पिछले दिनों शिक्षण कार्य छोड़ आंदोलन पर उतरे शिक्षामित्रों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई करने वाली योगी सरकार ने अब आगनबाड़ी कार्यकत्रियों और
सहायिकाओं पर लगाम कसने का फैसला कर लिया है।
कारण कि पिछले तीन महीनों से इनके आंदोलन के चलते न केवल राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं, बल्कि इनके द्वारा बीएलओ की जिम्मेदारी सही ढंग से न निभाने के कारण वोटरलिस्ट को लेकर निकाय चुनाव में सरकार की काफी किरकिरी हुई है। सरकार के निर्देश पर विभाग ने केवल आजमगढ़ में 600 कार्यकत्रियों का वेतन रोक दिया है। इससे कार्यकत्रियों में साफ नाराजगी दिख रही है।
बता दे कि, पिछले तीन महीने से अधिक समय से आगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का एक संघटन मानदेय सहित 19 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा था। कुछ दिनों पूर्व दूसरे संगठन ने भी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान संगठन ने शासन की किसी योजना में काम नहीं किया।
आंदोलनरत आंगनबाड़ी लगातार माग कर रही हैं कि उनका मानदेय बढ़ाकर 15000 रुपये मासिक किया जाए और राज्य कर्मचारी का दर्जा आदि दिया जाए। हालांकि सरकार ने उनके पूर्व के मानदेय में वृद्धि की है, लेकिन आंगनबाड़ी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनके हड़ताल पर जाने से राज्य पोषण मिशन सहित अनेक योजनाओं का कार्य प्रभावित हो रहा है।
हाल ही में आयोजित बच्चों के वजन दिवस का भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने विरोध किया था। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार नहीं मिल रहा है। सरकारी योजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए शासन अब हड़ताल में शामिल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का मन बना चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जिले के लगभग 600 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन को रोक दिया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी पवन कुमार यादव का कहना है कि, शासन से मिले निर्देश के बाद सीडीपीओ से इसकी जांच कराई गई कि जिले में कितनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री केंद्र पर नहीं पहुंच रही हैं। सीडीपीओ की जांच रिपोर्ट में लगभग छह सौ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अनुपस्थित पाए गई। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनका वेतन रोक दिया गया है।
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कारण कि पिछले तीन महीनों से इनके आंदोलन के चलते न केवल राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं, बल्कि इनके द्वारा बीएलओ की जिम्मेदारी सही ढंग से न निभाने के कारण वोटरलिस्ट को लेकर निकाय चुनाव में सरकार की काफी किरकिरी हुई है। सरकार के निर्देश पर विभाग ने केवल आजमगढ़ में 600 कार्यकत्रियों का वेतन रोक दिया है। इससे कार्यकत्रियों में साफ नाराजगी दिख रही है।
बता दे कि, पिछले तीन महीने से अधिक समय से आगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं का एक संघटन मानदेय सहित 19 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा था। कुछ दिनों पूर्व दूसरे संगठन ने भी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान संगठन ने शासन की किसी योजना में काम नहीं किया।
आंदोलनरत आंगनबाड़ी लगातार माग कर रही हैं कि उनका मानदेय बढ़ाकर 15000 रुपये मासिक किया जाए और राज्य कर्मचारी का दर्जा आदि दिया जाए। हालांकि सरकार ने उनके पूर्व के मानदेय में वृद्धि की है, लेकिन आंगनबाड़ी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनके हड़ताल पर जाने से राज्य पोषण मिशन सहित अनेक योजनाओं का कार्य प्रभावित हो रहा है।
हाल ही में आयोजित बच्चों के वजन दिवस का भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं ने विरोध किया था। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार नहीं मिल रहा है। सरकारी योजनाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए शासन अब हड़ताल में शामिल आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई का मन बना चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने जिले के लगभग 600 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन को रोक दिया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी पवन कुमार यादव का कहना है कि, शासन से मिले निर्देश के बाद सीडीपीओ से इसकी जांच कराई गई कि जिले में कितनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री केंद्र पर नहीं पहुंच रही हैं। सीडीपीओ की जांच रिपोर्ट में लगभग छह सौ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अनुपस्थित पाए गई। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनका वेतन रोक दिया गया है।
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