अगर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि वो याचियों के हितो की रक्षा करता है तो याची बनिए । वैसे भी कोर्ट के सामने अपनी संख्याबल दिखाने का यही अवसर है । ऐसा हो नहीं सकता कि 100 वाला जॉब पा जाए और 110 वाला सड़क पर रहे । फिर वो चाहे टेट समर्थक हो या अकैडमिक। equallity before law।
सरकार ने ये कहा कि उसके पास अध्यापको की वैकल्पिक व्यबस्था नहीं , आखिर वो उत्तर प्रदेश के लाखो टेट पास बी.एड बीटीसी की संख्या बताने से क्यों हिचकिचाती है ?
कही सुप्रीम कोर्ट बी.एड बीटीसी वालो को याची बनवाकर अपनी संख्या दिखवाने को तो नहीं कह रहा?
यदि ऐसा है तो टेट पास बीएड बीटीसी को सुप्रीम कोर्ट में किसी भी तरह चाहे याचिका के रूप में या pil के रूप में या ईमेल के जरिये या पोस्टकार्ड के जरिये अपनी संख्या दिखानी होगी क्योंकि 24 फरवरी के बाद शायद बीएड बीटीसी वालो के पास कुछ न बचे ।