इलाहाबाद : कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (सीजेएल) का पहला चरण क्वालीफाइंग हो सकता है। इस तरह के सुझाव आयोग को क्षेत्रीय कार्यालयों की ओर से मिले हैं और इस पर विचार शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि ऐसा होने पर इस परीक्षा में नकल की कोशिशों पर काफी हद तक विराम लग सकता है।
सीजेएल परीक्षा में हर साल कई लाख अभ्यर्थी शामिल होते हैं। 1गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी पीसीएस की परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग कर दिया है। इसके बाद ही कर्मचारी चयन आयोग की सीजेएल परीक्षा का पहला चरण क्वालीफाइंग करने की मांग उठी है।
यदि आयोग इसे हरी झंडी दे दे देता है तो इसके नंबर मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाएंगे। सूत्रों के अनुसार एक सुझाव यह भी है कि दूसरे चरण की परीक्षा को ऑनलाइन किया जाए। इसके बाद आयोग की परीक्षाओं में नकल माफिया की घुसपैठ पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इससे पहले इस परीक्षा में नकल के कई मामले प्रकाश में आते रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग सका है। वस्तुत: आयोग की सबसे बड़ी समस्या राज्यों से पूरा सहयोग न मिल पाना है। सीजेएल का आयोजन देश स्तर पर होता है और हर राज्य में बड़ी संख्या में इसके लिए केंद्र बनाए जाते हैं। इस परीक्षा के आयोजन में राज्य स्तर से जुड़े अधिकारी नकल के मामलों की अनदेखी करते आए हैं। अब तक जो बड़े मामले सामने आए हैं, उनका पर्दाफाश आयोग के अधिकारियों की ओर से ही हुआ है। आयोग की कोशिशों से ही दिल्ली ओर हरियाणा में नकल में लगे गिरोहों का भी पर्दाफाश हुआ। पहले चरण की दबाव कम होने पर आयोग को सिर्फ मुख्य परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।
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सीजेएल परीक्षा में हर साल कई लाख अभ्यर्थी शामिल होते हैं। 1गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी पीसीएस की परीक्षा में सीसैट को क्वालीफाइंग कर दिया है। इसके बाद ही कर्मचारी चयन आयोग की सीजेएल परीक्षा का पहला चरण क्वालीफाइंग करने की मांग उठी है।
यदि आयोग इसे हरी झंडी दे दे देता है तो इसके नंबर मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाएंगे। सूत्रों के अनुसार एक सुझाव यह भी है कि दूसरे चरण की परीक्षा को ऑनलाइन किया जाए। इसके बाद आयोग की परीक्षाओं में नकल माफिया की घुसपैठ पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इससे पहले इस परीक्षा में नकल के कई मामले प्रकाश में आते रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग सका है। वस्तुत: आयोग की सबसे बड़ी समस्या राज्यों से पूरा सहयोग न मिल पाना है। सीजेएल का आयोजन देश स्तर पर होता है और हर राज्य में बड़ी संख्या में इसके लिए केंद्र बनाए जाते हैं। इस परीक्षा के आयोजन में राज्य स्तर से जुड़े अधिकारी नकल के मामलों की अनदेखी करते आए हैं। अब तक जो बड़े मामले सामने आए हैं, उनका पर्दाफाश आयोग के अधिकारियों की ओर से ही हुआ है। आयोग की कोशिशों से ही दिल्ली ओर हरियाणा में नकल में लगे गिरोहों का भी पर्दाफाश हुआ। पहले चरण की दबाव कम होने पर आयोग को सिर्फ मुख्य परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।
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