माध्यमिक के ही राजकीय व अशासकीय कालेजों में हिंदी शिक्षक के रूप में नियुक्ति उन्हीं को मिलेगी, जिन्होंने अलग-अलग पढ़ाई की है। खास बात यह है कि दोनों शैक्षिक संस्थानों का सिर्फ नाम व पदनाम ही अलग है उनको मिलने वाली पगार व छात्र-छात्रओं की पढ़ाई एक ही है।
राजकीय माध्यमिक कालेजों में एलटी ग्रेड हंिदूी शिक्षक बनने के लिए वही
अभ्यर्थी आवेदन कर सकता है, जो इंटर में संस्कृत पढ़ा हो और स्नातक
हिंदी से किए हो। इसके ठीक उलट अशासकीय माध्यमिक कालेज में टीजीटी यानि
प्रशिक्षित स्नातक हिंदी शिक्षक के लिए वह अभ्यर्थी दावेदारी कर सकता है,
जो स्नातक हिंदी और संस्कृत विषय से हो। राजकीय और अशासकीय दोनों कालेजों
में यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है और आगे वहां एनसीईआरटी की एक
साथ पढ़ाई होगी। एलटी ग्रेड व टीजीटी शिक्षक का वेतनमान 4600 ग्रेड पे का
दोनों जगह समान है। सिर्फ राजकीय कालेज व अशासकीय विद्यालय के नाम भर से
हंिदूी शिक्षक बनने की अर्हता अलग हो गई है। इससे बड़ी संख्या में अभ्यर्थी
एक जैसी शिक्षक भर्ती की तैयारी करके भी दोनों जगह आवेदक नहीं हो सकते
हैं।
अशासकीय कालेजों के शिक्षक चयन करने वाले माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड की
अर्हता इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत यूपी बोर्ड करता है। वहीं,
राजकीय कालेजों में यूपी बोर्ड से तय कई अर्हताएं मानी जाती हैं लेकिन, कुछ
में बड़ा अंतर है। 2016 में यूपी बोर्ड ने चयन बोर्ड से चयनित होने वाले
हिंदी शिक्षक की अर्हता इंटर में संस्कृत व हिंदी में स्नातक तय कर दी थी।
इसका जमकर विरोध हुआ तो बोर्ड ने नियमावली में संशोधन करके दो नियम बना
दिए। बीए हिंदीव इंटर संस्कृत अथवा बीए हिंदी व संस्कृत विषय से
उत्तीर्ण।कला शिक्षक की अर्हता में भी अंतर
चयन बोर्ड में कला शिक्षक के लिए इंटर प्राविधिक कला से उत्तीर्ण व स्नातक
होना चाहिए, जबकि राजकीय कालेज में कला शिक्षक के लिए कला या फिर ललित कला
विषय से स्नातक हो और बीएड भी किए हो। इससे कला शिक्षक बनने के अभ्यर्थी भी
दोनों जगह दावेदारी नहीं कर सकते हैं। ज्ञात हो कि एलटी ग्रेड की मौजूदा
भर्ती में कला पुरुष के 192 व महिला के 278 सहित कुल 470 पद हैं।
sponsored links: