हरदोई. फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले 79 शिक्षकों को बर्खास्त करने के साथ ही उनके खिलाफ एक साल पहले एफआईआर हो चुकी है। इस मामले की हरदोई पुलिस जांच कर रही है।
इसी बीच छिबरामऊ में पकड़े गए जालसाज ने हरदोई के शिक्षा विभाग के लिपिकों का नाम लेकर पूरे मामले को नया मोड़ देने के साथ ही विभाग में खलबली मचा दी है। अभी और भी मुन्ना भाइयों के नौकरी में होने की आशंकाए बलबती हो गई है।
कैसे-कैसे खेल, किससे-किससे मेल
इसे विभागीय जिम्मेदारों का खेल ही कहा जाएगा कि बेसिक शिक्षा विभाग में भर्ती में मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब हो गए जिसमें 79 शिक्षकों की बर्खास्तगी हो चुकी है। अगर पिछले दो-तीन वर्षो में हुई शिक्षकों एवं अनुदेशकों आदि की भर्ती के शत प्रतिशत सत्यापन उच्च स्तरीय जांच एजेंसी से करा दिया तो और भी मुन्ना भाई सामने आ सकते है। जैसा जिस तरह से भर्ती में कुछ प्रमाणपत्र फर्जी लगाए जाने का खुलासा हुआ है उससे साफ है कि मामला कई खास लोगों से जुड़ा हो सकता है।
सत्यापन को लेकर उठते रहे सवाल-
जिले में होने वाली शिक्षकों आदि की भर्ती में जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने से लेकर सत्यापन एवं बर्खास्तगी की कहानी किसी स्वप्र सरीखी सी लगती है। आज तक इस मामले को लेकर किसी विभागीय जिम्मेदार पर कार्यवाही नहीं हुई कि संचार क्रांति के इस युग में जब ज्यादातर शैक्षिक संस्थान ऑनलाइन है तो फिर मुन्ना भाई कैसे नौकरी पा जाते हैं।मामले में विभागीय लोगों की संलिप्ता को लेकर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।
डायट और विभाग में खूब हुई थी तनातनी
शिक्षक भर्ती में नियुक्ति से लेकर स्कूल आवंटन के मामले में करीब दो साल पहले जिला प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और बेसिक शिक्षा विभाग में खूब तनातनी रही। तत्कालीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक-दूसरे को लेकर खूब शब्दबाण चलाने के साथ पत्राचार भी किया। कभी शिक्षकों की काउंसलिग कराए जाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए जाते रहे, तो कभी प्रथम सत्यापन कराए जाने को लेकर डायट पर निशाना साधा जाता रहा। इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि बिना उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच हुए यह स्पष्ट कैसे हो सकेगा कि खेल के मेल में आखिर कभी अच्छे रहे रिश्ते फेल क्यों हुए और क्यों मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब होते रहे। एक साल पहले सत्यापन में फर्जी पाए गए 79 टीचरों को बर्खास्त करने के साथ ही एफआईआर हो चुकी है मगर पुलिस की जांच मुन्ना भाइयों के इर्दगिर्द घूमती रही। छिबरामऊ (कन्नौज) पुलिस की गिरफ्त में आये शातिर देवेंद्र के इकबालिया बयान के बाद अब हरदोई पुलिस को भी जांच का दायरा बढ़ाने का रास्ता मिल गया है।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
इसी बीच छिबरामऊ में पकड़े गए जालसाज ने हरदोई के शिक्षा विभाग के लिपिकों का नाम लेकर पूरे मामले को नया मोड़ देने के साथ ही विभाग में खलबली मचा दी है। अभी और भी मुन्ना भाइयों के नौकरी में होने की आशंकाए बलबती हो गई है।
कैसे-कैसे खेल, किससे-किससे मेल
इसे विभागीय जिम्मेदारों का खेल ही कहा जाएगा कि बेसिक शिक्षा विभाग में भर्ती में मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब हो गए जिसमें 79 शिक्षकों की बर्खास्तगी हो चुकी है। अगर पिछले दो-तीन वर्षो में हुई शिक्षकों एवं अनुदेशकों आदि की भर्ती के शत प्रतिशत सत्यापन उच्च स्तरीय जांच एजेंसी से करा दिया तो और भी मुन्ना भाई सामने आ सकते है। जैसा जिस तरह से भर्ती में कुछ प्रमाणपत्र फर्जी लगाए जाने का खुलासा हुआ है उससे साफ है कि मामला कई खास लोगों से जुड़ा हो सकता है।
सत्यापन को लेकर उठते रहे सवाल-
जिले में होने वाली शिक्षकों आदि की भर्ती में जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने से लेकर सत्यापन एवं बर्खास्तगी की कहानी किसी स्वप्र सरीखी सी लगती है। आज तक इस मामले को लेकर किसी विभागीय जिम्मेदार पर कार्यवाही नहीं हुई कि संचार क्रांति के इस युग में जब ज्यादातर शैक्षिक संस्थान ऑनलाइन है तो फिर मुन्ना भाई कैसे नौकरी पा जाते हैं।मामले में विभागीय लोगों की संलिप्ता को लेकर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।
डायट और विभाग में खूब हुई थी तनातनी
शिक्षक भर्ती में नियुक्ति से लेकर स्कूल आवंटन के मामले में करीब दो साल पहले जिला प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और बेसिक शिक्षा विभाग में खूब तनातनी रही। तत्कालीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एक-दूसरे को लेकर खूब शब्दबाण चलाने के साथ पत्राचार भी किया। कभी शिक्षकों की काउंसलिग कराए जाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग पर सवाल उठाए जाते रहे, तो कभी प्रथम सत्यापन कराए जाने को लेकर डायट पर निशाना साधा जाता रहा। इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि बिना उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच हुए यह स्पष्ट कैसे हो सकेगा कि खेल के मेल में आखिर कभी अच्छे रहे रिश्ते फेल क्यों हुए और क्यों मुन्ना भाई नौकरी पाने में कामयाब होते रहे। एक साल पहले सत्यापन में फर्जी पाए गए 79 टीचरों को बर्खास्त करने के साथ ही एफआईआर हो चुकी है मगर पुलिस की जांच मुन्ना भाइयों के इर्दगिर्द घूमती रही। छिबरामऊ (कन्नौज) पुलिस की गिरफ्त में आये शातिर देवेंद्र के इकबालिया बयान के बाद अब हरदोई पुलिस को भी जांच का दायरा बढ़ाने का रास्ता मिल गया है।
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