परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रस्तावित उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन से योगी सरकार ने अब मुंह फेर लिया है। वजह है कि प्रदेश के विभिन्न परिषदीय स्कूलों में 65597 शिक्षक
अतिरिक्त (सरप्लस) पाये गए हैं जबकि पढ़ने वाले बच्चों की संख्या घट रही है।
शासन में शीर्ष स्तर पर हुए विचार मंथन में इसी आधार पर बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए एक नई विशिष्ट संस्था के गठन का औचित्य नहीं पाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अप्रैल में हुए प्रस्तुतीकरण में बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तर्ज पर उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव रखा था। मुख्यमंत्री ने इसे हरी झंडी भी दिखायी थी। इसी आधार पर विभाग ने उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन के लिए कवायद शुरू कर दी थी। प्रस्तावित चयन बोर्ड के गठन के लिए विभाग ने उसका खाका भी तैयार कर लिया था। इसी बीच प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में उपलब्ध छात्र संख्या और शिक्षा के अधिकार कानून के मानक के अनुसार 65,597 शिक्षक सरप्लस पाये गए। 1गौरतलब है कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 3.99 लाख और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1.64 लाख शिक्षक हैं। चार वर्षों में ही 2.8 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। जहां एक तरफ परिषदीय स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती हुई, वहीं पांच वर्षों के दौरान उनमें बच्चों की संख्या कम होती जा रही है। वर्ष 2012-13 में परिषदीय स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा में 1.35 करोड़ बच्चे नामांकित थे, 2016-17 में उनकी संख्या घटकर 1.16 करोड़ रह गई। वहीं कक्षा छह से लेकर आठ तक में 2012-13 में जहां 40.81 लाख बच्चे नामांकित थे,
उनकी संख्या 2016-17 में 35.38 लाख ही रह गई। पिछले वित्तीय वर्ष में परिषदीय शिक्षकों के वेतन पर सरकार ने 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किये। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने बताया कि इन सब तथ्यों के आधार पर सरकार ने उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन नहीं करने का फैसला किया है।
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अतिरिक्त (सरप्लस) पाये गए हैं जबकि पढ़ने वाले बच्चों की संख्या घट रही है।
शासन में शीर्ष स्तर पर हुए विचार मंथन में इसी आधार पर बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए एक नई विशिष्ट संस्था के गठन का औचित्य नहीं पाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अप्रैल में हुए प्रस्तुतीकरण में बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तर्ज पर उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव रखा था। मुख्यमंत्री ने इसे हरी झंडी भी दिखायी थी। इसी आधार पर विभाग ने उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन के लिए कवायद शुरू कर दी थी। प्रस्तावित चयन बोर्ड के गठन के लिए विभाग ने उसका खाका भी तैयार कर लिया था। इसी बीच प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में उपलब्ध छात्र संख्या और शिक्षा के अधिकार कानून के मानक के अनुसार 65,597 शिक्षक सरप्लस पाये गए। 1गौरतलब है कि परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 3.99 लाख और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1.64 लाख शिक्षक हैं। चार वर्षों में ही 2.8 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। जहां एक तरफ परिषदीय स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती हुई, वहीं पांच वर्षों के दौरान उनमें बच्चों की संख्या कम होती जा रही है। वर्ष 2012-13 में परिषदीय स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा में 1.35 करोड़ बच्चे नामांकित थे, 2016-17 में उनकी संख्या घटकर 1.16 करोड़ रह गई। वहीं कक्षा छह से लेकर आठ तक में 2012-13 में जहां 40.81 लाख बच्चे नामांकित थे,
उनकी संख्या 2016-17 में 35.38 लाख ही रह गई। पिछले वित्तीय वर्ष में परिषदीय शिक्षकों के वेतन पर सरकार ने 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किये। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने बताया कि इन सब तथ्यों के आधार पर सरकार ने उप्र बेसिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन नहीं करने का फैसला किया है।
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