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निरहुआ क्रांतिकारी जी - आइये आपकी दलाल मति में कुछ बातें घुसाते हैं - पूर्णेश शुक्ल महाकाल‎ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

आपकी एक पोस्ट पढ़ने को मिली की 1100 याचियों के लिए विकास सिंह का नाम था। पर मीनाक्षी लेखी जी का नाम 1100 याचियों के लिए नहीं था अतः वह कोर्टमे नहीं थीं। अब आइये आपकी दलाल मति में कुछ बातें घुसाते हैं।
अपनी केस का टाइटिल है उत्तर प्रदेश राज्य बनाम शिव कुमार पाठक ।

slp को राज्य सरकार ने दाखिल किया था अतः राज्य सरकार वादी(पेटिशनर) हुई , और शिव कुमार पाठक ,सुजीत सिंह अदि प्रतिवादी (रेस्पोंडेंट) हुए।एकेडेमिक वालों की slp यादव कपिलदेव लाल बहादुर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के नाम से थी। अतः कपिल याची था। इसी प्रकार विकास सिंह भी किन्हीं प्रकार के अचयनितों की ओर से बहस किये होंगे । इसलिए विकास सिंह का नाम 1100 याचियों के लिए लिखा गया है।
अब यहाँ प्रश्न यह है कि चयनितों के पैसे से श्री विकास सिंह अचयनितों का केस लड़ रहे हैं। क्या यह चयनितो के पैसे से टेट मेरिट का केस कमजोर करने का कुत्सित प्रयास नहीं है।
मीनाक्षी लेखी सहित तमाम प्रतिवादी अधिवक्ताओं को कोर्ट ने बोलने का मौका नहीं दिया था।मीनाक्षी लेखी का नाम आर्डर शीट के पेज संख्या 7 पर देखा जा सकता है।जिसका स्क्रीन शॉट अटेच है इस पोस्ट के साथ।
इलाहाबाद टीम तो हमेशा पक्ष द्रोही वकीलों को हायर करती रही है। चाहे वह सिंगल बेंच में टेट परीक्षा निरस्त करने के लिए बहस करने वाले सीमांत सिंह रहे हों जिनपर माननीय टंडन जी ने self defeating argument वाली टिप्पणी सिंगल बेंच के फाइनल आदेश में लिखवाई थी। इलाहाबाद टीम के दूसरे वकील श्री शैलेन्द्र जी एक ओर 15वें को निरस्त करने की बहस हमारे ओर से करते हैं वहीँ दुसरी ओर विज्ञान गणित जूनियर भर्त्ती में 15वें संशोधन के पक्ष में बहस करते हैं।



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