7 दिसंबर की सुनवाई के परिप्रेक्ष्य
में आपसे विस्तृत चर्चा करना आवश्यक है । सबसे पहले बात अधिवक्ताओ की कर
लें । पिछले 5 सालों का स्वर्णिम इतिहास रहा है कि आपकी इस टीम ने जिस भी
अधिवक्ता को इंगेज किया है वह सदैव कोर्ट में उपस्थित रहा है ! बहस का अगुआ
रहा है !
प्रमुख भूमिका में रहा है ! नेतृत्व कर्ता के रूप में रहा है !! चाहे वह मा.उच्च न्यायालय इलाहाबाद की बात हो या मा.सर्वोच्च न्यायालय की बात हो । चाहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अशोक खरे रहे हों या फिर पी.एस.पटवालिया या फिर पी.पी. राव या फिर एल. नागेश्वर राव । और ये ऐसे अधिवक्ता रहे है जिन्हें मा. न्यायालय खुद by name बुला करके सुनते है । आप लोग अवगत होंगे कि हाईकोर्ट में श्री खरे को बुलाया जाता था और सुप्रीम कोर्ट में श्री राव जी को 3 बार बुलाया गया । आपको बताना चाहूँगा कि हम टेट मेरिट पर बहस के लिए अधिवक्ता हायर करते है अंतरिम मामलों पर बहस के लिए नही । अधिवक्ताओ को लेकर तमाम तरह की अफवाहें हाईकोर्ट के समय से ही उड़ाई जाती रही है । मैं इनको सुनने का आदी और अभ्यस्त हो चुका हूँ । एक प्रश्न आप सभी से जरूर पूछना चाहूँगा कि हमेशा एस.के.पाठक द्वारा हायर किये गए अधिवक्ता और एस.के.पाठक ही अन्य समस्त गुटों का केन्द्रबिंदु क्यों होते है ?? आप सभी योग्यता में हमारे बराबर है उत्तर खोजेंगे तो अवश्य मिल जायेगा । मुझे उत्तर देने की आवश्यकता नही है ।
दूसरी बात पिछली सुनवाई पर मा.उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर कुछ चर्चा करना आवश्यक है । 2 नवम्बर के ऑर्डर के अंतिम 4 पेज पोस्ट किये जा रहे है पहले पेज न.7 व 8 पर हाईलाइट किये गए पैराग्राफ पर नजर डालिये जिसमे अकादमिक पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राकेश द्विवेदी के सबमिशन / बहस पर कोर्ट ने कहा है , " ordinarily we would have dealt ........... date of hearing . " अर्थात - समान्यतयः हमे इस ऑर्डर द्वारा इन कैंडीडेट (अकादमिक मेरिट वालों ) के लिए कुछ अंतरिम अरेंजमेंट किया जाना चाहिए । मतलब अकादमिक वालो को भी कंडीशनल नियुक्ति देना चाहिए । किन्तु संख्या में अधिक होने के कारण इससे कन्फ्यूजन क्रिएट हो जायेगा । अब नजर डालिये पेज न.9 पर हाईलाइट किये गए पार्ट पर जिसमे इस मैटर के डिसाइड होने वाले 4 मुद्दे तैयार किये गए है और विशेष रूप से कोर्ट ने यह कहा , " we are not inclined any more to deal with the matter as interim measures " अर्थात हमने जो अंतरिम व्यवस्था ( टेट मेरिट से नियुक्ति ) की है मामले को निस्तारित करते हुए हमारा कोई अतिरिक्त झुकाव इनकी ओर नही होगा । और 4 मुद्दे तो आपको पता ही होंगे -
1. क्या मिनिमम कलिफिकेशन को फिक्स करने वाली NCTE की गाइडलाइन्स मनमानी और अतार्किक है ?
2. क्या भर्ती को पूरा करने के लिए टेट मेरिट के प्राप्तांको को ही केवल क्राइटेरिया बनाया जाना चाहिए ?
