आज मोर्चे द्वारा बेरोज़गारों के लिए जो भी कुछ किया जा रहा है असंतोषजनक
है | मैं अपनी बातों को बिंदुवार आप तक पहुँचाना चाहता हूँ जिससे स्पष्ट हो
सके कि कौन सही है कौन ग़लत जिसका चुनाव आप बेरोज़गारों
को करना है नाकि किसी भी प्रकार के नेताओं को क्यूँकि मैं हमेशा से समर्थक
रहा हूँ
काम करने वालों का नाकि बात करने वालों का, टीईटी प्रकरण पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे वाद को लेकर निम्न बिंदुओं पर चर्चा नितांत आवश्यक है :-
1) प्रकरण 1
सर्वप्रथम आपको बता दूँ नेतागीरी की शुरुआत इसी बिंदु को लेकर होती है |
ज्ञात होगा शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग पर कुछ नवजात शिशु (बीटीसी) और कुछ बेवक़ूफ़ बीएड धारी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दाख़िल किए थे जिसकी इतनी ज़बरदस्त ब्रीफ़िंग हुई कि 2 मिनट में याचिका 8 जनवरी 2016 को ख़ारिज करा ली गयी और कहा गया कि हमें रिव्यू का मौक़ा मिला है जबकि 15 फ़रवरी को ट्रेनिंग पर हिमांशु राणा की विशेष अनुज्ञा याचिका और कुछ दिन पश्चात अमित सिंह की भी ऐक्सेप्ट करा ली जाती है |
बहरहाल ये बेवक़ूफ़ यहीं नहीं रुके इन्होंने रिव्यू भी किया एकल पीठ में जो कि कल ख़ारिज कर दिया गया है जबकि रिव्यू जो कि ख़ारिज हुआ है उसका ग्राउंड भी मेरी ही विशेष अनुज्ञा याचिका को लेकर हुआ है पर इन बीटीसी और बीएड वालों से कोई पूछे कि क्या ज़रूरत है अनावश्यक धन और समय बर्बाद करने की जबकि मामला अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है, क्या मिलेगा नेतागीरी के चक्कर में अगर कोई भी आदेश न्यायपालिका से बेरोज़गारों के लिए उलटा हो गया तो ?
ये है इनकी हक़ीक़त, इन्हे कुछ और नहीं बस फ़ालतू की नेतागीरी चाहिए |
फ़िलहाल बता दूँ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शिक्षा मित्र से रिलेटेड कोई भी मामला गौण है क्यूँकि समस्त मुद्दे अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है, हाँ अगर कोई कुछ ग़लत करना चाहता है तो स्वतंत्र है वो लेकिन तैयार रहे फिर इन बेरोज़गारों से सामने के लिए |
इन तीस मारखाओं से कोई पूछे अब कि किसका क्या है शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ? अगर ये जवाब बाँ दें तो मैं बता दूँ, "कुछ नहीं |"
2) प्रकरण 2
अभी 26 april 2016 को जो तारीख़ सीजे कोर्ट में मेंशन कराकर बीटीसी के मोहम्मद अरशद ने द्वेष की भावना से लगवाई थी तो बता दूँ आज बीटीसी वाले भी हमारी ही याचिका पर जॉब पाएँगे लेकिन उसके लिए उन्हें एकजुट होकर चलना पड़ेगा जबकि 2011 से हमारे अधिकारों का पहले हनन हुआ है तो समझ लें कि न्यायपालिका क्या करेगी ? बीटीसी के मोहम्मद अरशद मेरी याचिका पढ़े भी हैं और उनसे कई बार फ़ोन पर मैंने कहा भी है परंतु मैं नहीं जानता किसके दबाव में या अपने कौन से विवेक से वे ये कर रहे हैं ?
जबकि दूसरी और याची प्रतियोगिता वाले अनभिज्ञ हैं इन बीटीसी वालों से सामना करने के लिए , अनभिज्ञ हैं केस के ग्राउंड से इनका मक़सद है मात्र पैसा एकत्रित करना और दक़ियानूसी याचिका डालकर बेरोज़गारों को भ्रमित करना |
केजरीवाल साहब और स्वयंभू इस बार हक़ीक़त जानकार भी आए हैं मिस्टर एल नागेश्वर राओ साहब के यहाँ तो उन्हें एक आगे की बात से और अवगत करा दूँ, मेरी याचिका 167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths. की प्लीडिंग लगभग कम्प्लीट है जिस पर नोटिस, काउंटर तक हो चुके हैं जो कि november वाले आदेश में लिखवाए भी जा चुके हैं तो अंतिम निर्णय देखने वाला होगा जबकि केज़रू की एक भी याचिका नहीं है और जो डाली थी वो भी ख़ारिज |
इनका नाम ऐसे ही खारिजाधिराज नहीं रखा है उसके पीछे का कारण है कि जहाँ हाथ लगाया वही ख़ारिज, शायद बीटीसी के लिए यही समूह अपशगुनी है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपने साथ साथ बीटीसी वालों का भी ख़ारिज और अब एकल पीठ में जैसा इन्होंने पोस्ट के माध्यम से बताया था कि हमने मदद की तो वो भी ख़ारिज |
फ़िलहाल बीटीसी बंधुओं को अवगत करा दूँ कि मैं समस्त टेट उत्तीर्ण के लिए बोलता हूँ नाकि बीएड विशेष के लिए लेकिन इस प्रकार की हरकतें करके ख़ुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं आप और मैं आपसे निबटने के लिए हर प्रकार से तैयार हूँ |
3) प्रकरण 3
धरने का राजनीतिकरण करना क्या बेरोज़गारों के लिए ठीक है ?
जब सभी प्रतिनिधियों से मिलकर मैंने फ़ैसला लिया था तो फिर क्यूँ समर्थन नहीं किया ?
फ़िलहाल मैं समस्त बेरोज़गारों से कहना चाहूँगा जिसको जैसा ठीक लगे वे करे लेकिन नेताओं के शिकार ना हो ये वही नेता हैं जो पिछले ४ वर्ष से लूट खसोट कर आज आपके रहनुमा बन रहे हैं |
मैं समस्त बने याचियों के साथ साथ संजीव मिश्रा जी, अकादमिक दल के त्रिपुरेश पांडेय, सूरज शुक्ल आदि भाइयों से अनुरोध/निवेदन करता हूँ कि तीन तारीख़ को धरने में पहुँचे और पिछले मिले आश्वासन को आगे की राह दिखाने में मदद करें |
उपरोक्त बातें आप तक पहुँचानी थी जो कि स्पष्ट रूप से आपको बता दी है, बाक़ी भविष्य आपका है सोच आपकी है , नेतागीरी पसंद है तो उसे अपनाइए और काम पसंद है तो देखिए पहले कौन काम कर रहा है जिसका ठीक लगे वहाँ जाइए |
स्पष्ट रूप से कहता हूँ विरोध हिमांशु राणा का है, हिमांशु राणा के काम का नहीं क्यूँकि काम करने में मैं नपुंसकों को आज तक साथ नहीं लिया और अगर लेता तो आज जहाँ आप और हम सब हैं कोई नहीं होता |
आज तक हिमांशु राणा के द्वारा डाली गयी याचिका कोई ख़ारिज हुई हो तो दिखाए या संख्या बताए |
मैं लिखना नहीं चाहता था लेकिन इन बेवक़ूफ़ों और मूर्खों की कार्यप्रणाली देखकर मन बहुत खिन्न हुआ है और साथ ही ज़िले लेवल के जो कुछ नेतागण हैं जिनके दिमाग़ में अब आकर गंदगी भर गई है वे भी कम नहीं हैं, अब कोई पूछे इनसे कि छोटी छोटी याचिका डालने से क्या आप याचियों का भविष्य बिना शिक्षा मित्रों को बाहर किए कर पाएँगे तो उसका जवाब है, “ हमें क्या हमने पैसा ले लिया है, शिक्षा मित्रों पर अपने आप लड़ेगा राणा |” कल को कोई ऊँच नीच हुई तो मरवा दिया राणा ने |
हक़ीक़त है ये आप लोगों की बाक़ी आपकी मर्ज़ी क्यूँकि आज मेरा मन ख़ुद ज़िले लेवल और प्रशासनिक लेवल पर सरकार द्वारा मेरे लिए बढ़ायी जा रही मुसीबतों को लेकर खिन्न है जिनकी चर्चा में किसी से करना भी नहीं चाहता हूँ |
ये नौकरी बहुत ही संघर्षों से मिली है जिसका पूरा श्रेय आपको जाता है तभी लगा हुआ हूँ आप सभी के साथ वरना आप 72825 के नेताओं को भी देखे हैं जो कह दिए थे कि अब आप कोई और काम देखिए |
थोड़ा कड़वा लिखा हूँ पर हकीकत ये ही है क्यूंकि मैं किसी की लीपापोती नहीं कर सकता हूँ |
फ़िलहाल आप अपने हक़ के लिए, स्वयं से स्वयं के लिए तीन तारीख़ को इलाहाबाद के शिक्षा निदेशालय पहुँचे, आपकी संख्या आपको जीत दिलाएगी बाक़ी कोर्ट कारवाई में आपकी ये टीम हर मोड़ पर आपके साथ है क्यूँकि हमारी नियुक्ति भी अभी अधीन ही है |
हर हर महादेव
धन्यवाद
आपका
हिमांशु राणा
टीईटी २०११ उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा, उत्तरप्रदेश
