नई दिल्ली (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
वर्ग के अधिकारियों के डिमोशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर
दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिकारियों को अपने विभाग के प्रमुख सचिव के
समक्ष अपनी शिकायत रखने को कहा है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य के तमाम विभागों के प्रमुख सचिवों से आठ हफ्ते के भीतर शिकायतों का निपटारा करने के लिए कहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता अधिकारियों से कहा कि अगर इसके बाद भी वे संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वास्तव में उत्तर प्रदेश में विभिन्न विभागों में काम करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुछ अधिकारियों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि गलत तरीके से उनको डिमोट किया गया है। उनकी पदोन्नति रूटीन प्रक्रिया थी। लिहाजा उन्हें डिमोट नहीं किया जाना चाहिए।
वर्ष 2007 में यूपी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण देने का निर्णय लिया था। इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में यूपी सरकार की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जिन्हें को 2007 की अधिसूचना के तहत पदोन्नति दी गई थी कि उन्हें डिमोट किया जाए। इस मामले में यूपी पर अवमानना की कार्यवाही का खतरा भी था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने से इनकार कर दिया था।
•सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान सचिवों को आठ हफ्ते के भीतर शिकायतों का निपटारा करने के लिए कहा
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न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य के तमाम विभागों के प्रमुख सचिवों से आठ हफ्ते के भीतर शिकायतों का निपटारा करने के लिए कहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता अधिकारियों से कहा कि अगर इसके बाद भी वे संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वास्तव में उत्तर प्रदेश में विभिन्न विभागों में काम करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुछ अधिकारियों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि गलत तरीके से उनको डिमोट किया गया है। उनकी पदोन्नति रूटीन प्रक्रिया थी। लिहाजा उन्हें डिमोट नहीं किया जाना चाहिए।
वर्ष 2007 में यूपी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण देने का निर्णय लिया था। इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में यूपी सरकार की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जिन्हें को 2007 की अधिसूचना के तहत पदोन्नति दी गई थी कि उन्हें डिमोट किया जाए। इस मामले में यूपी पर अवमानना की कार्यवाही का खतरा भी था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने से इनकार कर दिया था।
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