इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भंग करने की तैयारी है। दोनों संस्थाओं की जगह उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग नाम की एक नई संस्था लेगी, ऐसा शासनस्तर पर विचार चल रहा है।
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षिक स्नातक, प्रवक्ता और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति 1982 में गठित चयन बोर्ड के जरिए होती है जबकि सहायता प्राप्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्रवक्ता और प्राचार्यों की भर्ती 1980 में गठित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के माध्यम से होती रही है।
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर दोनों ही आयोग को भंग कर अधिनियम के जरिए नए आयोग के गठन पर विचार चल रहा है। प्रस्तावित अधिनियम से चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवाओं को संरक्षित करते हुए प्रस्तावित आयोग में स्थानांतरित किया जाएगा।
पूर्व की दोनों संस्थाओं की संपत्ति, परिसंपत्ति आदि भी प्रस्तावित चयन आयोग को सौंपने के लिए समुचित प्रावधान करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। नए आयोग के अधिकार एवं दायित्व में ऐसे सभी कार्य सम्मिलित किए जा सकते हैं जो वर्तमान में चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग कर रहे हैं।
प्रस्तावित शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक अध्यक्ष और 15 या 16 सदस्य रखे जा सकते हैं। अध्यक्ष और सदस्यों की आयु एवं कार्यकाल संबंधी प्रावधान भी किए जाएंगे।
इन दोनों भर्ती संस्थाओं पर लगते रहे हैं आरोप
भाजपा सरकार जिन दो भर्ती संस्थाओं को भंग करने पर विचार कर रही है, उनमें अध्यक्ष व सदस्यों की तैनाती में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। आप भी जानें...
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग:
22 सितंबर 2015 : प्रदेश के
सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में प्रवक्ता और प्राचार्यों की भर्ती करने वाले उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय का नियुक्ति आदेश हाईकोर्ट ने 22 सितंबर 2015 को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट ने सात सितंबर 2015 को इस आयोग के तीन सदस्यों डॉ. रामवीर सिंह यादव, डॉ. एके सिंह और डॉ. रुदल यादव के नियुक्ति आदेश को भी अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया था।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पांच अक्तूबर 2015:
सूबे के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों की भर्ती करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सनिल कुमार का नियुक्ति आदेश पांच अक्तूबर 2015 खारिज कर दिया गया था। बोर्ड के तीन सदस्यों के काम करने पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में इन तीनों सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षिक स्नातक, प्रवक्ता और प्रधानाचार्यों की नियुक्ति 1982 में गठित चयन बोर्ड के जरिए होती है जबकि सहायता प्राप्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में प्रवक्ता और प्राचार्यों की भर्ती 1980 में गठित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के माध्यम से होती रही है।
सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर दोनों ही आयोग को भंग कर अधिनियम के जरिए नए आयोग के गठन पर विचार चल रहा है। प्रस्तावित अधिनियम से चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवाओं को संरक्षित करते हुए प्रस्तावित आयोग में स्थानांतरित किया जाएगा।
पूर्व की दोनों संस्थाओं की संपत्ति, परिसंपत्ति आदि भी प्रस्तावित चयन आयोग को सौंपने के लिए समुचित प्रावधान करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। नए आयोग के अधिकार एवं दायित्व में ऐसे सभी कार्य सम्मिलित किए जा सकते हैं जो वर्तमान में चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग कर रहे हैं।
प्रस्तावित शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक अध्यक्ष और 15 या 16 सदस्य रखे जा सकते हैं। अध्यक्ष और सदस्यों की आयु एवं कार्यकाल संबंधी प्रावधान भी किए जाएंगे।
इन दोनों भर्ती संस्थाओं पर लगते रहे हैं आरोप
भाजपा सरकार जिन दो भर्ती संस्थाओं को भंग करने पर विचार कर रही है, उनमें अध्यक्ष व सदस्यों की तैनाती में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। आप भी जानें...
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग:
22 सितंबर 2015 : प्रदेश के
सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में प्रवक्ता और प्राचार्यों की भर्ती करने वाले उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय का नियुक्ति आदेश हाईकोर्ट ने 22 सितंबर 2015 को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट ने सात सितंबर 2015 को इस आयोग के तीन सदस्यों डॉ. रामवीर सिंह यादव, डॉ. एके सिंह और डॉ. रुदल यादव के नियुक्ति आदेश को भी अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया था।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पांच अक्तूबर 2015:
सूबे के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों की भर्ती करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सनिल कुमार का नियुक्ति आदेश पांच अक्तूबर 2015 खारिज कर दिया गया था। बोर्ड के तीन सदस्यों के काम करने पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में इन तीनों सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई।
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