शिक्षामित्र अप्रशिक्षित अध्यापक :हाई कोर्ट पूर्ण पीठ‼हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का अध्ययन करना हमारा काम नहीं चूँकि इसके लिए हम लोगो ने लाखो के वकील रखे हैं।
लेकिन जब बात बात मान सम्मान और आजीविका की हो तो सब कुछ करना पड़ता है। हम वकीलो पे सब छोड़ के बैठ जाने वाले नहीं हैं।
और इस दिशा में जब हमने शोध किये तो कई ऐसे मुकद्दमे जो हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ और सुप्रीम कोर्ट ने तै किये हमें मिले जो ये सिद्ध करते हैं कि हाई कोर्ट के 12 सितम्बर 15 के फैसले ठीक उलट हैं।एक उल्लेखनीय मुकद्दमा जो पूर्ण पीठ ने तै किया जो राजिस्थान के शिक्षामित्रो का था उस में :-
in service as para teachers या Government Schemes Sarva Shiksha Abhiyaan as Shiksha Mitra उन्हें the requisite academic qualification पूरी करने की छूट दी।
मज़े की बात ये कि इस में फैसला देते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट के पूर्व सीजे के पिता श्री Y. V. Chandrachud के फैसले का संदर्भ लिया गया है।
⚖राजिस्थान के ही एक और फैसले में एनसीटीई के काउंटर के आधार पर शिक्षामित्रो को टेट न लागू होने का फैसला सुनाया
और उसमे साफ़ साफ़ ये कहा गया कि ये लोग पंचायती राज अधिनियम के अधीन रखे गए और ये ही इनकी नियुक्ति का वैधानिक आधार है।
⚖जब कि यूपी सरकार के इसी आधार को इलाहबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।
The submission which has been urged on behalf of the State and by some of the supporting counsel, is that Section 11 of the U P Basic Education Act, 1972 contemplates the constitution of Village Education Committees. This does not render the Shiksha Mitra Scheme a statutory scheme. The function of Village Education Committees as defined in sub-section (2) of Section 11 is to establish, administer, control and manage basic schools in the Panchayat area and to discharge such other functions pertaining to basic education as may be entrusted by the State Government.
👆🏼राज्य सरकार और उसके वकीलों ने वर्ष 2013 आठ अगस्त को ये बयान सबमिट किया था कि शिक्षामित्र योजना ग्राम शिक्षा समिति के अधीन थी और ये कोई वैधानिक योजना नहीं थी।
कोर्ट ने राज्य के इस बयान को कि
"शिक्षामित्र योजना वैधानिक योजना नहीं थी" को अपने फैसले का आधार बना लिया।
है न अजब।
⚖अब बात महाराष्ट्र की इस राज्य ने वर्ष 2013 में अपने यहाँ के शिक्षामित्रो को आरटीई एक्ट के 12 क लाभ देते हुए पूर्व नियुक्त शिक्षक मानकर टेट से छूट दी।
तो इस तरह हमने मुकद्दमा जितने के मज़बूत आधार जमा किये हैं और अपने वकील को ये सब साक्ष्य उपलब्ध करा रहे हैं ताकि अपनी नौकरी सुरक्षित रख सकें।
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लेकिन जब बात बात मान सम्मान और आजीविका की हो तो सब कुछ करना पड़ता है। हम वकीलो पे सब छोड़ के बैठ जाने वाले नहीं हैं।
और इस दिशा में जब हमने शोध किये तो कई ऐसे मुकद्दमे जो हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ और सुप्रीम कोर्ट ने तै किये हमें मिले जो ये सिद्ध करते हैं कि हाई कोर्ट के 12 सितम्बर 15 के फैसले ठीक उलट हैं।एक उल्लेखनीय मुकद्दमा जो पूर्ण पीठ ने तै किया जो राजिस्थान के शिक्षामित्रो का था उस में :-
in service as para teachers या Government Schemes Sarva Shiksha Abhiyaan as Shiksha Mitra उन्हें the requisite academic qualification पूरी करने की छूट दी।
मज़े की बात ये कि इस में फैसला देते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट के पूर्व सीजे के पिता श्री Y. V. Chandrachud के फैसले का संदर्भ लिया गया है।
⚖राजिस्थान के ही एक और फैसले में एनसीटीई के काउंटर के आधार पर शिक्षामित्रो को टेट न लागू होने का फैसला सुनाया
और उसमे साफ़ साफ़ ये कहा गया कि ये लोग पंचायती राज अधिनियम के अधीन रखे गए और ये ही इनकी नियुक्ति का वैधानिक आधार है।
⚖जब कि यूपी सरकार के इसी आधार को इलाहबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है।
The submission which has been urged on behalf of the State and by some of the supporting counsel, is that Section 11 of the U P Basic Education Act, 1972 contemplates the constitution of Village Education Committees. This does not render the Shiksha Mitra Scheme a statutory scheme. The function of Village Education Committees as defined in sub-section (2) of Section 11 is to establish, administer, control and manage basic schools in the Panchayat area and to discharge such other functions pertaining to basic education as may be entrusted by the State Government.
👆🏼राज्य सरकार और उसके वकीलों ने वर्ष 2013 आठ अगस्त को ये बयान सबमिट किया था कि शिक्षामित्र योजना ग्राम शिक्षा समिति के अधीन थी और ये कोई वैधानिक योजना नहीं थी।
कोर्ट ने राज्य के इस बयान को कि
"शिक्षामित्र योजना वैधानिक योजना नहीं थी" को अपने फैसले का आधार बना लिया।
है न अजब।
⚖अब बात महाराष्ट्र की इस राज्य ने वर्ष 2013 में अपने यहाँ के शिक्षामित्रो को आरटीई एक्ट के 12 क लाभ देते हुए पूर्व नियुक्त शिक्षक मानकर टेट से छूट दी।
तो इस तरह हमने मुकद्दमा जितने के मज़बूत आधार जमा किये हैं और अपने वकील को ये सब साक्ष्य उपलब्ध करा रहे हैं ताकि अपनी नौकरी सुरक्षित रख सकें।
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