उनके साथ ही 1983 बैच के आइएएस अरुण कुमार सिन्हा, वाणिज्य सेवा के पूर्व अधिकारी हृदय नारायण राव, मुरादाबाद में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा रानी, बलरामपुर में डिग्री कालेज से सेवानिवृत्त डॉ. ओंकार प्रसाद मिश्र, व कासगंज में डिग्री कालेज के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल को सदस्य बनाया गया है।
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष राज किशोर यादव ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद एक सदस्य को छोड़ अन्य सदस्यों ने भी त्यागपत्र दे दिए थे। उस समय अधीनस्थ सेवा आयोग में 11 हजार रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही थी, जिस पर नई सरकार ने रोक लगा दी थी। सपा सरकार में नियुक्तियों को लेकर आयोग पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे थे जिसकी जांच भी चल रही है।
वैसे तो सरकार ने आयोग के पुनर्गठन की प्रक्रिया कई महीने पहले शुरू कर दी थी, लेकिन इसमें विलंब होता रहा। अध्यक्ष व सदस्य पदों के लिए बड़ी संख्या में अवकाश प्राप्त प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं व समाज के अन्य वर्ग से आवेदन आए थे। योगी सरकार ने इनमें साफ छवि वाले पूर्व आइएएस चंद्रभूषण पालीवाल को चुना। पालीवाल को सपा सरकार में नगर विकास का प्रमुख सचिव बनाया गया था।
आजम खां के चलते उन्हें वहां से हटाकर राजस्व परिषद भेज दिया गया था। मई 2014 में वह रिटायर हुए थे।
उल्लेखनीय है कि आयोग में सदस्यों के आठ पद हैं। इनमें सदस्य बबिता लाठर को छोड़ अन्य सभी पद रिक्त चल रहे थे। पांच सदस्यों की नियुक्ति होने के बाद अभी भी दो पद रिक्त हैैं। सूत्रों का मानना है कि सरकार सदस्यों की संख्या बढ़ाने का इरादा भी नहीं कर रही है क्योंकि नियुक्तियों में साक्षात्कार खत्म होने के बाद अधिक सदस्यों की जरूरत नहीं महसूस की जा रही।
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