सरकार हर तीन किलोमीटर की दूरी पर सरकारी स्कूल की उपलब्धता का दावा भले
ही करती है, लेकिन आदिवासी बहुल राज्यों में शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं
का हाल बुरा है। दावा तो हर पंचायत में सरकारी हाई स्कूल तक खोलने का किया
गया है, लेकिन सचाई इसके उलट है।
झारखंड के जमशेदपुर स्थित मानगो अक्षेस
क्षेत्र सरकारी दावों की पोल खोल रहा है। 2.60 लाख की आबादी वाले इस
क्षेत्र में एक भी हाई स्कूल न होने से हर साल करीब चार हजार बच्चों की
पढ़ाई छूट जाती है। इलाके में कुल घरों की संख्या 49 हजार है, अनेक निजी
स्कूल यहां चल रहे हैं, लेकिन वंचित परिवारों के बच्चों के लिए एक भी
सरकारी हाई स्कूल नहीं है। 134 प्राथमिक-मिडिल स्कूल..: घनी आबादी वाले
मानगो अक्षेस क्षेत्र में 34 प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में 7000 छात्र
पढ़ते हैं। आठवीं के बाद इनमें चार हजार से अधिक छात्रों की पढ़ाई केवल
इसलिए छूट जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र में हाई स्कूल ही नहीं है। क्षेत्र
में सात प्राइवेट हाई स्कूल जरूर चल रहे हैं, जिनमें 2800 स्टूडेंट पढ़ाई
कर रहे हैं। अधिकतर तो उच्च शिक्षा पाने की जगह अन्य कार्यों में जुट जाते
हैं। 1गरीब छात्र बनाम निजी स्कूल.. : निजी हाई स्कूलों में अल्पसंख्यक
श्रेणी का गुरु नानक हाई स्कूल, ट्रस्ट संचालित कबीरिया उर्दू हाईस्कूल,
पब्लिक वेलफेयर हाईस्कूल व गैर सहायता प्राप्त हाई स्कूलों में हनीफिया,
सौम्या, एसबीएम और अमर ज्योति हाई स्कूल शामिल हैं। जिनके पास थोड़ी राशि
होती है वे इन्हीं तीन श्रेणी के हाई स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। कबीरिया
उर्दू और पब्लिक वेलफेयर हाई स्कूल में शत प्रतिशत उर्दू भाषा जानने वाले
स्टूडेंट ही पढ़ते हैं। 1मंत्री का है इलाका.. : मानगो अक्षेस क्षेत्र की
जनता पिछले तीस वषों से यह समस्या ङोल रही है। यह क्षेत्र जमशेदपुर पश्चिम
विधानसभा में आता है। यहां के विधायक सूबे के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री
सरयू राय हैं। मंत्री का कहना है कि मैंने इस क्षेत्र में दो स्कूलों को
हाईस्कूल में उत्Rमित करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। इसमें एक स्कूल
गांधी मैदान व दूसरा पारडीह में है। इनके पास भूमि भी पर्याप्त है। यदि यह
हाईस्कूल बन गए तो यह कमी दूर हो जाएगी। 1जमशेदपुर के मानगो क्षेत्र में
नहीं एक भी सरकारी हाई स्कूलमैंने एक बार मानगो अक्षेस क्षेत्र में हाई
स्कूल खोलने का प्रयास किया था, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। यहां के
छात्रों को पढऩे में दिक्कत तो हो रही है, लेकिन हम सरकारी नियमों से बंधे
हुए हैं।
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