किसी प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ तीन बच्चे ही हों। उनमें से भी एक
गैरहाजिर हो। दो बच्चों के बीच बस्ता ही सिर्फ एक ही हो।इन्हें पढ़ाने के
लिए दो शिक्षक मुस्तैद हों, तो शायद आपको बात कुछ अटपटी लग सकती है। शायद
सुधार के तमाम प्रयासों के बावजूद यह तस्वीर प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की
हकीकत बयां करने के
लिए पर्याप्त है।
यह कोई किस्सा कहानी नहीं बल्कि प्राथमिक विद्यालय बाइफरकेशन की सच्चाई है, जिसे कभी भी आप नंगी आंखों से देख सकते हैं। 1टाइगर रिजर्व जंगल के करीब स्थित प्राथमिक विद्यालय बाइफरकेशन की बूढ़ी जर्जर इमारत तो यही बताती है कि यह स्कूल काफी पुराना है।
गुरुवार को सुबह करीब सवा दस बजे विद्यालय के भारी भरकम मैदान में सिर्फ दो बच्चों को पढ़ाते हुए एक शिक्षक पर नजर पड़ी तो हकीकत जानने की उत्सुकता लाजिमी ही थी। करीब जाने पर शिक्षक राघवेन्द्र गंगवार ने बताया कि यहां सिर्फ तीन ही बच्चों को दाखिला है। जिसमें माही कक्षा चार, श्लोक कक्षा तीन तथा निशा कक्षा दो में पढ़ते हैं। जिसमें से माही अनुपस्थित रहा, इसलिए बच्चों की संख्या सिर्फ दो बची। इसी बीच विद्यालय में तैनात दूसरे शिक्षक प्रेमपाल भी आ गए। फिर दो बच्चों को पढ़ाने के लिए दो अध्यापक हो गए। शिक्षक राघवेन्द्र ने बताया कि पहले बाइफरकेशन में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की भारी भरकम फौज सरकारी आवासों में रहती थी। तब बड़ी संख्या में इन्हीं परिवारों के बच्चे पढ़ने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए। नई भर्तियां हुईं नहीं। जो कर्मचारी काम पर भी हैं, उनमें से अधिकांश लोगों ने पीलीभीत अथवा पूरनपुर में अपने आवास बना लिए हैं। लिहाजा जर्जर हो चुके अधिकांश सरकारी आवास खाली पड़े हैं। इसका सीधा असर विद्यालय पर भी पड़ा। बाइफरकेशन के करीब ढका गांव है, जिसकी भी दूरी करीब ढह किमी है। ढका में भी प्राथमिक विद्यालय है, लिहाजा वहां से भी बच्चों के आने की कोई गुंजाइश नहीं है। अब चूंकि वहां पर पहले से प्राथमिक विद्यालय रहा है, इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने बाकायदा दो शिक्षकों की तैनाती कर रखी है।
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लिए पर्याप्त है।
यह कोई किस्सा कहानी नहीं बल्कि प्राथमिक विद्यालय बाइफरकेशन की सच्चाई है, जिसे कभी भी आप नंगी आंखों से देख सकते हैं। 1टाइगर रिजर्व जंगल के करीब स्थित प्राथमिक विद्यालय बाइफरकेशन की बूढ़ी जर्जर इमारत तो यही बताती है कि यह स्कूल काफी पुराना है।
गुरुवार को सुबह करीब सवा दस बजे विद्यालय के भारी भरकम मैदान में सिर्फ दो बच्चों को पढ़ाते हुए एक शिक्षक पर नजर पड़ी तो हकीकत जानने की उत्सुकता लाजिमी ही थी। करीब जाने पर शिक्षक राघवेन्द्र गंगवार ने बताया कि यहां सिर्फ तीन ही बच्चों को दाखिला है। जिसमें माही कक्षा चार, श्लोक कक्षा तीन तथा निशा कक्षा दो में पढ़ते हैं। जिसमें से माही अनुपस्थित रहा, इसलिए बच्चों की संख्या सिर्फ दो बची। इसी बीच विद्यालय में तैनात दूसरे शिक्षक प्रेमपाल भी आ गए। फिर दो बच्चों को पढ़ाने के लिए दो अध्यापक हो गए। शिक्षक राघवेन्द्र ने बताया कि पहले बाइफरकेशन में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की भारी भरकम फौज सरकारी आवासों में रहती थी। तब बड़ी संख्या में इन्हीं परिवारों के बच्चे पढ़ने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए। नई भर्तियां हुईं नहीं। जो कर्मचारी काम पर भी हैं, उनमें से अधिकांश लोगों ने पीलीभीत अथवा पूरनपुर में अपने आवास बना लिए हैं। लिहाजा जर्जर हो चुके अधिकांश सरकारी आवास खाली पड़े हैं। इसका सीधा असर विद्यालय पर भी पड़ा। बाइफरकेशन के करीब ढका गांव है, जिसकी भी दूरी करीब ढह किमी है। ढका में भी प्राथमिक विद्यालय है, लिहाजा वहां से भी बच्चों के आने की कोई गुंजाइश नहीं है। अब चूंकि वहां पर पहले से प्राथमिक विद्यालय रहा है, इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने बाकायदा दो शिक्षकों की तैनाती कर रखी है।
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