UPTET 2017: टीईटी रिजल्ट इनवैलिड प्रकरण कोर्ट सुनवाई सार ,आर्डर रिज़र्व, अगली सुनवाई 29 जनवरी

 टेट रिजल्ट इनवैलिड प्रकरण कोर्ट सुनवाई सार ,आर्डर रिज़र्व, अगली सुनवाई 29 जनवरी
- January 18, 2018
नमस्कार साथियों

मैं *शनी सिंह तन्हा*
टेट रिजल्ट इनवैलिड प्रकरण कोर्ट सुनवाई सार :-

*ऑर्डर रिज़र्व*
*29 जनवरी को आयेगा फैसला*
हमारा केस सप्लीमेंट्री लिस्ट में टेकअप हुआ
लंच 1 बजे हुआ उस वक्त सीरियल no 10 खत्म हुआ , उसके बाद 2 बजे पुनः सुनवाई शुरू हुयी जिसमे जज साहब ने सीधे हमारा केस लिया और कोर्ट की अंतिम अवधि तक विस्तृत रूप से सुनते रहे ।
बहस की मुख्य बातें निम्नवत है -
13 रिट जो अलग- 2 थी एक साथ हुई जिसमे अन्य वकीलों ने अपना पक्ष रखा उस वक्त तक आलोक मिश्रा सर और अशोक खरे जी कोर्ट में अपीयर नहीं हुए थे क्योकि वह अन्य कोर्ट में व्यस्त थे
जज साहब भी उन्ही को बहस के लिए सुनना चाहते थे। 20 मिनट बाद आलोक मिश्रा सर कोर्ट में उपस्थित हुए और अपना पक्ष रखा जिसमे उन्होंने सिर्फ़ रजिस्ट्रेशन/रोल no सही भरे होने पर जोर दिया ।
आलोक मिश्रा एवम अशोक खरे की अनुपस्थिति में स्टेट के वकील द्वारा पुराने निर्णयों को दोहराया गया उसके प्रतिउत्तर के लिए जज साहब ने अशोक खरे एवं आलोक मिश्रा के बारे में पूँछा और बच्चों के हितों को ध्यान रखते हुए खुद ही वकालत करते दिखे उन्होंने कहा - कि मैंने पूरे प्रकरण को खुद बहुत ध्यान पढ़ा है और यह महसूस किया है कि इस मानवीय त्रुटि का समाधान सम्भव है ,
जज साहब ने स्टेट के वकील से कहा " *mr ak yadav आप समझ रहें हैं कि कोर्ट क्या चाहती है ?*
अगर आप अभ्यर्थी को उनकी प्रविष्ट गलत भरने पर भी आइडेंटिफाई कर पा रहे हैं  तो उनकी कंपियाँ जांचने में क्या दिक्कत आ रही है आपको ?
स्टेट के वकील ने कहा ,
" पूर्व में सम्पन्न टेट 2011 में  कोर्ट द्वारा रिज़ल्ट संशोधन के आदेश पर बड़ी संख्या में भृष्टाचार हुआ था जिसमे सचिव संजय सिन्हा को जेल भी जाना पड़ा था इस प्रकार अगर मानवीय हस्तक्षेप हुआ तो बड़ी मात्रा में भ्र्ष्टाचार होने की आशंका रहेगी क्योंकि कम्प्यूटर द्वारा जांच की गई ओएमआर निष्पक्ष एवं सुचिता पूर्ण होती है जिसमे *अगर हम कम्प्यूटर को दरकिनार करते हैं,तो मानवीय हस्तक्षेप को किस हद तक आगे ले जाना चाहेंगे ?*
इस पर जज साहब ने 1 मिनट सोंचते हुए स्टेट के वकील से इनवैलिड हए कुल रिजल्ट की सँख्या पूँछी ।
स्टेट के वकील ने सही सँख्या नहीं बताई जिसपर जज ने उन्हें फटकार भी लगाई की आप अपना होमवर्क करके नही आते हैं ।
पुनः जज साहब ने यह कहा कि *यह परीक्षा मिनिमम अहर्ता के लिए है न कि कोई प्रतियोगी परीक्षा है जिससे नौकरी का दावा किया जा रहा हो ।*
स्टेट के वकील द्वारा यह कहा गया कि मायलॉर्ड टी०ई०टी० का आयोजन हर 6 माह पर होने का प्रावधान है, ये कैंडिडेट अगली टेट परीक्षा में सम्मिलित हो इसे उत्तीर्ण कर सकते है ।
इस पर जज साहब ने तुरंत माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों को दिए गए फैसले को मेन्सन करते हुए कहा कि
इनका रोजगार पाने का एक अवसर छूट रहा है क्योकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने इन्हें सिर्फ दो अवसर प्रदान किये है और  जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है क्योकि यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है ।
*इसपर स्टेट के वकील ने पुनः यह दोहराया कि*
*माय लार्ड अगर हम ओएमआर में कम्प्यूटर द्वारा पकड़ी गई गलतियों को दरकिनार करते है तो हम कितनी गलतियों और कौन कौन सी गलतियों को गलती न माने ?*
*क्योंकि इस पर अभ्यर्थियों द्वारा हर बार ग़लती करके इस बात की मांग की* *जाएगी कि यह मानवीय भूल है और इसे न मानते हुए उनका रिज़ल्ट दिया जाए*
*तो इस प्रकार बोर्ड द्वारा दिए गए दिशा निर्देश और कंप्यूटर द्वारा ओएमआर के मुल्यांकन का क्या औचित्य रह जायेगा ?*