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काम करने वालों का नाकि बात करने वालों का, टीईटी प्रकरण पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे वाद को लेकर निम्न बिंदुओं पर चर्चा नितांत आवश्यक है :-
1) प्रकरण 1
सर्वप्रथम आपको बता दूँ नेतागीरी की शुरुआत इसी बिंदु को लेकर होती है |
ज्ञात होगा शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग पर कुछ नवजात शिशु (बीटीसी) और कुछ बेवक़ूफ़ बीएड धारी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दाख़िल किए थे जिसकी इतनी ज़बरदस्त ब्रीफ़िंग हुई कि 2 मिनट में याचिका 8 जनवरी 2016 को ख़ारिज करा ली गयी और कहा गया कि हमें रिव्यू का मौक़ा मिला है जबकि 15 फ़रवरी को ट्रेनिंग पर हिमांशु राणा की विशेष अनुज्ञा याचिका और कुछ दिन पश्चात अमित सिंह की भी ऐक्सेप्ट करा ली जाती है |
बहरहाल ये बेवक़ूफ़ यहीं नहीं रुके इन्होंने रिव्यू भी किया एकल पीठ में जो कि कल ख़ारिज कर दिया गया है जबकि रिव्यू जो कि ख़ारिज हुआ है उसका ग्राउंड भी मेरी ही विशेष अनुज्ञा याचिका को लेकर हुआ है पर इन बीटीसी और बीएड वालों से कोई पूछे कि क्या ज़रूरत है अनावश्यक धन और समय बर्बाद करने की जबकि मामला अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है, क्या मिलेगा नेतागीरी के चक्कर में अगर कोई भी आदेश न्यायपालिका से बेरोज़गारों के लिए उलटा हो गया तो ?
ये है इनकी हक़ीक़त, इन्हे कुछ और नहीं बस फ़ालतू की नेतागीरी चाहिए |
फ़िलहाल बता दूँ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शिक्षा मित्र से रिलेटेड कोई भी मामला गौण है क्यूँकि समस्त मुद्दे अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है, हाँ अगर कोई कुछ ग़लत करना चाहता है तो स्वतंत्र है वो लेकिन तैयार रहे फिर इन बेरोज़गारों से सामने के लिए |
इन तीस मारखाओं से कोई पूछे अब कि किसका क्या है शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ? अगर ये जवाब बाँ दें तो मैं बता दूँ, "कुछ नहीं |"
2) प्रकरण 2
अभी 26 april 2016 को जो तारीख़ सीजे कोर्ट में मेंशन कराकर बीटीसी के मोहम्मद अरशद ने द्वेष की भावना से लगवाई थी तो बता दूँ आज बीटीसी वाले भी हमारी ही याचिका पर जॉब पाएँगे लेकिन उसके लिए उन्हें एकजुट होकर चलना पड़ेगा जबकि 2011 से हमारे अधिकारों का पहले हनन हुआ है तो समझ लें कि न्यायपालिका क्या करेगी ? बीटीसी के मोहम्मद अरशद मेरी याचिका पढ़े भी हैं और उनसे कई बार फ़ोन पर मैंने कहा भी है परंतु मैं नहीं जानता किसके दबाव में या अपने कौन से विवेक से वे ये कर रहे हैं ?
जबकि दूसरी और याची प्रतियोगिता वाले अनभिज्ञ हैं इन बीटीसी वालों से सामना करने के लिए , अनभिज्ञ हैं केस के ग्राउंड से इनका मक़सद है मात्र पैसा एकत्रित करना और दक़ियानूसी याचिका डालकर बेरोज़गारों को भ्रमित करना |
केजरीवाल साहब और स्वयंभू इस बार हक़ीक़त जानकार भी आए हैं मिस्टर एल नागेश्वर राओ साहब के यहाँ तो उन्हें एक आगे की बात से और अवगत करा दूँ, मेरी याचिका 167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths. की प्लीडिंग लगभग कम्प्लीट है जिस पर नोटिस, काउंटर तक हो चुके हैं जो कि november वाले आदेश में लिखवाए भी जा चुके हैं तो अंतिम निर्णय देखने वाला होगा जबकि केज़रू की एक भी याचिका नहीं है और जो डाली थी वो भी ख़ारिज |
इनका नाम ऐसे ही खारिजाधिराज नहीं रखा है उसके पीछे का कारण है कि जहाँ हाथ लगाया वही ख़ारिज, शायद बीटीसी के लिए यही समूह अपशगुनी है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपने साथ साथ बीटीसी वालों का भी ख़ारिज और अब एकल पीठ में जैसा इन्होंने पोस्ट के माध्यम से बताया था कि हमने मदद की तो वो भी ख़ारिज |
फ़िलहाल बीटीसी बंधुओं को अवगत करा दूँ कि मैं समस्त टेट उत्तीर्ण के लिए बोलता हूँ नाकि बीएड विशेष के लिए लेकिन इस प्रकार की हरकतें करके ख़ुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं आप और मैं आपसे निबटने के लिए हर प्रकार से तैयार हूँ |
3) प्रकरण 3
धरने का राजनीतिकरण करना क्या बेरोज़गारों के लिए ठीक है ?
