लखनऊ : करीब दो साल से तबादला नीति का इंतजार कर रहे बेसिक शिक्षकों को नई नीति से तगड़ा झटका लगा है। खासकर 5 साल की सेवा शर्त ने कई शिक्षकों के अपने गृह जनपद में जाने का अरमान तोड़ दिया है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने तबादला नीति ऐसी बनाई है कि कई जिलों में तबादलों के लिए आवेदनों का टोटा हो
जाएगा। इसके पीछे वजह यह है कि नियमित अंतराल पर तबादला नीति आती रही है। पांच साल सेवा पूरी करने वाले वही शिक्षक जिलों में बचे हैं जिनका पिछली सरकार में जुगाड़ नहीं बन पाया या गृह जनपद में बहुत ही दूर तैनाती मिलने की संभावना थी। 2012 में बेसिक में तबादला नीति आई थी, जिसमें तीन वर्ष की सेवा शर्त थी लेकिन केवल महिला शिक्षकों के ही तबादले हुए थे। इस दौरान करीब 20 हजार महिला शिक्षकों के तबादले हुए थे। इसके बाद 2013-14 में तबादला नीति आई तो महिलाओं के लिए महज एक साल सेवा शर्त रखी गई जबकि पुरुष शिक्षकों को तीन साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य था। इसके बाद 2016 में आई तबादला नीति में महिला-पुरुष दोनों ही शिक्षकों के लिए तीन साल सेवा शर्त रखी गई थी। इस साल करीब 24 हजार से अधिक आवेदन आए थे, जिसमें करीब 18 हजार के तबादले हुए थे। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन थी। हालांकि, जुगाड़ वालों ने 'विशेष परिस्थितियों' को आधार बनाकर खूब तबादले कराए। इसके चलते लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा जैसे शहरों में सरप्लस शिक्षक तैनात हो गए। हालांकि अधिकारियों ने प्रमोशन, रिटायरमेंट जैसी दलीलें देकर रास्ता खोल दिया।
पैन नहीं तो आवेदन नहीं : तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन किए जाने हैं। अगर शिक्षक का पैन अपडेट नहीं होगा या गलत होगा तो वह आवेदन नहीं कर सकेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इसके लिए सभी बीएसए को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि सभी शिक्षकों के सैलरी डेटा में सही पैन फीड हो। यदि कोई अध्यापक पैन नंबर भरा न होने के चलते तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाता है तो बीएसए, वित्त और लेखाधिकारी जिम्मेदार होंगे। तबादला नीति में जिलों को तीन जोन में बांटने को भी कहा गया है। इसमें जिले की नगरीय सीमा या मुख्यालय से 8 किमी की दूरी तक एक जोन होगा। जिले में तहसील मुख्यालय से 2 किमी तक दूसरा जोन होगा और इसके अलावा आने वाले स्कूल तीसरे जोन में आएंगे। बीएसए को शीघ्र ही जोनवार स्कूलों को भी आवंटित करने को कहा गया है, जिससे समायोजन और तबादले में कोई समस्या न आए।
नई भर्तीवालों को मौका नहीं : अब जो तबादला नीति आई है उसमें पांच साल की शर्त होने के चलते नई भर्ती के लोगों को मौका नहीं मिलेगा। पिछले तीन साल में करीब 1 लाख शिक्षकों की भर्तियां हुई हैं। वह इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। वहीं यह भी शर्त रखी गई है कि जिले में खाली पदों के 25% संख्या तक ही तबादले हो सकेंगे। शिक्षकों के पदों की गणना भी छात्रसंख्या के आधार पर होगी। 25% की शर्त से भी मौके घटेंगे।
"प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि नई नीति छलावा मात्र है। पिछले तबादले में 4-5 महीने कम होने के नाते जो शिक्षक रह गए थे, उन्हें भी मौका नहीं मिल पाएगा। 5 साल वाले वही बचे हैं, जो महानगरों मे तबादले के लिए प्रयासरत थे लेकिन नहीं हो सका था।"
