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पाठक जी ने 3 बार कोर्ट में वकील क्यों नही भेजा ? आओ चर्चा करें................. : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

वर्तमान से आप सभी अवगत है फिर भी कुछ बिंदु चर्चा योग्य हैं। आओ चर्चा करें।
1-पाठक जी 3 बार से चन्दा लेकर वकील कोर्ट में नही भेज रहे हैं फिर भी पाठक जी के लिए चन्दा मांगने वाले तैयार है। क्या पाठक जी की जवाबदेही नही बनती है कि वे सोशल मीडिया एवम् भौतिक रूप से उपस्थित होकर यह जवाब दें कि उन्होंने 3 बार कोर्ट में वकील क्यों नही भेजा?
क्या कारण /वजह था/थी जिसकी वजह
से पाठक जी ने कोर्ट में वकील
नही भेजा?
जब वकील कोर्ट नही गए तो उनके नाम
पर एकत्र किया गया धन कहाँ है?
जब सिब्बल साहब के नाम पर वसूला गया पैसा एवम् 2 डेट पर
नागेश्वर राव जी के नाम पर वसूला गया पैसा पाठक
जी के पास शेष है तो पाठक जी एवम् गुट

को सोशल मीडिया पर आकर यह कहना चाहिए कि
उनके पास पिछली डेट्स का पैसा शेष है । अतः उन्हें
24 feb के लिए धन की आवश्यकता
नही है और 24 feb के लिए पिछले एकत्रित धन से
वह वकील खड़ा करेंगे।
2- इलाहाबाद गुट के अकॉउंट नंबर माननीय निरहुआ
भाई द्वारा जारी कर दिए गए हैं । मैं
माननीय निरहुआ भाई से यह पूछना चाहता हूँ कि
आपके द्वारा प्रायोजित गुट चयनित लोगों से पैसा लेकर अकादमिक/
अचयनित के पक्ष में बहस कर रहे राकेश द्विवेदी
साहब की हाँ में हाँ मिलाते हैं। आपके
वकील अकादमिक /अचयनित के वकील का
साथ देकर 1100 याचियों को को adhoc पर नियुक्ति का आर्डर
करवाते हैं।
क्या इलाहाबाद गुट की यह जवाबदेही
नही बनती है कि वे सबके सामने जवाब
दें कि उनके वकील ने अकादमिक/अचयनित के पक्ष में
बहस क्यों की?
(सबूत हेतु 7 dec के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के
आर्डर का अध्ययन करें )
क्या इलाहाबाद गुट की यह जवाबदेही
नही बनती है कि वे लोग जवाब दें कि
इलाहाबाद में 1100 याचियों की नियुक्ति के लिए चल रहे
धरने में माननीय सुजीत सिंह भाई क्या
करने गए थे?
आखिर सुजीत सिंह भाई 1100 याचियों की
नियुक्ति को लेकर सचिव सिन्हा साहब जी से क्यों मिले
थे?
इलाहाबाद गुट से मेरा प्रश्न है कि जब आप चयनित लोगों से चन्दा
लेते हो तो आप अकादमिक पक्ष /अचयनित पक्ष के लिए बहस
क्यों करवाते हो?
क्या आपको चयनित लोगों से चन्दा मांगने का कोई नैतिक आधार है?
7 dec के पहले टेट अजर अमर योद्धा की भांति
खड़ी थी। हम लोग बिलकुल निश्चिन्त थे
कि अब हमे केवल हर डेट पर सावधानी/सतर्कता
वश केवल वकील भेजना था। लेकिन इलाहाबाद गुट के
द्वारा अकादमिक /अचयनित के पक्ष में बहस करवाकर 1100 लोगों
की नियुक्ति का आर्डर करवाया है। तब से क्या
अकादमिक पक्ष ,टेट के समक्ष बराबरी पर आकर
नही खड़ा हो गया है?
आप लोग स्वयं सोचे कि जज साहब जहाँ अकादमिक /15 अमेंडमेंट
को जहाँ सिरे से ख़ारिज करते रहते थे वहीँ
माननीय विकास सिंह जी द्वारा गलत बहस
करने के कारण आज 1100 लोगों को नियुक्ति का आदेश दिए है।
क्या 7 dec को अकादमिक पक्ष /15 अमेंडमेंट हमारे सामने
मजबूती से खड़ा नही हो गया है?
क्या इसकी ज़िम्मेदारी इलाहाबाद गुट
की नही है?
क्या इलाहाबाद गुट के सक्रिय सदस्यों को सामने आकर इन बातों का
जवाब नही देना चाहिए कि उन्होंने अपने
वकील से गलत बहस करवाकर अकादमिक पक्ष को
मजबूती देने का कार्य क्यों किया?
क्या उनके इस कृत्य से आम tetian का नुकसान नही
हुआ है?
जब आप चयनित से पैसा लेते हैं तो आप अकादमिक /अचयनित के
लिए बहस क्यों करवाते है? क्या इसके लिए आपकी
कोई जवाबदेही नही बनती
है?
जब आप चयनित से पैसा लेकर उन्ही के लिए गड्ढा
तैयार करते हो तो आप चयनित से किस आधार पर चन्दा मांग रहे
हो?
साथियों आप सभी बुद्धिजीवी
वर्ग से हैं । आप स्वयं विचार करें कि माननीय पाठक
साहब जोकि हर बार आपसे चन्दा लेते है लेकिन कोर्ट में
वकील नही भेजते है और
अगली डेट आने पर पुनः चंदे हेतु पोस्ट आने
लगती हैं क्यों?
क्या 3 डेट से वकील कोर्ट में न भेजना पाठक साहब
की गैरजिम्मेदाराना हरकत नही है?
जब पिछली 2 डेट पर नागेश्वर राव कोर्ट
नही गए तो उनके नाम पर एकत्र हुए पैसे का क्या
हुआ?
और इलाहाबाद गुट से केवल यही प्रश्न है कि आप
चयनित के लिए लड़ रहे हो या अचयनित के लिए?
कृपया स्पष्ट करें।
साथियों हमारा लक्ष्य केवल 72825 रहा है और रहेगा। यदि
आपको लगता है कि सीमित संसाधनों के होते हुए
भी हम लोग अपना बेहतर से बेहतर देते हैं तो इस
बार कोर्ट में सीनियर अधिवक्ता/अधिवक्ताओं
की उपस्थिति हेतु आप हमारी
टीम को सहयोग करें।
सधन्यवाद
आपका
पूर्णेश शुक्ल(महाकाल)
9794063018
9415981710

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