विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी कोटे की सीटों के लिए चल रही चुनाव
प्रक्रिया के बीच पुलिस अफसरों के तबादलों पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है।
ताबड़तोड़ तबादलों की शिकायत पर आयोग ने यह फैसला लिया है।
प्रदेश में इस समय विधान परिषद चुनाव प्रक्रिया चल रही है। 35 सीटों के लिहाज से 35 जिलों के जिलाधिकारी निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में हैं और शेष जिलों के अपर जिलाधिकारी सहायक निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में हैं।
इसलिए जिलाधिकारियों व इन अपर जिलाधिकारियों के तबादलों पर रोक तो पहले से ही थी। अब जहां निर्विरोध निर्वाचन के साथ चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, उनके जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों के लिए यह रोक अब भी प्रभावी रहेगी। इस बीच उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में पुलिस अधिकारियों के तबादले हुए हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग ने बीती आठ फरवरी से 17 फरवरी के बीच हुए पुलिस अफसरों के तबादलों की पूरी सूची तलब की है।
भारत निर्वाचन आयोग के सीनियर प्रिंसिपल सेक्रेटरी के. अजय कुमार ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि आयोग के पास लिखित व मौखिक रूप से प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस अफसरों के तबादलों की शिकायतें आ रही हैं। आयोग ने इस मुद्दे पर विचार किया है। जिलों के पुलिस अधिकारी कानून व्यवस्था के लिए सीधे जिम्मेदार होते हैं। उनके ऊपर ही मतदाताओं की रक्षा व मतदान सामग्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में आयोग ने फैसला लिया है कि किसी भी जिले के किसी भी पुलिस अफसर का तबादला आयोग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा।
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प्रदेश में इस समय विधान परिषद चुनाव प्रक्रिया चल रही है। 35 सीटों के लिहाज से 35 जिलों के जिलाधिकारी निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में हैं और शेष जिलों के अपर जिलाधिकारी सहायक निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में हैं।
इसलिए जिलाधिकारियों व इन अपर जिलाधिकारियों के तबादलों पर रोक तो पहले से ही थी। अब जहां निर्विरोध निर्वाचन के साथ चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, उनके जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों के लिए यह रोक अब भी प्रभावी रहेगी। इस बीच उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में पुलिस अधिकारियों के तबादले हुए हैं। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग ने बीती आठ फरवरी से 17 फरवरी के बीच हुए पुलिस अफसरों के तबादलों की पूरी सूची तलब की है।
भारत निर्वाचन आयोग के सीनियर प्रिंसिपल सेक्रेटरी के. अजय कुमार ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि आयोग के पास लिखित व मौखिक रूप से प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस अफसरों के तबादलों की शिकायतें आ रही हैं। आयोग ने इस मुद्दे पर विचार किया है। जिलों के पुलिस अधिकारी कानून व्यवस्था के लिए सीधे जिम्मेदार होते हैं। उनके ऊपर ही मतदाताओं की रक्षा व मतदान सामग्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में आयोग ने फैसला लिया है कि किसी भी जिले के किसी भी पुलिस अफसर का तबादला आयोग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा।
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