7th PAY COMMISSION : सातवें वेतन आयोग से मिलने वाली राशि से होंगे ये दो बड़े फायदे और नुकसान

नई दिल्ली। 84900 करोड़ रुपये, जी हां यही वह राशि है जो सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के रास्ते 1 करोड़ सरकारी कर्मचारियों और पेशनभोगियों के खाते में पहुंचाएगी।
कोटक इकोनॉमिक रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि इस रकम के हाथों में पहुंचते ही करीब 46800 करोड़ रुपये सीधे बाजार में खरीदारी कर खर्च कर दिए जाएंगे। जो देश की कुल जीडीपी को 30 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने में मदद करेगी। बचे 38100 करोड़ रुपये में से 13000 करोड़ रुपये की राशि सरकार के पास टैक्स के रूप में वापस चली जाएगी और 25000 करोड़ रुपये की राशि तमाम निवेश विकल्पों में बचत के रास्ते आ जाएग ।

केजरीवाल रिसर्च के प्रमुख अरुण केजरीवाल का मानना है कि इतनी बड़ी राशि का खुले बाजार में आना निश्चित तौर पर डिमांड को बूस्ट करेगा जो अर्थव्यस्था के लिए अच्छा संकेत है। केजरीवाल के मुताबिक सितंबर और अक्टूबर के महीने मे एसी, टीवी, फ्रिज, बाइक, कार जैसी चीजों की डिमांड एकाएक बढ़ेगी। जिसका असर नवंबर और उसके बाद आने वाले आर्थिक आंकड़ों में साफ दिखने लगेगा। उनके मुताबिक पीएमआई, आईआईपी, कोर सेक्टर के आंकड़े निश्चित तौर पर इसके बाद सुधरते नजर आएंगे जो शेयर बाजार के लिए भी सकारात्मक संकेतों का काम करेंगे।

Jagran.com की टीम ने जब अरुण केजरीवाल से जब यह जानने का प्रयास किया कि इतनी बड़ी राशि का बाजार में आना शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए महज अच्छी खबरें लाएगा या इसमें कुछ नकारात्मक संकेत भी हैं? इसपर उनका तर्क है कि बाजार में डिमांड का बढ़ना निश्चित दौर पर अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है लेकिन इसके कुछ नकारात्मक असर भी दिखेंगे।

दो बड़े सकारात्मक असर

1.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी से जूझती तमाम अर्थव्यवस्थाओं के बीच सरकार की ओर से यह राशि प्रोत्साहन पैकेज का काम करेगी। इसके बाद बाजार में एकाएक डिमांड देखने को मिलेगी। डिमांड के बल पर अर्थव्यस्था में लंबे समय से जाम पड़े चक्के को कुछ रफ्तार मिलेगी। जिसके फलस्वरूप हर महीने आने वाले तमाम आर्थिक आंकड़े नवंबर के बाद सुधरते दिखेंगे। मसलन, PMI, IIP, GDP, कोर सेक्टर आदि।

2.84900 करोड़ रुपये में से एक हिस्सा बचत में जाएगा। यह बचत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शेयर बाजार में आएगी। मसनल, म्युचुअल फंड, EPF, LIC या सीधे शेयर बाजार में निवेश करके। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह केवल एक बार एकमुश्त राशि के साथ साथ हर महीने बढ़ी राशि में से भी आता रहेगा। ऐसे में बाजार के पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा जो एक सकारात्मक पहलू है।

दो नकारात्मक असर

1.विशेषज्ञ का मानना है कि सातवें वेतन आयोग की एकमुश्त राशि जहां शहरी इलाकों में व्यक्तियों की क्रय क्षमता को बढ़ाएगा। वहीं अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण इलाकों में भी लोगों की आय बढ़ती दिखेगी। इस तरह आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था में महंगाई का खतरा बढ़ सकता है। महंगाई अगर RBI के अनुमानित निशान से ऊपर जाती दिखी तो ब्याज दरों में कटौती के लिए इंतजार कुछ लंबा हो सकता है।

2.एक अनुमान के मुताबिक सरकार वित्त वर्ष 2017 में वेतन और सुविधाओं पर करीब 1.02 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। जो जीडीपी के 0.7 फीसदी के बराबर होगा। इस बड़े खर्च के बाद वित्त वर्ष 2017 में सरकार को अपने वित्तीय राजकोषीय घाटे को काबू में करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। अगर इस मोर्चे पर सरकार नाकाम रही तो यह शेयर बाजार के लिए नकारात्मक खबर होगी। साथ ही बड़ी राशि का इस मद में खर्च हो जाने के बाद सरकार के पूंजीगत व्यय में कुछ कमी दिख सकती है। ऐसे में अगर निजी निवेश बाजार में नहीं आया तो यह अर्थव्यवस्था के लिए एक नकारात्मक संकेत हो सकता है।
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