जब से अधिकारियो ने 862 याचियो का ६ महीने के बाद का एक्जाम कराने से मना किया है तब से इन लोगो की पेरशानी बढ़ गयी हैै। इसके अलाव आने वाले समय मे होने वाले अचयनित याचियो पर भी तलवार लटक गया है। १ सित्म्बर को याचियो की मीटिंग इलाहाबाद आजाद पार्क मे थी ।
वहां पर भी 862 मे मात्र 200-250 की संख्या रही होगा। यानि 500 से ज्यादा लोग नही आये थे। इसके बाद लखनउ जाने की बात आयी तो काफी कम लोग ही लखनउ पहुंचे। जबकि नौकरी 862 लाेग की है लेकिन लेाग कोई ना कोई बहाना बनाकर जाने से बहाना बनाते रहे। सूचना के अनुसार यदि ३ से ४ दिन मे यदि कोई स्पष्ट रूख नही हुआ तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सबसे ज्यादा दिक्कत लोगो के घरो से न निकलना की वजह से हो रही है। कल इलाहाबाद मे एैसे कई लोगो को देखा गया जो बीमारी का और पैसे ना होने का रोना रो रहे थे। वही कुछ लोग रूसतम फिल्म की डायलाग पत्नी घर पर अकेली है उसका डायलाग बाेल रहे थे । मतलब ना जाने का बहाना ढेर सारे। 862 मे चयनित लीडरो का कहना है कि यदि लखनउ मे भीड़ ना बढ़ी तो लेाग नौकरी भूल जाये और ६ महीन के ट्रेनिंग करके घर बैठे। सबसे दुःख की बात ये हो गयी कि आने वाले समय मे होने वाले अचयनितो का रास्ता भी बंद होने की कगार पर है क्यो कि इसी को अधार बनाकर वो भी चयनित होने का ख्वाब पाल रखा है लेकिन प्रशासन और सरकार के कुचक्र मे चयनित और अचयिनत फस्ते जा रहे है। अचयनित याचियो को भी चुनाव आने तक कम से कम 5 बार 50000 से ज्यादा की संख्या मे लखनउ मे धरना देना चाहिऐ। नही तो समझाे बीएड वालो से नौकरी गयी हाथ से।
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वहां पर भी 862 मे मात्र 200-250 की संख्या रही होगा। यानि 500 से ज्यादा लोग नही आये थे। इसके बाद लखनउ जाने की बात आयी तो काफी कम लोग ही लखनउ पहुंचे। जबकि नौकरी 862 लाेग की है लेकिन लेाग कोई ना कोई बहाना बनाकर जाने से बहाना बनाते रहे। सूचना के अनुसार यदि ३ से ४ दिन मे यदि कोई स्पष्ट रूख नही हुआ तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सबसे ज्यादा दिक्कत लोगो के घरो से न निकलना की वजह से हो रही है। कल इलाहाबाद मे एैसे कई लोगो को देखा गया जो बीमारी का और पैसे ना होने का रोना रो रहे थे। वही कुछ लोग रूसतम फिल्म की डायलाग पत्नी घर पर अकेली है उसका डायलाग बाेल रहे थे । मतलब ना जाने का बहाना ढेर सारे। 862 मे चयनित लीडरो का कहना है कि यदि लखनउ मे भीड़ ना बढ़ी तो लेाग नौकरी भूल जाये और ६ महीन के ट्रेनिंग करके घर बैठे। सबसे दुःख की बात ये हो गयी कि आने वाले समय मे होने वाले अचयनितो का रास्ता भी बंद होने की कगार पर है क्यो कि इसी को अधार बनाकर वो भी चयनित होने का ख्वाब पाल रखा है लेकिन प्रशासन और सरकार के कुचक्र मे चयनित और अचयिनत फस्ते जा रहे है। अचयनित याचियो को भी चुनाव आने तक कम से कम 5 बार 50000 से ज्यादा की संख्या मे लखनउ मे धरना देना चाहिऐ। नही तो समझाे बीएड वालो से नौकरी गयी हाथ से।
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