गहनता से पड़ताल कराने के बाद दिया जाएगा अवकाश
जासं, इलाहाबाद : कमर दर्द, घुटने का दर्द अथवा हृदय रोगी बनकर यूपी बोर्ड परीक्षा से बचने वाले शिक्षकों की मंशा पर पानी फिरने वाला है। उन्हें अब किसी मेडिकल प्रमाण पत्र पर छुट्टी नहीं मिलेगी। अगर कोई बीमारी दिखाने के लिए चिकित्सक की रिपोर्ट अवकाश लेने के लिए लगाता है तो पहले उसकी गहन पड़ताल की जाएगी।
संबंधित चिकित्सक से संपर्क करके यह पता लगाया जाएगा कि बीमारी की रिपोर्ट लगाने वाले शिक्षक वास्तव में रोगी हैं या नहीं। यह काम मुख्य चिकित्साधिकारी के जरिए किया जाएगा। जांच में अगर शिक्षक गंभीर रोग से पीड़ित मिले तभी उन्हें अवकाश मिलेगा। मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक ने निर्देश जारी किया है।
यूपी बोर्ड परीक्षा में शिक्षकों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। कुछ केंद्र तो शहर से 20 से 50 किलोमीटर दूर बनते हैं। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 7.30 बजे शुरू हो जाती है। ऐसे में शिक्षकों का समय पर परीक्षा केंद्र में पहुंचना मुमकिन नहीं होता, क्योंकि अधिकतर शहर में रहते हैं। सो, बोर्ड परीक्षा से बचने के लिए ज्यादातर शिक्षक बीमारी का बहाना बना लेते हैं। दूरदराज के केंद्रों में ड्यूटी लगने से भयाक्रांत शिक्षक डॉक्टरों की मदद से बिना बीमारी के ही हृदय एवं गठिया रोगी होने की रिपोर्ट बनवाकर घर बैठ जाते हैं। कुछ शिक्षक तो स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय और निजी चिकित्सालयों में भर्ती तक हो जाते हैं। ऐसे में परीक्षा के समय परीक्षकों की संख्या काफी कम हो जाती है। शिक्षक आगे ऐसा बहाना न बना पाएं, इसके मद्देनजर उनकी हर रिपोर्ट की गहनता से पड़ताल की जाएगी। सब कुछ सही मिलने पर ही उन्हें अवकाश मिलेगा। जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव इसको लेकर अभी से निर्देश दे चुके हैं।
ये रहेंगे परीक्षा से मुक्त : अगर कोई शिक्षक कैंसर से पीड़ित अथवा काफी समय से गठिया रोगी है तो उसे यूपी बोर्ड परीक्षा से दूर रखा जाएगा। अगर पहले से कोई हृदय या दमा रोगी है तो ऐसे शिक्षकों को भी परीक्षा में शामिल होने की बाध्यता नहीं रहेगी। इसके अलावा सबको परीक्षा में ड्यूटी करनी होगी।
गहनता से पड़ताल कराने के बाद दिया जाएगा अवकाशपरीक्षा के समय अक्सर अवकाश लेने वाले शिक्षकों की संख्या बढ़ जाती है। इसके लिए वह बीमार होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं। इस बार हर प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद अवकाश दिया जाएगा।
-कोमल यादव
जिला विद्यालय निरीक्षक।
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शिक्षक बिना बीमारी के फर्जी रिपोर्ट बनवाते हैं। उसमें कोई सत्यता नहीं है। शिक्षकों के दम पर ही बोर्ड परीक्षा एवं कापियों का मूल्यांकन होता है। ऐसी स्थिति में उनके समर्पण पर संदेह करना उचित नहीं है।
-डॉ. शैलेश पांडेय, प्रांतीय सदस्य माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
जासं, इलाहाबाद : कमर दर्द, घुटने का दर्द अथवा हृदय रोगी बनकर यूपी बोर्ड परीक्षा से बचने वाले शिक्षकों की मंशा पर पानी फिरने वाला है। उन्हें अब किसी मेडिकल प्रमाण पत्र पर छुट्टी नहीं मिलेगी। अगर कोई बीमारी दिखाने के लिए चिकित्सक की रिपोर्ट अवकाश लेने के लिए लगाता है तो पहले उसकी गहन पड़ताल की जाएगी।
संबंधित चिकित्सक से संपर्क करके यह पता लगाया जाएगा कि बीमारी की रिपोर्ट लगाने वाले शिक्षक वास्तव में रोगी हैं या नहीं। यह काम मुख्य चिकित्साधिकारी के जरिए किया जाएगा। जांच में अगर शिक्षक गंभीर रोग से पीड़ित मिले तभी उन्हें अवकाश मिलेगा। मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक ने निर्देश जारी किया है।
यूपी बोर्ड परीक्षा में शिक्षकों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। कुछ केंद्र तो शहर से 20 से 50 किलोमीटर दूर बनते हैं। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 7.30 बजे शुरू हो जाती है। ऐसे में शिक्षकों का समय पर परीक्षा केंद्र में पहुंचना मुमकिन नहीं होता, क्योंकि अधिकतर शहर में रहते हैं। सो, बोर्ड परीक्षा से बचने के लिए ज्यादातर शिक्षक बीमारी का बहाना बना लेते हैं। दूरदराज के केंद्रों में ड्यूटी लगने से भयाक्रांत शिक्षक डॉक्टरों की मदद से बिना बीमारी के ही हृदय एवं गठिया रोगी होने की रिपोर्ट बनवाकर घर बैठ जाते हैं। कुछ शिक्षक तो स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय और निजी चिकित्सालयों में भर्ती तक हो जाते हैं। ऐसे में परीक्षा के समय परीक्षकों की संख्या काफी कम हो जाती है। शिक्षक आगे ऐसा बहाना न बना पाएं, इसके मद्देनजर उनकी हर रिपोर्ट की गहनता से पड़ताल की जाएगी। सब कुछ सही मिलने पर ही उन्हें अवकाश मिलेगा। जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव इसको लेकर अभी से निर्देश दे चुके हैं।
ये रहेंगे परीक्षा से मुक्त : अगर कोई शिक्षक कैंसर से पीड़ित अथवा काफी समय से गठिया रोगी है तो उसे यूपी बोर्ड परीक्षा से दूर रखा जाएगा। अगर पहले से कोई हृदय या दमा रोगी है तो ऐसे शिक्षकों को भी परीक्षा में शामिल होने की बाध्यता नहीं रहेगी। इसके अलावा सबको परीक्षा में ड्यूटी करनी होगी।
गहनता से पड़ताल कराने के बाद दिया जाएगा अवकाशपरीक्षा के समय अक्सर अवकाश लेने वाले शिक्षकों की संख्या बढ़ जाती है। इसके लिए वह बीमार होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं। इस बार हर प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद अवकाश दिया जाएगा।
-कोमल यादव
जिला विद्यालय निरीक्षक।
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शिक्षक बिना बीमारी के फर्जी रिपोर्ट बनवाते हैं। उसमें कोई सत्यता नहीं है। शिक्षकों के दम पर ही बोर्ड परीक्षा एवं कापियों का मूल्यांकन होता है। ऐसी स्थिति में उनके समर्पण पर संदेह करना उचित नहीं है।
-डॉ. शैलेश पांडेय, प्रांतीय सदस्य माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’।
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