लखनऊ । निर्दल समूह और सपा के बागी
देवेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही
तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग उठाई।
पर, सभापति ने प्रश्न प्रहर का हवाला देते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। सदस्यों ने शून्य प्रहर में फिर इस मामले को उठाने का प्रयास किया।
साथ ही नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। सभापति ने इन सदस्यों द्वारा कही जा रही बातों को कार्यवाही का भाग न बनाने का निर्देश दिया। साथ ही सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में जब कार्यवाही शुरू हुई तो ये सदस्यों ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन कर दिया। सदन से बाहर जाने के बाद देवेंद्र प्रताप सहित निर्दल विधायक राजबहादुर सिंह चंदेल, चेतनारायण सिंह, उमेश द्विवेदी ने संयुक्त बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के साथ 7 अप्रैल 2015 को वार्ता में तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का आश्वासन दिया गया। सरकार ने 4 अगस्त 2015 को हुई कैबिनेट में इन शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय किया। पर, अभी तक इस पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया। साथ ही कहा, सभी शिक्षक मौलिक पदों पर नियुक्त हैं और पूरा वेतन पा रहे हैं। लिहाजा स्थायी करने से सरकार को कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन, नियमितीकरण की मांग पर सरकार बदले की कार्रवाई पर उतर आई है। न्यायालय के एक निर्णय की आड़ में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को तदर्थ शिक्षकों की समीक्षा का निर्देश दे दिया है। साथ ही तदर्थ शिक्षकों की विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन याचिकाओं को पैरवी कर निरस्त कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसे रोकने की मांग की। कहा, जिन शिक्षकों को निकालने की साजिश की जा रही है वे सभी 50 वर्ष की आयु से ऊपर के हैं और 20-25 साल से पढ़ा रहे हैं।
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पर, सभापति ने प्रश्न प्रहर का हवाला देते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। सदस्यों ने शून्य प्रहर में फिर इस मामले को उठाने का प्रयास किया।
साथ ही नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। सभापति ने इन सदस्यों द्वारा कही जा रही बातों को कार्यवाही का भाग न बनाने का निर्देश दिया। साथ ही सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में जब कार्यवाही शुरू हुई तो ये सदस्यों ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन कर दिया। सदन से बाहर जाने के बाद देवेंद्र प्रताप सहित निर्दल विधायक राजबहादुर सिंह चंदेल, चेतनारायण सिंह, उमेश द्विवेदी ने संयुक्त बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के साथ 7 अप्रैल 2015 को वार्ता में तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का आश्वासन दिया गया। सरकार ने 4 अगस्त 2015 को हुई कैबिनेट में इन शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय किया। पर, अभी तक इस पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया। साथ ही कहा, सभी शिक्षक मौलिक पदों पर नियुक्त हैं और पूरा वेतन पा रहे हैं। लिहाजा स्थायी करने से सरकार को कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन, नियमितीकरण की मांग पर सरकार बदले की कार्रवाई पर उतर आई है। न्यायालय के एक निर्णय की आड़ में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को तदर्थ शिक्षकों की समीक्षा का निर्देश दे दिया है। साथ ही तदर्थ शिक्षकों की विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन याचिकाओं को पैरवी कर निरस्त कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसे रोकने की मांग की। कहा, जिन शिक्षकों को निकालने की साजिश की जा रही है वे सभी 50 वर्ष की आयु से ऊपर के हैं और 20-25 साल से पढ़ा रहे हैं।
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