राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : चुनावी वर्ष में परिषदीय शिक्षकों को फिर एक तोहफा दिए जाने की तैयारी है। अंतर जिला तबादले के बाद अब शिक्षकों को निकाय बदलने का मौका मिलेगा। यानी ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षक शहरी एवं शहरी क्षेत्र के शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में तबादला करा सकेंगे।
ऐसा करने में उनकी वरिष्ठता भी नहीं जाएगी, वहीं शहरी क्षेत्र में जाने वालों को आवासीय भत्ता आदि बढ़ जाने का भी लाभ मिलेगा। इसका खाका खींच लिया गया है इसी माह बेसिक शिक्षा परिषद आवेदन मांगने के लिए आदेश जारी करेगा। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 (यथा संशोधित) के नियम-4 के अनुसार परिषदीय अध्यापकों का संवर्ग स्थानीय निकाय का है। हर जिले में दो स्थानीय निकाय ग्रामीण एवं नगर क्षेत्र परिभाषित हैं। नियमावली के नियम 21 के अनुसार अध्यापकों का स्थानांतरण एक स्थानीय निकाय से दूसरे स्थानीय निकाय में अध्यापक के अनुरोध पर किए जाने का प्रावधान है। साथ ही दूसरे निकाय में स्थानांतरित होने पर शिक्षक अपनी वरिष्ठता गवां देता है। ऐसे में अध्यापक निकाय बदलने से कतराते हैं। इधर प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी होने की बात सामने आई है। नई नियुक्तियां भी ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही हुई हैं। ऐसे में शासन शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर सहमत हो गया है और बेसिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में खाका भी खींच लिया है। इसमें सिर्फ ग्रामीण से नगर क्षेत्र में ही जाने का मौका दिए जाने के साथ ही शहर से ग्रामीण में जाने का भी अवसर मिलेगा। परिषद इसके लिए शिक्षकों से बाकायदे ऑनलाइन आवेदन लेगा और वरिष्ठ शिक्षकों को तबादले में वरीयता देगा। इसमें निकाय बदलने पर वरिष्ठता प्रभावित नहीं होगी। तैयारी है कि अगस्त के अंत तक या फिर सितंबर माह में यह आदेश जारी हो जाएगा। इसमें शहरी क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों को आवासीय भत्ता बढ़ने का लाभ होगा तो ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों की वर्षो पुरानी मुराद पूरी होगी। असल में इसके पहले 2010 में शिक्षकों को निकाय बदलने का मौका मिला था।
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ऐसा करने में उनकी वरिष्ठता भी नहीं जाएगी, वहीं शहरी क्षेत्र में जाने वालों को आवासीय भत्ता आदि बढ़ जाने का भी लाभ मिलेगा। इसका खाका खींच लिया गया है इसी माह बेसिक शिक्षा परिषद आवेदन मांगने के लिए आदेश जारी करेगा। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 (यथा संशोधित) के नियम-4 के अनुसार परिषदीय अध्यापकों का संवर्ग स्थानीय निकाय का है। हर जिले में दो स्थानीय निकाय ग्रामीण एवं नगर क्षेत्र परिभाषित हैं। नियमावली के नियम 21 के अनुसार अध्यापकों का स्थानांतरण एक स्थानीय निकाय से दूसरे स्थानीय निकाय में अध्यापक के अनुरोध पर किए जाने का प्रावधान है। साथ ही दूसरे निकाय में स्थानांतरित होने पर शिक्षक अपनी वरिष्ठता गवां देता है। ऐसे में अध्यापक निकाय बदलने से कतराते हैं। इधर प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी होने की बात सामने आई है। नई नियुक्तियां भी ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही हुई हैं। ऐसे में शासन शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर सहमत हो गया है और बेसिक शिक्षा परिषद ने इस संबंध में खाका भी खींच लिया है। इसमें सिर्फ ग्रामीण से नगर क्षेत्र में ही जाने का मौका दिए जाने के साथ ही शहर से ग्रामीण में जाने का भी अवसर मिलेगा। परिषद इसके लिए शिक्षकों से बाकायदे ऑनलाइन आवेदन लेगा और वरिष्ठ शिक्षकों को तबादले में वरीयता देगा। इसमें निकाय बदलने पर वरिष्ठता प्रभावित नहीं होगी। तैयारी है कि अगस्त के अंत तक या फिर सितंबर माह में यह आदेश जारी हो जाएगा। इसमें शहरी क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों को आवासीय भत्ता बढ़ने का लाभ होगा तो ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों की वर्षो पुरानी मुराद पूरी होगी। असल में इसके पहले 2010 में शिक्षकों को निकाय बदलने का मौका मिला था।
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