बकेवर, संवाद सूत्र : बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण एक शिक्षक को
आर्थिक तंगी के चलते उचित इलाज के अभाव में गुरुवार को जान गंवानी पड़ी। उच्च प्राथमिक विद्यालय नंदगवां में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत कोमल
¨सह दोहरे का बीमारी के चलते ग्वालियर में एक निजी हॉस्पिटल में निधन हो
गया।
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42 वर्षीय शिक्षक अपने पीछे दो पुत्र व दो पुत्रियों के साथ बिलखती
पत्नी को छोड़ गया है। शिक्षक के पिता मंशाराम का रो-रो के बुरा हाल था जिस
समय शिक्षक का शव उसके पैतृक गांव नगला सॉवत खां मौजा बेरीखेड़ा लखना पंहुचा
काफी तादात में लोग जमा हो चुके थे। सभी लोग इसी बात की चर्चा कर रहे थे
कि विभाग की लापरवाही ने शिक्षक की जान ले ली।
शिक्षक के पिता ने बताया कि मेरा पुत्र पहले कन्या विद्यालय बकेवर में कार्यरत था पर बीआरसी के पास स्कूल होने के कारण पूरा स्टाफ उसे उस विद्यालय से हटाना चाहता था। खंड शिक्षा अधिकारी के कहने पर दो वर्ष पहले विभाग ने निलंबित कर नंदगवां स्कूल में अटैच कर दिया था। एक वर्ष से भी अधिक समय निलंबित रहने पर भी उसकी बहाली नहीं हुई और न ही वेतन एरियर का भुगतान किया गया। जिससे परिवार में आर्थिक तंगी आ गई। इसके चलते वह बीमार हो गया। इसी बीच जुलाई माह में स्कूल में बच्चों को दूध वितरण किये जाने के बावजूद गलत रिपोर्टिंग के आधार पर वेतन भी रोक दिया गया। बीमारी में काफी पैसा रिस्तेदारों व मिलने वालों से उधार लिया। पिता ने इलाज कराया पर पिता को अपने पुत्र को खोना ही पड़ा। निलंबित अवधि के एरियर व वेतन पर रोक हटवाने के नाम पर भी जमकर उत्पीड़न किया गया। अगर शिक्षक का अवशेष पांच छह लाख रुपया मिल जाता तो शायद इलाज के अभाव में वह दम न तोड़ता। खंड शिक्षा अधिकारी गजेंद्र ¨सह ने बताया कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। उनके संज्ञान में आता तो शिक्षक की अवश्य मदद की जाती।
शिक्षक के पिता ने बताया कि मेरा पुत्र पहले कन्या विद्यालय बकेवर में कार्यरत था पर बीआरसी के पास स्कूल होने के कारण पूरा स्टाफ उसे उस विद्यालय से हटाना चाहता था। खंड शिक्षा अधिकारी के कहने पर दो वर्ष पहले विभाग ने निलंबित कर नंदगवां स्कूल में अटैच कर दिया था। एक वर्ष से भी अधिक समय निलंबित रहने पर भी उसकी बहाली नहीं हुई और न ही वेतन एरियर का भुगतान किया गया। जिससे परिवार में आर्थिक तंगी आ गई। इसके चलते वह बीमार हो गया। इसी बीच जुलाई माह में स्कूल में बच्चों को दूध वितरण किये जाने के बावजूद गलत रिपोर्टिंग के आधार पर वेतन भी रोक दिया गया। बीमारी में काफी पैसा रिस्तेदारों व मिलने वालों से उधार लिया। पिता ने इलाज कराया पर पिता को अपने पुत्र को खोना ही पड़ा। निलंबित अवधि के एरियर व वेतन पर रोक हटवाने के नाम पर भी जमकर उत्पीड़न किया गया। अगर शिक्षक का अवशेष पांच छह लाख रुपया मिल जाता तो शायद इलाज के अभाव में वह दम न तोड़ता। खंड शिक्षा अधिकारी गजेंद्र ¨सह ने बताया कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। उनके संज्ञान में आता तो शिक्षक की अवश्य मदद की जाती।
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