हमारे शिक्षक समाज में आजकल सबसे ज्यादा भ्रस्टाचार हमारे बीईओ कार्यालय व् उससे जुड़े हुए समस्त अधिकारियो के कारण फैलता है । जहा beo ने अपने कुछ चाटुकार व् दलाल प्रवर्ति के मेरे ज्ञानी अध्यापको को
खून चूसने के लिए पाल रखा है
वही कार्यालय में बैठा प्रत्येक कर्मचारी/अध्यापक खुद को किसी डीएम से कम नहीं आँकता ।
कोई बेचारा अद्यापक एक बार कार्यालय तक पहुच तो जाए समझो की सभी खूनी दरिंदो की तरह समस्त मेरे योग्य अध्यापक साथी उसे चूसने को तैयार होते है ।
मेरी नजर में यदि मेरे विभाग से भ्रस्टाचार नामक बीमारी को खत्म करना है तो किसी भी कार्यालय से जुड़े इन अपने ही अध्यापको को ठीक करना होगा । उसमे चाहे मेरा Brc/Abrc हो Nprc या चतुर्थ श्रेणी का बाबू ।
अमूमन देखा गया है इन पदों पर सिर्फ वो ही लोग विराजमान है जिनके खून में दलाली या चाटुकारिता भरी है । इन लोगो ने खुद को अपने विद्यालय से दूर ही इसलिए किया है की इनको वहा तो कुछ प्राप्त न होने वाला किन्तु यहाँ ऊपरी कमाई का भी जरिया दिखाई देता है व् खुद को अधिकारी कहलाने में भी मजा आता है । इन सभी प्यारे अधिकारियो से कोई इनके स्वम् के स्कूल की स्तथि का आकलन को पूछे तो आंकड़े चौकाने वाले होंगे ।
कृपया मेरी बात को व्यक्तिगत रूप से स्वम् पर न ले । क्योकि हाथ की पांचो उंगलिया भी सामान न होती । जिसे दलाली करनी है वो खुद उसका रास्ता ढूंढ लेता है । किन्तु मेरा ये सटीक आकलन है । माफ़ करे कटु शब्द लिखने के लिए ।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती गन्दे काम -->> Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
वही कार्यालय में बैठा प्रत्येक कर्मचारी/अध्यापक खुद को किसी डीएम से कम नहीं आँकता ।
कोई बेचारा अद्यापक एक बार कार्यालय तक पहुच तो जाए समझो की सभी खूनी दरिंदो की तरह समस्त मेरे योग्य अध्यापक साथी उसे चूसने को तैयार होते है ।
मेरी नजर में यदि मेरे विभाग से भ्रस्टाचार नामक बीमारी को खत्म करना है तो किसी भी कार्यालय से जुड़े इन अपने ही अध्यापको को ठीक करना होगा । उसमे चाहे मेरा Brc/Abrc हो Nprc या चतुर्थ श्रेणी का बाबू ।
अमूमन देखा गया है इन पदों पर सिर्फ वो ही लोग विराजमान है जिनके खून में दलाली या चाटुकारिता भरी है । इन लोगो ने खुद को अपने विद्यालय से दूर ही इसलिए किया है की इनको वहा तो कुछ प्राप्त न होने वाला किन्तु यहाँ ऊपरी कमाई का भी जरिया दिखाई देता है व् खुद को अधिकारी कहलाने में भी मजा आता है । इन सभी प्यारे अधिकारियो से कोई इनके स्वम् के स्कूल की स्तथि का आकलन को पूछे तो आंकड़े चौकाने वाले होंगे ।
कृपया मेरी बात को व्यक्तिगत रूप से स्वम् पर न ले । क्योकि हाथ की पांचो उंगलिया भी सामान न होती । जिसे दलाली करनी है वो खुद उसका रास्ता ढूंढ लेता है । किन्तु मेरा ये सटीक आकलन है । माफ़ करे कटु शब्द लिखने के लिए ।
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