26 अक्टूबर 2016 के पंजाब राज्य बनाम जगजीत सिंह में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विवरण: शिक्षामित्र केस में फैसले का प्रभाव

वर्ष 2013 से चल रहे पंजाब राज्य बनाम जगजीत सिंह केस का फैसला कल 26 अक्टूबर को जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और एस ए बोबडे की खंडपीठ ने किया। अपने फैसले में कोर्ट ने उमा देवी केस की विस्तृत व्याख्या और चर्चा की है, फैसले में उमादेवी केस की चर्चा पुरे 20 बार की गई है।
और कोर्ट इस मामले में कहता है जो लोग इस के अधीन भी आते हों उन्हें भी नियमित वेतन की मूल राशि के बराबर वेतन दिया जाये। सिर्फ इतना ही नहीं कोर्ट ने जस्टिस टी एस ठाकुर की बेंच द्वारा 2015 में की गयी टिप्पणी को भी दोहराते हुए कहा कि कर्मचारी को नियोक्ता इस तरह के कृत्रिम अनुबंधों से मजबूर करते हैं कि वह वेतन पाने की मांग ही न कर सके।

*कोर्ट ने अपने फैसले को अंतिम रूप देते हुए लिखा:- we have no hesitation in holding, that all the concerned temporary employees, in the present bunch of cases, would be entitled to draw wages at the minimum of the pay-scale (- at the lowest grade, in the regular pay- scale), extended to regular employees, holding the same post.*

*_शिक्षामित्र केस में फैसले का प्रभाव_* मिशन सुप्रीम कोर्ट के वर्किंग ग्रुप मेंबर रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियों का विश्लेषण:- *समायोजन केस में उमादेवी केस को लेकर की गई हाइकोर्ट की टिप्पणी यहाँ पूर्णतयः खारिज हो जाती है। विशेष रूप से अवशेष असमायोजित शिक्षामित्रों और झारखण्ड के पारा शिक्षकों के मामले में ये निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।
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