जागरण विधि संवाददाता,
इलाहाबाद1 हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़ ने जीवन के
अनछुए पहलुओं की भी अपनों के बीच खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उनकी
सबसे अच्छी मित्र पत्नी कल्पना दास हैं। 2013 में जब वह मुंबई हाईकोर्ट में
न्यायाधीश थे, तभी इलाहाबाद हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनने का अवसर मिला। इस
संबंध में जब पत्नी का परामर्श लिया तो उन्होंने तपाक से कहा कि यह सुनहरा
मौका है
बिना समय गंवाए वहां जाकर काम करना चाहिए। चीफ जस्टिस बोले, उनकी मां प्रभा शास्त्रीय संगीत की जानकार हैं और पिता डा. वाईवी चंद्रचूड सात वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। 1श्रीफल व अंगवस्त्रम् से सम्मानित 1विदाई समारोह में मुख्य न्यायाधीश का न्याय कक्ष पूरी तरह से भर गया था। कई अधिवक्ता कक्ष के बाहर मार्बल हॉल में लगे सर्किट टीवी के जरिए समारोह का लाइव प्रसारण देख रहे थे। कार्यक्रम के बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पुस्तकालय हॉल में आए जहां बार एसोसिएशन की तरफ से स्मृति चिन्ह व श्रीफल तथा अंगवस्त्रम भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। बार के पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त होने की बधाई भी दी।
कार्यक्रम में वरिष्ठ न्यायमूर्ति वीके शुक्ल, न्यायमूर्ति अरुण टंडन, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राधाकांत ओझा व संचालन सचिव अशोक कुमार सिंह ने किया। 1 आदर्श अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष एनके चटर्जी ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड के कार्यकाल को विकास युग के रूप में याद किया। अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि हमने एक सुयोग्य व्यक्ति को देश की सर्वोच्च अदालत तक के सफर में सहयोग देकर अपना गौरव बढ़ाया है। शरद चंद्र मिश्र ने कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड की मौजूदगी से हाईकोर्ट की गरिमा बढ़ी है। 1सेवानिवृत्त जजों का हो सकता बेहतर इस्तेमाल : मुख्य न्यायाधीश डा.चंद्रचूड ने कहा कि कई ऐसे सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं जो सार्वजनिक जीवन में बेहद सक्रिय हैं और निरंतर कुछ न कुछ कर रहे हैं। ऐसे जजों को चिन्हित करके उन्हें नए सिरे से जोड़ा जाए तो यह कदम न्यायपालिका के हित में होगा। 1बीस बरस बाद लौटी परंपरा 1इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के दूसरे जगह तबादला होने या फिर सेवानिवृत्त होने की फुलकोर्ट रिफरेंस की परंपरा बीस बरस बाद फिर से शुरू हुई है। इसका भी श्रेय चीफ जस्टिस डा. चंद्रचूड को जाता है। पहले 1995 में मुख्य न्यायाधीश एसएस सोढ़ी के समय इसका अनुपालन हुआ था। उसके बाद 2015 में जस्टिस मुर्तजा के सम्मान में फुलकोर्ट रिफरेंस की परंपरा फिर शुरू हुई।
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बिना समय गंवाए वहां जाकर काम करना चाहिए। चीफ जस्टिस बोले, उनकी मां प्रभा शास्त्रीय संगीत की जानकार हैं और पिता डा. वाईवी चंद्रचूड सात वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। 1श्रीफल व अंगवस्त्रम् से सम्मानित 1विदाई समारोह में मुख्य न्यायाधीश का न्याय कक्ष पूरी तरह से भर गया था। कई अधिवक्ता कक्ष के बाहर मार्बल हॉल में लगे सर्किट टीवी के जरिए समारोह का लाइव प्रसारण देख रहे थे। कार्यक्रम के बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पुस्तकालय हॉल में आए जहां बार एसोसिएशन की तरफ से स्मृति चिन्ह व श्रीफल तथा अंगवस्त्रम भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। बार के पदाधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त होने की बधाई भी दी।
कार्यक्रम में वरिष्ठ न्यायमूर्ति वीके शुक्ल, न्यायमूर्ति अरुण टंडन, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राधाकांत ओझा व संचालन सचिव अशोक कुमार सिंह ने किया। 1 आदर्श अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष एनके चटर्जी ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड के कार्यकाल को विकास युग के रूप में याद किया। अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि हमने एक सुयोग्य व्यक्ति को देश की सर्वोच्च अदालत तक के सफर में सहयोग देकर अपना गौरव बढ़ाया है। शरद चंद्र मिश्र ने कहा कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड की मौजूदगी से हाईकोर्ट की गरिमा बढ़ी है। 1सेवानिवृत्त जजों का हो सकता बेहतर इस्तेमाल : मुख्य न्यायाधीश डा.चंद्रचूड ने कहा कि कई ऐसे सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं जो सार्वजनिक जीवन में बेहद सक्रिय हैं और निरंतर कुछ न कुछ कर रहे हैं। ऐसे जजों को चिन्हित करके उन्हें नए सिरे से जोड़ा जाए तो यह कदम न्यायपालिका के हित में होगा। 1बीस बरस बाद लौटी परंपरा 1इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के दूसरे जगह तबादला होने या फिर सेवानिवृत्त होने की फुलकोर्ट रिफरेंस की परंपरा बीस बरस बाद फिर से शुरू हुई है। इसका भी श्रेय चीफ जस्टिस डा. चंद्रचूड को जाता है। पहले 1995 में मुख्य न्यायाधीश एसएस सोढ़ी के समय इसका अनुपालन हुआ था। उसके बाद 2015 में जस्टिस मुर्तजा के सम्मान में फुलकोर्ट रिफरेंस की परंपरा फिर शुरू हुई।
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