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केंद्र के साथ यूपी भी देगा सातवें वेतन आयोग की सैलरी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

लखनऊ: केंद्र सरकार ने अगर कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कीं, तो यूपी भी साथ-साथ अपने कर्मचारियों को उसी हिसाब से सैलरी दे सकेगा। यूपी सरकार ने बजट में पहले से ही इसका इंतजाम कर लिया है जिससे कर्मचारियों को चार महीने की सैलरी दी जा सके।
बजट में डीए मद में पैसा बढ़ाकर रखा गया है ताकि आयोग की सिफारिश लागू होने पर कर्मचारियों को इंतजार न करना पड़े। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर बताते हैं कि सातवें वेतन आयोग पर अभी केन्द्र सरकार ने कोई फाइनल फैसला नहीं लिया है, इसलिए इस मद में बजट में कोई पैसा नहीं रखा गया है।
सातवां वेतन आयोग केन्द्र में लागू होने के बाद यूपी भी इसे लागू करेगा। अगर इसके लिए अनुपूरक बजट की जरूरत पड़ी, तो हम लाएंगे। इस बजट में हमने कर्मचारियों की डीए की मद में ज्यादा आवंटन किया है। जिससे सिफारिशें लागू होने के बाद चार महीने तक बढ़ी हुई सैलेरी दी जा सकती है। यूपी में करीब 16 लाख कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है।इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ा बजटवह बताते हैं कि इस बजट में खासतौर पर किसानों, इंफ्रास्ट्रक्चर और युवाओं पर फोकस किया गया है। बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च होगा। जिससे गांवों में सड़कों का निर्माण, सिंचाई, बिजली की बेहतर व्यवस्था के साथ रोजगार भी पैदा हो सकेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए बजट में 65,500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। पिछले साल के मुकाबले 27 प्रतिशत ज्यादा है। इसके अलावा युवाओं की बेहतर शिक्षा के साथ-साथ बजट में ऐसी व्यवस्था भी की गई है। जिससे रोजगार पैदा हो। मसलन रोजगार मेले के आयोजन के लिए पहली बार बजट में इंतजाम किया गया है। ----टैक्स बढ़ाने की योजना नहींप्रश्न: बजट में सरकार को राजस्व देने वाले विभागों का टारगेट बढ़ाया गया है। क्या इससे जनता पर टैक्स का कुछ बोझ बढ़ेगा? बजट में किसी भी तरह की टैक्स वृद्धि नहीं की गई है, केवल विभागों का टारगेट बढ़ाया गया है। कुछ चीजों में टैक्स बढ़ोतरी करनी है या नहीं जरूरत पड़ने पर विभाग इस पर फैसला लेंगे। बजट में जिस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है। उससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था बढ़ने से विभागों का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि विभागों को जनता पर बोझ डालने की जरूरत पड़ेगी। प्रश्न: कई अहम विभाग अपने बजट को ही नहीं खर्च कर पाते हैं। इस पर वित्त विभाग क्यों नहीं विभागों की नकेल कसता?विभागों को आवंटित बजट समय से खर्च हो इसके लिए वित्त विभाग समय-समय पर मॉनिटरिंग करता है। बजट खर्च हो इसके लिए हमने नियम भी आसान किए हैं। अब ये व्यवस्था कर दी गई है कि विभाग प्रमुख सचिव स्तर से 25 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे सकते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष में बजट की राशि से 31, जनवरी तक करीब 38,000 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए गए हैं। इसमें से 20,000 करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुए हैं। जो कि काफी बेहतर है। प्रश्न- प्रदेश सरकार पर जीडीपी का 30 प्रतिशत कर्ज है। ऐसे में वित्तीय अनुशासन के लिए क्या कदम उठाएंगे? बजट में कर्ज का जो बड़ा हिस्सा दिखा रहा है, उसकी एक बड़ी वजह बिजली कंपनियों का कर्ज सरकार द्वारा चुकाना है। बिजली कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिए सरकार ने करीब 40,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। वित्तीय अनुशासन के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है


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