इस पर आलोक मिश्रा जी ने तुरंत कहा मायलार्ड हम बिल्कुल भी यह नहीं कह रहे कि गलतियों को या कम्प्यूटर को दरकिनार किया जाए
परन्तु
*ओएमआर पर  रजिस्ट्रेशन/रोल न० के*
*बबल भरने के अलावा भी अंकों में भी*
*रजिस्ट्रेशन/रोल न० भरने का कालम दिया गया है*
*उसका अर्थ क्या है?* और अंकों में भरी गयी प्रविष्टि पूर्णतया सही भरी गयी है साथ ही रजिस्ट्रेशन/रोल न० में एक  प्रविष्ट पूर्णतया सही भरे होने पर उनका परिणाम घोषित करने के लिए नियामक को आदेशित करने की गुजारिश की ।क्योंकि  याची बने सभी अभ्यर्थी इस परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो रहे है इसलिए उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह नही आना चहिये बस एक मानवीय भूल है जो उनके भविष्य को ब्लाक कर रही है ।
इस पर मा० जज साहब ने याचियों की सँख्या पूँछी
इस प्रकार कुल सँख्या लगभग 300 के आस पास बताई गई (172 अशोक खरे + 94 आलोक मिश्रा + अन्य )
इसी समय बहु प्रतीक्षित अशोक खरे सर भी कोर्ट में  उपस्थित हुए और मौहाल में गहमागहमी उत्पन्न हुई ..
अशोक सर द्वारा सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर , दिल्ली हाईकोर्ट के आर्डर को ग्राउंड बना कर जज साहब सामने दलीलें दी गयीं ।जिसे जज साहब बड़े ध्यान से सुनते रहे ।
इस पर पुनः स्टेट के वकील ने
ओएमआर पर अभ्यर्थी द्वारा अंडरटेकिंग स्टेटमेंट
*I do hereby undertake that the information provided by me for my eligibility for examination is true to the best of my knowledge. In case of any information found to be incorrect/incomplete at any stage. I'm liable for disqualification for examination and legal action.*  का आधार बनाते हुए बोला कि अभ्यर्थी किसी ने इस पर हस्ताक्षर किए है। और वह इसकी शर्तों को स्वयं स्वीकार करता है जिससे वह अभ्यर्थन रद्द होने पर कोई दावा नहीं करेगा ।
इस पर खरे सर तुरन्त खड़े हुए और बोले यँहा पर इन्फॉर्मेशन  देने का तात्पर्य  उसकी शैक्षणिक योग्यताकी सूचना से है न कि इसकी ओएमआर पर भरी सूचना से इस पर विपक्षी वकील निरुत्तर हुये ।
*साथ ही खरे साहब ने यह भी कहा कि अगर ओएमआर पर प्रविष्ट गलत भरे जाने पर अभ्यर्थन निरस्त होना है तो वह कब किया जाना चाइए ?* *उस वक्त कक्ष निरीक्षक का क्या दायित्व होता है ?*
भरी हुई सूचनाओ का निरीक्षण कर उसे उस पर प्रतिक्रिया देनी चाइए ।
फिर जज साहब ने स्टेट के वकील से पूँछा मिस्टर यादव आपको कुछ कहना है ??
उन्होंने कँहा नो मायलार्ड !
इस प्रकार कोर्ट का समय समाप्त हुआ और जाते जाते मा० जज साहब ने सुप्रीम कोर्ट के मानवीय त्रुटि से संबंधित आदेश  की एक कॉपी वकील साहब से मांगी और 29 जनवरी को अन्तिम निर्णय देने की तिथि निर्धारित की ।‍⚖
इस प्रकार
प्रश्न १. क्या उम्मीद है 29 को क्या होगा ?
उ० पूरे प्रकरण को देखते हुए व्यक्तिगत मेरा मानना है (80%+20%)..बाँकी 29 तक आप पूरे प्रकरण को पढ़िए और अनुमान लगाते रहिये आत्म संतुष्टि मिलेगी ।बाँकी निर्णय जज साब को देना है ।
प्रश्न २. 25 से लिखित परीक्षा के आवेदन शरू हो रहे है क्या हम इसमे शामिल हो पाएंगे ?
उ० - बिल्कुल 100% पर
अगर निर्णय हमारे पक्ष में आया तो !
प्रश्न ३. क्या लाभ सिर्फ याचियों को ही मिलेगी ?
उ० अगर फैसला पक्ष में आया तो सम्भवतः लाभ सिर्फ और सिर्फ याचियों को ही मिलेगा क्योकि कई पॉइन्ट ऐसे रहे जिनको देखकर यही लगता है कि इस प्रकरण में याचियों को ध्यान रखते हुए कोई फैसला दिया जाए । कोर्ट भी किसी तरह से हल निकालना चाहती है ।
*निष्कर्ष*:-  9 जनवरी 2018 को एवं आज भी कोर्ट का रुख हमारे प्रति सकारात्मक रहा है
 मा० जज साहब उस संवैधानिक आधार की तलाश में दिखे जँहा से तर्कसंगत रूप से छात्रों के हित में फैसला दिया जा सके ।*
अब आगे 29 को ......
धन्यवाद !

  आपका अपना
*शनी सिंह तन्हा*
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