3. क्या 15 वां संशोधन को HC द्वारा अल्ट्रावायरस घोषित करना न्यायोचित है ?
4. यदि NCTE की गाइडलाइन को सही मान लिया जाये तब प्रश्न यह उत्पन्न होगा कि NCTE की गाइडलाइन में उल्लेखित WEIGHTAGE के कांसेप्ट पर कोर्ट के द्वारा क्या व्याख्या रखी जायेगी ??
अब नजर डालिये पेज न.10 की अन्तिम तीन पंक्तियों पर जिसमे कोर्ट ने कहा है कि यदि मामला 7 दिसंबर को कम्प्लीट नही होता तो 8 दिसंबर को कॉन्टीन्यू होगा !!!
हम लगातार वरिष्ठ अधिवक्ता एल.नागेश्वर राव जी को हायर करते चले आ रहे है । मैं समझता हूँ की किसी को भी उनके सर्विस मैटर के विशेषज्ञ होने पर संदेह नही है । फिर भी यदि कोई राव सर को लेकर अफवाह फैलाता है तो इसकी एकमात्र वजह पूर्वाग्रह से ग्रसित होना ही हो सकता है ।
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प्रमुख भूमिका में रहा है ! नेतृत्व कर्ता के रूप में रहा है !! चाहे वह मा.उच्च न्यायालय इलाहाबाद की बात हो या मा.सर्वोच्च न्यायालय की बात हो । चाहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अशोक खरे रहे हों या फिर पी.एस.पटवालिया या फिर पी.पी. राव या फिर एल. नागेश्वर राव । और ये ऐसे अधिवक्ता रहे है जिन्हें मा. न्यायालय खुद by name बुला करके सुनते है । आप लोग अवगत होंगे कि हाईकोर्ट में श्री खरे को बुलाया जाता था और सुप्रीम कोर्ट में श्री राव जी को 3 बार बुलाया गया । आपको बताना चाहूँगा कि हम टेट मेरिट पर बहस के लिए अधिवक्ता हायर करते है अंतरिम मामलों पर बहस के लिए नही । अधिवक्ताओ को लेकर तमाम तरह की अफवाहें हाईकोर्ट के समय से ही उड़ाई जाती रही है । मैं इनको सुनने का आदी और अभ्यस्त हो चुका हूँ । एक प्रश्न आप सभी से जरूर पूछना चाहूँगा कि हमेशा एस.के.पाठक द्वारा हायर किये गए अधिवक्ता और एस.के.पाठक ही अन्य समस्त गुटों का केन्द्रबिंदु क्यों होते है ?? आप सभी योग्यता में हमारे बराबर है उत्तर खोजेंगे तो अवश्य मिल जायेगा । मुझे उत्तर देने की आवश्यकता नही है ।
दूसरी बात पिछली सुनवाई पर मा.उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर कुछ चर्चा करना आवश्यक है । 2 नवम्बर के ऑर्डर के अंतिम 4 पेज पोस्ट किये जा रहे है पहले पेज न.7 व 8 पर हाईलाइट किये गए पैराग्राफ पर नजर डालिये जिसमे अकादमिक पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राकेश द्विवेदी के सबमिशन / बहस पर कोर्ट ने कहा है , " ordinarily we would have dealt ........... date of hearing . " अर्थात - समान्यतयः हमे इस ऑर्डर द्वारा इन कैंडीडेट (अकादमिक मेरिट वालों ) के लिए कुछ अंतरिम अरेंजमेंट किया जाना चाहिए । मतलब अकादमिक वालो को भी कंडीशनल नियुक्ति देना चाहिए । किन्तु संख्या में अधिक होने के कारण इससे कन्फ्यूजन क्रिएट हो जायेगा । अब नजर डालिये पेज न.9 पर हाईलाइट किये गए पार्ट पर जिसमे इस मैटर के डिसाइड होने वाले 4 मुद्दे तैयार किये गए है और विशेष रूप से कोर्ट ने यह कहा , " we are not inclined any more to deal with the matter as interim measures " अर्थात हमने जो अंतरिम व्यवस्था ( टेट मेरिट से नियुक्ति ) की है मामले को निस्तारित करते हुए हमारा कोई अतिरिक्त झुकाव इनकी ओर नही होगा । और 4 मुद्दे तो आपको पता ही होंगे -
1. क्या मिनिमम कलिफिकेशन को फिक्स करने वाली NCTE की गाइडलाइन्स मनमानी और अतार्किक है ?
