नई दिल्ली: शिक्षा निदेशालय के नए आदेश के अनुसार राजकीय स्कूल के शिक्षक 28 फरवरी तक अवकाश नहीं ले सकेंगे। साथ ही शिक्षकों को पांच मिनट पहले स्कूल पहुंचना होगा।
इस आदेश से शिक्षकों में बैचेनी बढ़ गई है और वे इसे अलोकतांत्रिक बता रहे हैं। शिक्षा निदेशालय ने पाठ्यक्रम में बदलाव, दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बोर्ड परीक्षा व सीबीएसई मॉडरेशन व ग्रेड पॉलिसी खत्म होने का हवाला देते हुए आदेश जारी किया है। इसमें 28 फरवरी तक शिक्षकों के अवकाश पर रोक लगा दी गई। हालांकि विशेष स्थिति में क्षेत्र उपशिक्षा अधिकारी की अनुमति से अवकाश लेने का विकल्प खुला रखा गया है। स्कूल प्रमुख को 15 मिनट पहले स्कूल पहुंचने व शिक्षकों को पांच मिनट पहले स्कूल पहुंचने का आदेश दिया गया है। 15 मिनट पहले दो शिक्षकों की तैनाती स्कूल गेट में करने का आदेश दिया गया है। इस पर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव का कहना है कि ऐसा कोई आपातकाल नहीं था कि इस तरह का अलोकतांत्रिक आदेश जारी किया जाए। इस आदेश के जरिए निदेशालय उनका उत्पीड़न करने का प्रयास कर रहा है। निदेशालय खुद स्वीकार कर रहा है कि स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। वहीं अब तक शिक्षा व्यवस्था अतिरिक्त भार उठा रहे शिक्षकों की छुट्टी पर प्रतिबंध लगा कर उन्हें तनावग्रस्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीपी सिंह का कहना है कि शिक्षा निदेशक से मुलाकात हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही उचित समाधान किया जाएगा।
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इस आदेश से शिक्षकों में बैचेनी बढ़ गई है और वे इसे अलोकतांत्रिक बता रहे हैं। शिक्षा निदेशालय ने पाठ्यक्रम में बदलाव, दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बोर्ड परीक्षा व सीबीएसई मॉडरेशन व ग्रेड पॉलिसी खत्म होने का हवाला देते हुए आदेश जारी किया है। इसमें 28 फरवरी तक शिक्षकों के अवकाश पर रोक लगा दी गई। हालांकि विशेष स्थिति में क्षेत्र उपशिक्षा अधिकारी की अनुमति से अवकाश लेने का विकल्प खुला रखा गया है। स्कूल प्रमुख को 15 मिनट पहले स्कूल पहुंचने व शिक्षकों को पांच मिनट पहले स्कूल पहुंचने का आदेश दिया गया है। 15 मिनट पहले दो शिक्षकों की तैनाती स्कूल गेट में करने का आदेश दिया गया है। इस पर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव का कहना है कि ऐसा कोई आपातकाल नहीं था कि इस तरह का अलोकतांत्रिक आदेश जारी किया जाए। इस आदेश के जरिए निदेशालय उनका उत्पीड़न करने का प्रयास कर रहा है। निदेशालय खुद स्वीकार कर रहा है कि स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। वहीं अब तक शिक्षा व्यवस्था अतिरिक्त भार उठा रहे शिक्षकों की छुट्टी पर प्रतिबंध लगा कर उन्हें तनावग्रस्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीपी सिंह का कहना है कि शिक्षा निदेशक से मुलाकात हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही उचित समाधान किया जाएगा।
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