जब सभी प्रतिनिधियों से मिलकर मैंने फ़ैसला लिया था तो फिर क्यूँ समर्थन नहीं किया ?
फ़िलहाल मैं समस्त बेरोज़गारों से कहना चाहूँगा जिसको जैसा ठीक लगे वे करे लेकिन नेताओं के शिकार ना हो ये वही नेता हैं जो पिछले ४ वर्ष से लूट खसोट कर आज आपके रहनुमा बन रहे हैं |
मैं समस्त बने याचियों के साथ साथ संजीव मिश्रा जी, अकादमिक दल के त्रिपुरेश पांडेय, सूरज शुक्ल आदि भाइयों से अनुरोध/निवेदन करता हूँ कि तीन तारीख़ को धरने में पहुँचे और पिछले मिले आश्वासन को आगे की राह दिखाने में मदद करें |
उपरोक्त बातें आप तक पहुँचानी थी जो कि स्पष्ट रूप से आपको बता दी है, बाक़ी भविष्य आपका है सोच आपकी है , नेतागीरी पसंद है तो उसे अपनाइए और काम पसंद है तो देखिए पहले कौन काम कर रहा है जिसका ठीक लगे वहाँ जाइए |
स्पष्ट रूप से कहता हूँ विरोध हिमांशु राणा का है, हिमांशु राणा के काम का नहीं क्यूँकि काम करने में मैं नपुंसकों को आज तक साथ नहीं लिया और अगर लेता तो आज जहाँ आप और हम सब हैं कोई नहीं होता |
आज तक हिमांशु राणा के द्वारा डाली गयी याचिका कोई ख़ारिज हुई हो तो दिखाए या संख्या बताए |
मैं लिखना नहीं चाहता था लेकिन इन बेवक़ूफ़ों और मूर्खों की कार्यप्रणाली देखकर मन बहुत खिन्न हुआ है और साथ ही ज़िले लेवल के जो कुछ नेतागण हैं जिनके दिमाग़ में अब आकर गंदगी भर गई है वे भी कम नहीं हैं, अब कोई पूछे इनसे कि छोटी छोटी याचिका डालने से क्या आप याचियों का भविष्य बिना शिक्षा मित्रों को बाहर किए कर पाएँगे तो उसका जवाब है, “ हमें क्या हमने पैसा ले लिया है, शिक्षा मित्रों पर अपने आप लड़ेगा राणा |” कल को कोई ऊँच नीच हुई तो मरवा दिया राणा ने |
हक़ीक़त है ये आप लोगों की बाक़ी आपकी मर्ज़ी क्यूँकि आज मेरा मन ख़ुद ज़िले लेवल और प्रशासनिक लेवल पर सरकार द्वारा मेरे लिए बढ़ायी जा रही मुसीबतों को लेकर खिन्न है जिनकी चर्चा में किसी से करना भी नहीं चाहता हूँ |
ये नौकरी बहुत ही संघर्षों से मिली है जिसका पूरा श्रेय आपको जाता है तभी लगा हुआ हूँ आप सभी के साथ वरना आप 72825 के नेताओं को भी देखे हैं जो कह दिए थे कि अब आप कोई और काम देखिए |
थोड़ा कड़वा लिखा हूँ पर हकीकत ये ही है क्यूंकि मैं किसी की लीपापोती नहीं कर सकता हूँ |
फ़िलहाल आप अपने हक़ के लिए, स्वयं से स्वयं के लिए तीन तारीख़ को इलाहाबाद के शिक्षा निदेशालय पहुँचे, आपकी संख्या आपको जीत दिलाएगी बाक़ी कोर्ट कारवाई में आपकी ये टीम हर मोड़ पर आपके साथ है क्यूँकि हमारी नियुक्ति भी अभी अधीन ही है |
हर हर महादेव
धन्यवाद
आपका
हिमांशु राणा
टीईटी २०११ उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा, उत्तरप्रदेश
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