2. क्या भर्ती को पूरा करने के लिए टेट मेरिट के प्राप्तांको को ही केवल क्राइटेरिया बनाया जाना चाहिए ?
3. क्या 15 वां संशोधन को HC द्वारा अल्ट्रावायरस घोषित करना न्यायोचित है ?
4. यदि NCTE की गाइडलाइन को सही मान लिया जाये तब प्रश्न यह उत्पन्न होगा कि NCTE की गाइडलाइन में उल्लेखित WEIGHTAGE के कांसेप्ट पर कोर्ट के द्वारा क्या व्याख्या रखी जायेगी ??
अब नजर डालिये पेज न.10 की अन्तिम तीन पंक्तियों पर जिसमे कोर्ट ने कहा है कि यदि मामला 7 दिसंबर को कम्प्लीट नही होता तो 8 दिसंबर को कॉन्टीन्यू होगा !!!
हम लगातार वरिष्ठ अधिवक्ता एल.नागेश्वर राव जी को हायर करते चले आ रहे है । मैं समझता हूँ की किसी को भी उनके सर्विस मैटर के विशेषज्ञ होने पर संदेह नही है । फिर भी यदि कोई राव सर को लेकर अफवाह फैलाता है तो इसकी एकमात्र वजह पूर्वाग्रह से ग्रसित होना ही हो सकता है ।
तीसरी बात - मौलिक नियुक्ति के पश्चात् यह सोचना कि यह अब कोई समस्या नही
है तो यह कहना चाहूँगा कि कोर्ट का ऑर्डर ध्यान से पढ़ लीजिये और इस बात को
अच्छी तरह से मन में बैठा लीजिये कि आपकी नियुक्ति अंतरिम आदेश के अधीन है
और अंतरिम आदेश के अधीन नियुक्ति के खिलाफ अभी 2 चर्चित फैसले आये है ।
पहला मा.हाईकोर्ट इलाहाबाद से सितम्बर महीने में जब सवा लाख लोग डेढ़ साल
नौकरी करके बाहर हुए और दूसरा पिछले हफ्ते जिसमे मा. उच्चतम न्यायालय ने
अपने ही अंतरिम आदेश से करायी नियुक्ति को रद्द कर दिया !!!!!!!