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
बेसिक शिक्षा विभाग ने तबादला नीति ऐसी बनाई है कि कई जिलों में तबादलों के लिए आवेदनों का टोटा हो
जाएगा। इसके पीछे वजह यह है कि नियमित अंतराल पर तबादला नीति आती रही है। पांच साल सेवा पूरी करने वाले वही शिक्षक जिलों में बचे हैं जिनका पिछली सरकार में जुगाड़ नहीं बन पाया या गृह जनपद में बहुत ही दूर तैनाती मिलने की संभावना थी। 2012 में बेसिक में तबादला नीति आई थी, जिसमें तीन वर्ष की सेवा शर्त थी लेकिन केवल महिला शिक्षकों के ही तबादले हुए थे। इस दौरान करीब 20 हजार महिला शिक्षकों के तबादले हुए थे। इसके बाद 2013-14 में तबादला नीति आई तो महिलाओं के लिए महज एक साल सेवा शर्त रखी गई जबकि पुरुष शिक्षकों को तीन साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य था। इसके बाद 2016 में आई तबादला नीति में महिला-पुरुष दोनों ही शिक्षकों के लिए तीन साल सेवा शर्त रखी गई थी। इस साल करीब 24 हजार से अधिक आवेदन आए थे, जिसमें करीब 18 हजार के तबादले हुए थे। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन थी। हालांकि, जुगाड़ वालों ने 'विशेष परिस्थितियों' को आधार बनाकर खूब तबादले कराए। इसके चलते लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ, नोएडा जैसे शहरों में सरप्लस शिक्षक तैनात हो गए। हालांकि अधिकारियों ने प्रमोशन, रिटायरमेंट जैसी दलीलें देकर रास्ता खोल दिया।
पैन नहीं तो आवेदन नहीं : तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन किए जाने हैं। अगर शिक्षक का पैन अपडेट नहीं होगा या गलत होगा तो वह आवेदन नहीं कर सकेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इसके लिए सभी बीएसए को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि सभी शिक्षकों के सैलरी डेटा में सही पैन फीड हो। यदि कोई अध्यापक पैन नंबर भरा न होने के चलते तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाता है तो बीएसए, वित्त और लेखाधिकारी जिम्मेदार होंगे। तबादला नीति में जिलों को तीन जोन में बांटने को भी कहा गया है। इसमें जिले की नगरीय सीमा या मुख्यालय से 8 किमी की दूरी तक एक जोन होगा। जिले में तहसील मुख्यालय से 2 किमी तक दूसरा जोन होगा और इसके अलावा आने वाले स्कूल तीसरे जोन में आएंगे। बीएसए को शीघ्र ही जोनवार स्कूलों को भी आवंटित करने को कहा गया है, जिससे समायोजन और तबादले में कोई समस्या न आए।
नई भर्तीवालों को मौका नहीं : अब जो तबादला नीति आई है उसमें पांच साल की शर्त होने के चलते नई भर्ती के लोगों को मौका नहीं मिलेगा। पिछले तीन साल में करीब 1 लाख शिक्षकों की भर्तियां हुई हैं। वह इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। वहीं यह भी शर्त रखी गई है कि जिले में खाली पदों के 25% संख्या तक ही तबादले हो सकेंगे। शिक्षकों के पदों की गणना भी छात्रसंख्या के आधार पर होगी। 25% की शर्त से भी मौके घटेंगे।
"प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि नई नीति छलावा मात्र है। पिछले तबादले में 4-5 महीने कम होने के नाते जो शिक्षक रह गए थे, उन्हें भी मौका नहीं मिल पाएगा। 5 साल वाले वही बचे हैं, जो महानगरों मे तबादले के लिए प्रयासरत थे लेकिन नहीं हो सका था।"
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