोग जरूरी है लेकिन कई वकील सुनवाई टालने के
लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों ने मजाक बनाकर रख दिया है।
आखिरकार गैंगवार के एक मामले में वकीलों को बहस करने को मजबूर होना पड़ा। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि न्यायपालिका के अच्छे कामों में तो वकील खुद को सहभागी मानते हैं लेकिन जब निंदा होती है तो वे खुद को अलग कर लेते हैं।
पीठ ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल में हुए गैंगवार के एक मामले के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। वास्तव में एक पक्ष के वकील ने यह कहते हुए सुनवाई टालने के लिए गुहार लगाई की कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की तबीयत ठीक नहीं है।
इस पर पीठ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि लोग जेल में हैं और आप सुनवाई टालने की गुहार कर रहे हैं। ये लोग छह महीने से अपने मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे थे और आप सुनवाई को टालना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि आखिर यह हो क्या रहा है। अगर वकील सहयोग नहीं करेंगे तो यह संस्था कैसे आगे बढ़ेगी। जवाब में वकील ने सुनवाई दो दिनों के लिए टालने की गुहार लगाई। इस पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति ठाकुर ने वकील से कहा कि आप क्या समझते हैं हमारे पास कोई काम नहीं है। क्या हमें उस दिन कोई काम नहीं है। पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सुनवाई नहीं टाली जाएगी। आपको बहस करनी ही होगी। अदालत के रुख को देखते हुए आखिरकार दोनों पक्षों के वकीलों को बहस करनी ही पड़ी।
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आखिरकार गैंगवार के एक मामले में वकीलों को बहस करने को मजबूर होना पड़ा। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि न्यायपालिका के अच्छे कामों में तो वकील खुद को सहभागी मानते हैं लेकिन जब निंदा होती है तो वे खुद को अलग कर लेते हैं।
पीठ ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल में हुए गैंगवार के एक मामले के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। वास्तव में एक पक्ष के वकील ने यह कहते हुए सुनवाई टालने के लिए गुहार लगाई की कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की तबीयत ठीक नहीं है।
इस पर पीठ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि लोग जेल में हैं और आप सुनवाई टालने की गुहार कर रहे हैं। ये लोग छह महीने से अपने मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे थे और आप सुनवाई को टालना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि आखिर यह हो क्या रहा है। अगर वकील सहयोग नहीं करेंगे तो यह संस्था कैसे आगे बढ़ेगी। जवाब में वकील ने सुनवाई दो दिनों के लिए टालने की गुहार लगाई। इस पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति ठाकुर ने वकील से कहा कि आप क्या समझते हैं हमारे पास कोई काम नहीं है। क्या हमें उस दिन कोई काम नहीं है। पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सुनवाई नहीं टाली जाएगी। आपको बहस करनी ही होगी। अदालत के रुख को देखते हुए आखिरकार दोनों पक्षों के वकीलों को बहस करनी ही पड़ी।
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