अतः किसी भी प्रकार की लापरवाही कही ऐसा न हो कि एक ही झटके में हमारे - आपके पास कुछ भी न बचे ।
चौथी बात - मैं अपने व्यक्तिगत हितों को सबसे नीचे रखते हुए पिछले 4 वर्ष से संगठन को अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास कर रहा हूँ । अपने बर्खास्तगी के मुद्दे को सदैव की भांति आज भी पीछे रखते हुए , अवमानना याचिका को द्वितीय वरीयता पर रखकर 7 दिसंबर की बेहतर सुनवाई के लिए प्रयासरत हूँ । इससे ज्यादा मैं और कुछ नही कहूँगा कि मैंने मनसा, वाचा , कर्मणा के साथ 72000 परिवारो के हितों के साथ कभी कोई समझौता नही किया । और अपने कार्य के प्रति सदैव निष्ठा व ईमानदारी से तत्पर रहा ।
अब बारी आप सभी जिलाध्यक्ष एवम् सक्रिय सदस्य बंधुओ की है । गणेश दीक्षित व संजय सहारनपुर ने वस्तुस्थिति से पहले ही आपको अवगत करा दिया है । आप सभी से आग्रह एवम् अपेक्षा है कि युद्ध स्तर पर अभियान चला कर बिना किसी आलस्य के अपने - अपने जिलों से एकजुट होकर अधिकतम आर्थिक सहयोग सुनिश्चित कराएं । ताकि जिनसे आर्थिक सहयोग लिया जा रहा है उन आम टेट पास शिक्षको के समक्ष हमारा - आपका सिर गर्व से ऊँचा बना रहे । एक बात और कहना चाहूँगा कि कुछ जिलों का सहयोग उनकी संख्या के अनुपात में अत्यंत दयनीय है ऐसे में उन जिलों के प्रतिनिधियों से मेरा आग्रह है कि इस बात का मूल्यांकन एवम् समालोचना स्वयं में निर्विकार मनोमस्तिष्क से ईमानदारीपूर्वक करें ।आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वाश है कि जगतजननी माँ जगदम्बा की कृपा सदैव की भांति हमारे - आप पर बनी रहेगी । और हम अभेद्य् लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सफल होंगे ।
अब बात करते है आर्थिक जरुरत की । पिछले 1.80 लाख अभी बकाया है और दो दिन सुनवाई की दशा में 12.20 लाख , कुल 14 लाख की आवश्यकता है ।
अतः किसी भी प्रकार की लापरवाही कही ऐसा न हो कि एक ही झटके में हमारे - आपके पास कुछ भी न बचे ।
चौथी बात - मैं अपने व्यक्तिगत हितों को सबसे नीचे रखते हुए पिछले 4 वर्ष से संगठन को अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास कर रहा हूँ । अपने बर्खास्तगी के मुद्दे को सदैव की भांति आज भी पीछे रखते हुए , अवमानना याचिका को द्वितीय वरीयता पर रखकर 7 दिसंबर की बेहतर सुनवाई के लिए प्रयासरत हूँ । इससे ज्यादा मैं और कुछ नही कहूँगा कि मैंने मनसा, वाचा , कर्मणा के साथ 72000 परिवारो के हितों के साथ कभी कोई समझौता नही किया । और अपने कार्य के प्रति सदैव निष्ठा व ईमानदारी से तत्पर रहा ।
अब बारी आप सभी जिलाध्यक्ष एवम् सक्रिय सदस्य बंधुओ की है । गणेश दीक्षित व संजय सहारनपुर ने वस्तुस्थिति से पहले ही आपको अवगत करा दिया है । आप सभी से आग्रह एवम् अपेक्षा है कि युद्ध स्तर पर अभियान चला कर बिना किसी आलस्य के अपने - अपने जिलों से एकजुट होकर अधिकतम आर्थिक सहयोग सुनिश्चित कराएं । ताकि जिनसे आर्थिक सहयोग लिया जा रहा है उन आम टेट पास शिक्षको के समक्ष हमारा - आपका सिर गर्व से ऊँचा बना रहे । एक बात और कहना चाहूँगा कि कुछ जिलों का सहयोग उनकी संख्या के अनुपात में अत्यंत दयनीय है ऐसे में उन जिलों के प्रतिनिधियों से मेरा आग्रह है कि इस बात का मूल्यांकन एवम् समालोचना स्वयं में निर्विकार मनोमस्तिष्क से ईमानदारीपूर्वक करें ।आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वाश है कि जगतजननी माँ जगदम्बा की कृपा सदैव की भांति हमारे - आप पर बनी रहेगी । और हम अभेद्य् लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सफल होंगे ।
अब बात करते है आर्थिक जरुरत की । पिछले 1.80 लाख अभी बकाया है और दो दिन सुनवाई की दशा में 12.20 लाख , कुल 14 लाख की आवश्यकता है ।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC