राज्य
ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षामित्रों के चेहरे सोमवार को खुशी से लाल हो गए।
करीब तीन महीने के अंतराल पर उन्हें फिर से खुश होने का मौका सुप्रीम कोर्ट
के आदेश से मिला है। इस आदेश से शेष बचे 35 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन
किए जाने के आसार बढ़ गए हैं।
साथ ही स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर से बनने की उम्मीद जगी है।
हाई कोर्ट के फैसले से निराश शिक्षामित्र अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फूले नहीं समा रहे हैं। वह इसे न्याय की जीत बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे बड़ी राहत प्रदेश सरकार को हुई है। वह अब उनका करीब आठ माह से लंबित वेतन जारी कर सकेगी। कुछ ऐसे भी शिक्षामित्र हैं जिन्हें 15 महीने से वेतन का इंतजार है। साथ ही लगभग 35 हजार शिक्षामित्रों का अभी समायोजन होना शेष है। वह कार्य भी अब पूरा किए जाने के आसार है। ज्ञात हो कि प्रदेश के स्कूलों में एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्र तैनात हैं उनमें से एक लाख 37 हजार का ही समायोजन हो पाया था, बाकी प्रक्रिया लंबित थी, तभी हाईकोर्ट के आदेश से वह रुक गई थी। इधर तीन महीनों में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सबसे ज्यादा असर पठन-पाठन पर पड़ा। शिक्षामित्र कोर्ट के निर्णय के बाद पूरे मन से पढ़ा नहीं पा रहे थे। शीर्ष कोर्ट ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर लौटा दिया है। साथ ही अब छात्र-शिक्षक अनुपात भी गड़बड़ाएगा नहीं। हालांकि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अब भी काफी कम है।
1999 : शिक्षा मित्र योजना की शुरुआत।
2001 : शिक्षकों के लिए स्नातक योग्यता तय हुई।
अप्रैल 2010 : देश में आरटीई एक्ट 2009 लागू हुआ।
23 अगस्त 2010 : शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य।
जुलाई 2011 : दूरस्थ संस्था से शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण की शुरुआत।
27 जुलाई 2011 : यूपीआरटीई एक्ट लागू।
30 मई 2014 : शिक्षा मित्रों का समायोजन सहायक अध्यापक पद पर शुरू।
जून 2014 : इलाहाबाद हाई कोर्ट में समायोजन को चुनौती दी गई।
27 जुलाई 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ फैसला ले।
12 सितंबर : शिक्षा मित्रों का समायोजन अवैध।
7 दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई।1
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
साथ ही स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर से बनने की उम्मीद जगी है।
हाई कोर्ट के फैसले से निराश शिक्षामित्र अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फूले नहीं समा रहे हैं। वह इसे न्याय की जीत बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे बड़ी राहत प्रदेश सरकार को हुई है। वह अब उनका करीब आठ माह से लंबित वेतन जारी कर सकेगी। कुछ ऐसे भी शिक्षामित्र हैं जिन्हें 15 महीने से वेतन का इंतजार है। साथ ही लगभग 35 हजार शिक्षामित्रों का अभी समायोजन होना शेष है। वह कार्य भी अब पूरा किए जाने के आसार है। ज्ञात हो कि प्रदेश के स्कूलों में एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्र तैनात हैं उनमें से एक लाख 37 हजार का ही समायोजन हो पाया था, बाकी प्रक्रिया लंबित थी, तभी हाईकोर्ट के आदेश से वह रुक गई थी। इधर तीन महीनों में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सबसे ज्यादा असर पठन-पाठन पर पड़ा। शिक्षामित्र कोर्ट के निर्णय के बाद पूरे मन से पढ़ा नहीं पा रहे थे। शीर्ष कोर्ट ने परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर लौटा दिया है। साथ ही अब छात्र-शिक्षक अनुपात भी गड़बड़ाएगा नहीं। हालांकि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अब भी काफी कम है।
1999 : शिक्षा मित्र योजना की शुरुआत।
2001 : शिक्षकों के लिए स्नातक योग्यता तय हुई।
अप्रैल 2010 : देश में आरटीई एक्ट 2009 लागू हुआ।
23 अगस्त 2010 : शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य।
जुलाई 2011 : दूरस्थ संस्था से शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण की शुरुआत।
27 जुलाई 2011 : यूपीआरटीई एक्ट लागू।
30 मई 2014 : शिक्षा मित्रों का समायोजन सहायक अध्यापक पद पर शुरू।
जून 2014 : इलाहाबाद हाई कोर्ट में समायोजन को चुनौती दी गई।
27 जुलाई 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ फैसला ले।
12 सितंबर : शिक्षा मित्रों का समायोजन अवैध।
7 दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई।1
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